अभी अंतिम रूप से स्थापित होना बाक़ी है कि डॉनल्ड ट्रम्प हक़ीक़त में भी राष्ट्रपति पद का चुनाव हार गए हैं। इस सत्य की स्थापना में समय भी लग सकता है जो कि…
यह भयावह निगरानी पूंजीवाद हमारे चारों तरफ व्याप्त है। इसकी भयानकता को समझने में बड़े बड़े बुद्धिजीवी भी चूक कर रहे हैं।
जब लोकतंत्र के रास्ते से एक कमअक्ल, मूर्ख और सनकी आदमी किसी देश की सत्ता पर काबिज हो जाता है तो वही होता है जो अमेरिका में हुआ है। रिपब्लिकन पार्टी की हार…
सरकार ने मान लिया कि जनता सिर्फ़ उसी के साथ है। जो लोग आंदोलनकारियों के साथ हैं वह जनता ही नहीं है। सरकार अब जो चाहेगी वही करेगी। वह ज़रूरत समझेगी तो देश…
मुमकिन है इस नए साल की सुबह हर बार की तरह बहुत सारे लोगों से मिल या बातें नहीं कर पाए हों। हम जानते हैं कि खिलखिला कर ख़ुशियाँ बिखेरने वाली कुछ आत्मीय…
ईसा मसीह के जन्मदिन पच्चीस दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण इस बार इतना ज़्यादा क्यों किया गया? अटलजी का जन्म भी 25 दिसम्बर के दिन ही हुआ…
भारतीय जनता पार्टी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया एक तरह से विजय की शील्ड हैं। पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस मुक्त भारत चाहते थे और इसके लिए प्रयास भी कर रहे थे। साल 2014…
केवल एक औरत को न्याय मिलने में लगभग तीन दशक लग गए। इस दौरान वह सब कुछ हुआ जो हो सकता था।जैसा कि कठुआ, उन्नाव, हाथरस और अन्य सभी जगह हो रहा है।एक…
यह सुझाव जिसने भी दिया वह सरसरी तौर पर तो सराहनीय लगता है पर इसके प्रैक्टिकल क्रियान्वयन को लेकर सोचिए कि क्या-क्या होगा, हर कार्यक्रम में बेटी कौन, किस जाति और वर्ग की…
हालात ऐसे ही रहे तो एक दिन स्थिति ऐसी भी आ सकती है कि लोग संसद की ज़रूरत के प्रति ही संज्ञा शून्य हो जाएँ , वे संसद की ओर कान लगाकर कुछ…
एलएस हरदेनिया। आजादी के बाद दो महाआंदोलन हुए जिनके सामने तत्कालीन केंद्रीय सरकारों को झुकना पड़ा। इनमें से पहला आंदोलन 1956-57 में हुआ था और दूसरा 1965 में। पहले आंदोलन का संबंध महाराष्ट्र…
ज्यादा अहम बात यह है कि भारत की खेती के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश और निर्यात बाज़ारों पर अधिक निर्भरता देश की खेती में फसलों के चयन को बदल देगी। इससे…
कई विद्वान मानते हैं कि इन बिलों के अधिकांश प्रावधान किसान विरोधी नहीं बल्कि उनके हित में हैं । आढ़तिये कोई दूध के धुले नहीं हैं । महाजनों द्वारा बही खातों में अंगूठा…
नरेंद्र मोदी आंख बंद करके निगम पूंजीवाद की प्रक्रिया को अंधी गति प्रदान करने वाले प्रधानमंत्री हैं। वे सत्ता की चौसर पर कारपोरेट घरानों के पक्ष में ब्लाइंड बाजियां खेलते और ताली पीटते…
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भले “लव जिहाद” और “गायों” की चिंता में दिखाई पड़ रही हो लेकिन ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में ऐसे असल मुद्दों की कमी है जिसपर ध्यान देने की…
सरकार कह रही है कि ऐतिहासिक कानून है, किसानों को बिचौलियों से आजादी मिलेगी, आय दोगुनी हो जाएगी, तो किसान आखिर क्यों नहीं इस पर विश्वास कर रहे? क्योंकि ऐसे वादे बहुत सरकारों…
बेशक मैं फिलहाल इन सब सावधानियों जैसे सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना को जारी रखने के पक्ष में हूं , पर अब हमें इसकी लागत के बारे में भी बात करना चाहिए ।…
हाल के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के महागठबंधन की बहुत कम अंतर से हार हुई। विश्लेषक अब भी इस प्रश्न से जूझ रहे हैं कि आरजेडी की आमसभाओं…
सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।बातचीत होगी भी पर तय नहीं कि नतीजे किसानों की मांग के अनुसार ही निकलें।अपवादों को छोड़ दें तो सरकारें किसी ख़ास संकल्प के…
वास्तव में संविधान सभा में मजदूरों और किसानों के मुद्दों पर बहुत ही कम बात हुई, विशेषकर उन्हें विधान में समाहित करने के मुद्दे पर। 19 अगस्त 1949 को मद्रास का प्रतिनिधित्व कर…