देश को इंदौर दिखाए रास्ता


कोई ऐसे घी, तेल और मसाले का उपयोग नहीं करेंगे, जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो। यह शपथ मुंहजबानी नहीं है। 400 व्यापारी यह शपथ बाकायदा 50 रु. के स्टाम्प पेपर पर नोटरी करवाकर ले रहे हैं।



इंदौर के कुछ प्रमुख व्यापारियों ने कल एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसका अनुकरण देश के सभी व्यापारियों को करना चाहिए। इंदौर के नमकीन और मिठाई व्यापारियों ने शपथ ली है कि वे अपने बनाए नमकीनों और मिठाइयों में किसी तरह की मिलावट नहीं करेंगे।  वे इनमें कोई ऐसे घी, तेल और मसाले का उपयोग नहीं करेंगे, जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो। यह शपथ मुंहजबानी नहीं है। 400 व्यापारी यह शपथ बाकायदा 50 रु. के स्टाम्प पेपर पर नोटरी करवाकर ले रहे हैं।

इन व्यापारियों के संगठनों ने घोषणा की है कि जो भी व्यापारी मिलावट करता पाया गया, उसकी सदस्यता ही खत्म नहीं होगी, उसके खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई भी होगी। व्यापारियों पर नजर रखने के लिए इन संगठनों ने जांच-दल भी बना लिया है लेकिन मप्र के उच्च न्यायालय ने जिला-प्रशासन को निर्देश दिया है कि किसी व्यापारी के खिलाफ थाने में रपट लिखवाने के पहले उसके माल पर जांचशाला की रपट को आने दिया जाए। एक-दो व्यापारियों को जल्दबाजी में पकड़कर जेल में डाल दिया गया था।

नमकीन और मिठाई का कारोबार इंदौर में कम से कम 800 करोड़ रु. सालाना का है। इंदौर की ये दोनों चीजें सारे भारत में ही नहीं, विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। इनमें मिलावट के मामले सामने तो आते हैं लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। महीने में मुश्किल से 8-10 ! लेकिन इन संगठनों का संकल्प है कि देश में इंदौर जैसे स्वच्छता का पर्याय बन गया है, वैसे ही यह खाद्यान्न शुद्धता का पर्याय बन जाए।

इंदौर के व्यापारी लगभग 50 टन तेल रोज़ वापरते हैं। इनमें से 40 व्यापारी अपने तेल को सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल करते हैं। इस्तेमाल किए हुए तेल को वे बायो-डीजल बनाने के लिए बेच देते हैं। यदि सारे देश के व्यापारी इंदौरियों से सीखें तो देश का नक्शा ही बदल जाए। इंदौर के व्यापारियों ने अभी सिर्फ खाद्यान्न की शुद्धता का रास्ता खोला है, यह रास्ता भारत से मिलावट, भ्रष्टाचार और सारे अपराधों को लगभग शून्य कर सकता है।

इसने सिद्ध किया है कि कानून से भी बड़ी कोई चीज है तो वह है— आत्म-संकल्प! देश के करोड़ों लोग शराब नहीं पीते, मांस नहीं खाते, व्यभिचार नहीं करते तो क्या यह सब वे कानून के डर से नहीं करते ? नहीं। ऐसा वे अपने संस्कार, अपने संकल्प, अपनी पारिवारिक पंरपरा के कारण करते हैं। यदि देश के नेता और नौकरशाह भी स्वच्छता की ऐसी कोई शपथ ले लें तो इस देश की गरीबी जल्दी ही दूर हो जाएगी, भ्रष्टाचार की जड़ों में मट्ठा डल जाएगा और भारत महाशक्ति बन जाएगा।





Exit mobile version