अब सत्ता की नज़रों में गांधी दारिद्र्य, दारुण्य और दया का प्रतीक बन कर रह गए हैं। उसके लिए फ़ाइव ट्रिलियन की इकानमी में प्रवेश करने वाले राष्ट्र को इस तरह के प्रतीकों…
ख़ैरियत है कि अभी महात्मा गाँधी के ख़िलाफ़ बीजेपी खुलकर बोल नहीं रही है, लेकिन नाथूराम गोडसे को प्रतिष्ठित करने की कोशिश तो स्पष्ट है।
राहुल गांधी कांग्रेस के पक्ष में 1980 का इतिहास दोहरा सकते हैं। सूरत की निचली अदालत के फ़ैसले के बाद राहुल गांधी ने सरकार की ओर अंगुली उठाते हुए कहा भी था :…
क्या कांग्रेस अब बीजेपी के चुनावी हथकंडों का इस्तेमाल उसके ही खिलाफ कर रही है? क्या इससे कांग्रेस को फायदा होगा? क्या बीजेपी के पास इसका कोई जवाब है? इन सवालों का सही…
क्या अतीक के साथ यूपी में जंगलराज को भी उम्रकैद की सज़ा होगी? इस सवाल का जवाब मिलना अभी बाकी है।
ऊपर की अदालतों के द्वारा अगर सूरत की सज़ा में किसी भी तरह की राहत नहीं दी जाती है तो 22 अप्रैल के बाद के दो सालों के लिए राहुल गांधी के नए…
अगले दो महीने से भी कम समय में कर्नाटक विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव नतीजे ही इन सवालों का सटीक जवाब होंगे।
भारत में सत्ता पाने का सीधा माध्यम चुनाव में जीत हासिल करना होता है। इसलिए सबसे पहले जरूरत होती है कि चुनाव को प्रभावित किया जाए या यूं कहें उसे अपने कब्जे में…
इंदौर की गुल्लक धीरे-धीरे ख़ाली हो रही है। कुछ सिक्के जैसे कि गोकुलोत्सव जी महाराज और नरेंद्र सिंह तोमर या डॉ वैदिक के कवि-मित्र सरोजकुमार अभी शहर के पास हैं।
क्या मोदी के बाद देश का सबसे बड़ा नेता इनमें से ही कोई एक होगा? इन सवालों का जवाब तो वक्त के साथ ही मिलेगा।
आपकी समृतियों का संसार हम सबको जीवनभर प्रेरणा देता रहेगा। आपसे विदा लेना सम्भव नहीं है। आपसे सुखद स्मृतियों में ही सही मिलना होता रहेगा। लव यू बाबा।
महबूबा मुफ्ती दिखावे के लिए नहीं बल्कि मन से और विचार से यदि बदलना चाहती हैं तो उनको हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए.
बीजेपी के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना आसान नहीं मालूम पड़ रहा है और कांग्रेस इस हथियार को चुनावी लाभ के लिए उपयोग करने में कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहती.
लोकतंत्र में कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल का टिके रहना जरूरी है. दूसरे राज्यों में कांग्रेस जिन हालातों में पहुंच गई है अगर वही हालात मध्यप्रदेश में अगले चुनाव में भी बन गए तो…
कौन थे ऐसे नागरिक-सहयात्री जो कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ उस विमान में रायपुर तक यात्रा करने की जोखिम उठा रहे थे ? क्या वे वही थे जो राहुल गांधी को उनकी…
उनका जाना किसी मशाल का बुझ जाना नहीं है? बल्कि उनका जाना किसी पावर हाउस का चला जाना है। वे दीपक नहीं थे, भटके हुए जहाजों को रास्ता दिखाने वाले लाइटहाउस थे।
बटवारे के बाद, मुस्लिम समुदाय के समक्ष पेश चुनौतियों और अस्तित्व पर मंडराते खतरे ने हमें एक बहुत सशंकित सांस्कृतिक समूह में बदल दिया. अपनी सांस्कृतिक पहचान को बचाने की चिंता हमारी राजनीतिक…
देश में इस समय बहस चल रही है कि राहुल गांधी अपनी लंदन यात्रा के दौरान एक विदेशी ज़मीन से प्रधानमंत्री पर प्रहार कर भारत की छवि को कमजोर कर रहे हैं। पिछले…
केजरीवाल हरेक मौक़े पर केंद्र के एजेंडे के साथ ही खड़े नज़र आए। भाजपा से लड़ने के लिए विपक्षी दलों के बीच एकता की कोशिशों से भी वे हमेशा दूरी बनाते हुए दिखे।
व्यापम की लड़ाई आशीष चतुर्वेदी या आनंद राय की लड़ाई नहीं है। मेरी जमीन किसी ने नहीं ले ली। यह मध्य प्रदेश के हर उस व्यक्ति की लड़ाई है जिसका परिवार इससे प्रभावित…