इसमें रवीश कुमार का दर्द भी छलकता नज़र आया है, जब वह बड़ी आजिजी से पूछते हैं कि ‘इस भयंकर ‘इकनॉमिक क्राइसिस; में भी मोदी के खिलाफ ‘एंटी-इनकंबेंसी’ क्यों नहीं है, और ममता…
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले की एक बड़ी घटना हुई। नक्सलियों ने अपनी क्रूर कुटिल योजना से बाईस जवानों को शहीद कर दिया और एक जवान पकड़ कर ले गये। तीन दिन बाद पंचायत…
प्रियतमा के नाम एक खत, जो जिंदगी के किसी मोड़ पर छूट गई या छोड़कर चली गई। बस उसे याद करते हुए एक काल्पनिक पत्र। पढ़िए सतना से दीपक गौतम की कलम से।
लोगों की यह जानने की भारी उत्सुकता है कि बंगाल चुनावों के नतीजे क्या होंगे ? ममता बनर्जी हारेंगी या जीत जाएँगी ? सवाल वास्तव में उलटा होना चाहिए। वह यह कि बंगाल…
पढ़ें सतना से दीपक गौतम की कलम से कि "जनता कर्फ्यू" के ठीक बाद लगे पहले लॉकडाउन के वक्त जिंदगी कैसी थी। आज एक साल बाद हम कोविड-19 की वैक्सीन के डोज ले…
मुझे जहाँ की गर्द में मत ढूंढना प्यारे। मैं जब नहीं रहूँगा तो गाँव की उसी ‘सुनहरी-भस्म’ के साथ उड़ता मिलूँगा, जिसे तुम धूल कहते हो। चाय के इसी मयकश प्याले में सदा…
इस शर्मनाक घटना पर देश की संसद में कोई सवाल नहीं पूछा जाता। कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से भी नहीं ! न ही सरकार के किसी मंत्री को महात्मा गांधी के ‘वैष्णव जन…
2011-12 में इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दी और इसे दुनिया की तीन सर्वश्रेष्ठ जल प्रबंधन परंपराओं में से एक माना, पर हमने इन परंपराओं से कुछ सीखने की जहमत…
अभी आपने पढ़ा था गाँव की "प्रेम-पाती" के शक्ल में गाँव का मार्मिक सन्देश। अब पढ़िए गाँव की उसी चिट्ठी का जवाब सतना से दीपक गौतम की कलम से।
इस संसार में कोई ऐसी आत्मा नहीं है, जो मेरी छुअन या स्पर्श से वंचित हो। तुम हौले से अपने जी के किंवाड़ खोलकर तो देखो, मैं तुम्हारे अंदर न जाने कब से…
राहुल ने दूसरी बात यह कही कि कांग्रेस अगर भाजपा को हरा दे तब भी उससे मुक्त नहीं हो पाएगी। वह इसलिए कि संघ की विचारधारा वाले लोगों का पूरे व्यवस्था-तंत्र पर क़ब्ज़ा…
सरकारों के लिए परिवर्तन एक निरंतर चलने वाली प्रकिया है। इस प्रक्रिया के पूरा करने की कोशिश में कई बार व्यक्ति को ही राष्ट्र बन जाना पड़ता है। स्टेडियम का नया नाम भी…
दिनचर्या और रिश्तों का बबल , धीरे-धीरे विचार का बबल भी तो बन सकता है । इन दिनों लोग एक ही विचार के साथ रहना चाहते हैं। सोशल मीडिया भी इसमें हमारी मदद…
कांग्रेस में अगर ज़रा भी शर्म बची हो और अपनी ही राजनीतिक विचारधारा के प्रति सम्मान बचा हो तो उसे यह फ़ैसला पलटना चाहिए। बाबूलाल से कहना चाहिए कि वह कुछ गांधी को…
आरएसएस के प्रचारक रहे चिंतक गोविंदाचार्य की किसान आंदोलन और सरकारी संपत्तियों को बेचने को लेकर राय कुछ अलग है। वे यहां सरकार की कुछ ख़ामियां भी गिनाते हैं। उनकी नज़र में सरकार…
दुनिया की कोई भी ताक़त अभी तक कोई ऐसा ‘टूलकिट’ नहीं बना पाई है जो निहत्थे नागरिकों के अहिंसक प्रतिकार को विश्वव्यापी होने से रोक सके। सर्वशक्तिमान अंग्रेज भी गांधी के ख़िलाफ़ ऐसा…
बाबा नागार्जुन, मैथिलीशरण गुप्त, शिवमंगल सिंह सुमन जैसे साहित्यकार और कवियों की कविताएं गंभीर हैं जो मन को अंदर तक भेदती हैं।
अनाड़ी बलम और नादान सजनी क्या यह जानते हैं कि आज यह इज़हार और इकरार करते ही वे दुनिया के सबसे जटिल रिश्ते में दाखिल हो रहे हैं ।
प्रियंका जानती हैं कि गंगा प्रयागराज से ही मोक्षदायिनी नगरी काशी (वाराणसी) भी पहुँचती है।
कोई ऐसे घी, तेल और मसाले का उपयोग नहीं करेंगे, जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो। यह शपथ मुंहजबानी नहीं है। 400 व्यापारी यह शपथ बाकायदा 50 रु. के स्टाम्प पेपर पर नोटरी…