कांग्रेसी सचिन बिरला को कुछ ही घंटों में भा गई भाजपा! फिर चला टिकाऊ-बिकाऊ का नारा…


ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा दलबदल के बाद अब तक कांग्रेस के 31 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं।   


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राजनीति Published On :

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक और विधायक ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। खरगोन जिले की बड़वाह सीट से विधायक सचिन बिरला ने रविवार को पार्टी छोड़ दी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने कांग्रेस में शामिल हो गए।

उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रहीं थीं हालांकि इस बीच भी वे खंडवा उपचुनावों में कांग्रेसी प्रत्याशी राजनारायण के सर्मथन में वोट मांग रहे थे और कांग्रेसियों को संबोधित कर रहे थे। इसके केवल कुछ घंटों बाद ही उनका मन बदला और उन्होंने भाजपा में शामिल होने की बात सार्वजनिक की। इसके पीछे बिरला का तर्क है कि उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि देखा।

स्थानीय स्तर पर बहुत से कांग्रेसी इसे इलाके के बड़े कांग्रेसी नेता अरुण यादव से जोड़कर भी देख रहे हैं। यादव पहले मजबूत दावेदार माने जा रहे थे लेकिन बाद में उनके नाम को लेकर पार्टी के अंदर से ही विरोध की खबरें आईं और बाद में उन्होंने खुद ही अपने कदम पीछे खींच लिये। सचिन बिरला के इस कदम के बाद अरुण यादव का कोई बयान सामने नहीं आया है। उनकी ट्विटर टाइमलाइन पर चुनाव प्रचार के दौरान के सामान्य ट्वीट ही नज़र आ रहे हैं।

इससे पहले  चुनाव प्रचार के दौरान सचिन बिरला पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और कई दूसरे विधायकों के साथ प्रचार कर रहे थे। इस दौरान वे केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर भी हमला कर रहे थे लेकिन भाजपाई और कांग्रेसी भी अचरज में हैं कि अचानक सचिन बिरला को भाजपा की सरकारें अच्छी कैसे लगने लगीं।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच पर बिरला के साथ कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी विधायकों पर बीस करोड़ में बिकने के आरोप लगा रहे हैं लेकिन मप्र की माटी के लाल को दुनिया की कोई ताकत नहीं खरीद सकती है। इसके बाद सचिन बिरला ने भी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को चुनौती दी और कहा कि वे सामने आएं और अपने आरोप साबित करके दिखाएं।

इस बीच सोशल मीडिया पर राजनेताओं और कार्यकर्ताओं की बिरला को लेकर अपने दल की स्थिति के अनुसार कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। वहीं ज्यादातर आम लोग इसे सीधे खरीद फरोख्त का विषय बता रहे हैं।

दल बदल और बिकाऊ-टिकाऊ के आरोपों के बीच कांग्रेस पार्टी को जमीनी स्तर पर यह बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस को नेतृत्व विहीन बताया जा रहा है और अपने विधायकों को संभालने की नसीहत दी जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस विषय पर कहा कि जो टिकाऊ है वह टिका है और जो बिकाऊ है वह बिका है।

उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा दलबदल के बाद अब तक कांग्रेस के 31 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं।

सचिन बिड़ला के भाजपा में शामिल होने से भाजपा को खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव में फायदा मिल सकता है।

सचिन बिरला जिस बड़वाह सीट से विधायक हैं वह खंडवा संसदीय क्षेत्र में ही आती है। बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में सचिन का काफी प्रभाव है। इसके अलावा सचिन का पाला बदलना मालवा क्षेत्र में कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।


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