उत्तर भारत के लोग नंदीग्राम के बाद ममता का कांग्रेस के ख़िलाफ़ चण्डी पाठ प्रारम्भ करने का सही कारण तलाशना चाह रहे हैं।
सरकारें जब सत्ता की बंधक हो जाती हैं तो जनता को भी बंधुआ मज़दूर मानने लगती है।
कंगना अब एक व्यक्ति से ऊपर उठाकर एक ‘प्रयोग’ बन गईं हैं। वे चाहें तो ‘मेरे असत्य के प्रयोग’ शीर्षक से अपनी आत्मकथा भी लिख सकतीं हैं।
भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है कि चुनाव तो पाँच राज्यों में होने जा रहे हैं पर दिल्ली बैठक में सिर्फ़ योगी ही उपस्थित/आमंत्रित थे।
अदालत ने सरकारी रवैए की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उसे कुछ भी उटपटांग काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
मूलतः कन्नड़ भाषी पर अनेक देसी-विदेशी भाषाओं के जानकार सुब्बाराव जी की विशेषता यही थी कि वे लगातार चलते रहते थे।
सुब्बाराव गांधीवादी थे लेकिन उन्हें संघी वर्दी पसंद थी। हाफ पेंट और भक्क सफेद बिना कलफ की कमीज जिंदगी भर उनसे चिपकी रही। उन्होंने जघन्य अपराध करने वाले डाकुओं का दिल जीता तो…
सरसरी तौर पर देखा जाए तो असली हितधारक या अंग्रेजी में कहें तो स्टैक्होल्डर को पुनः छला गया है। जब तक उन्हें सच मालूम पड़ता कि उनकी मांग को एक दूसरी दिशा में…
अमीर इसी तरह अरबपति होते रहे और गरीब और ज़्यादा गरीब तो किसी दिन वैज्ञानिकों को ऐसा टीका भी ईजाद करना पड़ सकता है जो सौ करोड़ नागरिकों को भूख के ख़िलाफ़ भी…
अधिनायकवाद बिना दस्तक दिए ही दाखिल होता है।
सत्ता की राजनीति ने गांधी के ऐतिहासिक अहिंसक ‘डांडी मार्च‘ को हिंसक ‘डंडा मार्च’ में बदल दिया है।
लोगों की आँखों में लोकतंत्र के सपने भर देने के बाद उन्हें फिर से अतीत की अंधेरी गुफाओं में धकेल दिया जाए। अफगानिस्तान में यही हो रहा है।
इस समय के डर का सम्बन्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचलित कर देने वाले ‘मौन’ और आलोचकों में अप्रत्याशित घबराहट पैदा करने वाले उनके ख़ौफ़ से भी है।
शनिवार को करनाल में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर हुआ था लाठी चार्ज
’स्मृति दिवस’ किस-किस विभीषिका के मनाए जाएँगे?
सत्ता का सम्पूर्ण विकेंद्रीकरण चाहे कभी भी सम्पन्न नहीं हो पाए, आंतरिक विभाजन का विकेंद्रीकरण लगातार होता रहेगा।
अफगानिस्तान दुनिया के तमाम खूबसूरत देशों में से एक था लेकिन यहां एक तरफ बारूद का धुंआ उड़ता रहा हौर दूसरी तरफ लोकतंत्र की पौध रोपने की कोशिश की जाती रही।
शासकों को हक़ हासिल रहता है कि वे अपनी जनता के नाम, पते, और कामों को देश की ज़रूरत के मुताबिक़ बदल सकें।
लखनऊ में जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में तमाम मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी से उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की लंबी बातचीत हुई। प्रस्तुत हैं…
नागरिकों के मन की यह बात प्रधानमंत्री के कानों तक पहुँचना ज़रूरी है कि सरकार और विपक्ष दोनों को ही समान तरह की जनता का समर्थन प्राप्त है जो अलिखित हो सकता है…