गांधी को समाप्त करने के लिए इतनी सारी ताक़तें एक साथ जुटी हुईं हैं और उन्हें बचाने के लिए कोई संगठित प्रयास गांधी-सर्वोदय समाज या नागरिकों के स्तर पर प्रकट नहीं हो रहे…
देखना दिलचस्प होगा कि गुंडों-माफियों से मुक्ति, जातीय या धार्मिक पहचान, महिलाओं को 40% टिकट के मुद्दे में से कौन सा मुद्दा यूपी की महिलाओं को आकर्षित करने में सफल होता है।
इस संकट में भारत की दुविधा बढ़ गई है। उसे बहुत फूंक-फूंककर कदम रखना होगा। यदि भारत में आज कोई बड़ा नेता होता तो वह दोनों महाशक्तियों के बीच मध्यस्थता कर सकता था।
दुखद स्थिति यह है कि चर्च से जुड़ी हुई अधिकांश नन् या सिस्टर्स समस्त अन्याय शांत भाव से स्वीकार करती रहतीं हैं। कोई अगर विरोध की आवाज़ उठाता भी है तो अधिकांश मामलों…
नृत्य के इस आधुनिक देवता को कल की पीढ़ी एक किंवदंती मानेगी लेकिन हमारी पीढ़ी गर्व से कह सकेगी कि हमने बिरजू महाराज को देखा है। उनका नृत्य अभिनय, भाव भंगिमाओं और अंग…
आज के दौर में पत्रकारिता से लेकर वाइट कॉलर जॉब और मनोरंजन से लेकर शिक्षा जगत तक सभी जगह कॉर्पोरेट कल्चर हावी है। रिडरशिप, व्यूवरशिप, क्लाइंट, कस्टमर, यूजर बढ़ाने की अंधी दौड़ लगी…
एक बड़ा फ़र्क़ अब के मुक़ाबले तब में यह ज़रूर था कि कांग्रेस की अंदरूनी तोड़फोड़ में कोई बाहरी हाथ नहीं हुआ करता था।
मैं या मेरे परिवार का कोई सदस्य तो आज तक जावेद के सैलूनों में नहीं गए, क्योंकि हमारी हैसियत इस लायक नहीं है, किन्तु जो जाते रहे हैं वे भी अब सोचने लगे…
इस गंभीर घटना के बाद जिस तरह बचाव में बचकाने और आरोपों के रूप में जो ‘ठोकतांत्रिक’ बयान आ रहे हैं, वो दोनों ही घटना की संजीदगी को कम करते हैं। यह सही…
पंजाब के अफ़सरों को प्रधानमंत्री ने जो भी कहा होगा उसकी आधिकारिक पुष्टि होना अभी बाक़ी है। हो सकता है कि इस संबंध में प्रधानमंत्री के कुछ बोलने तक वह पुष्टि न भी…
गांधी जी की आजादी के महानायक की छवि को हो सकता है कोई षड्यंत्र भंग कर भी दे, लेकिन एक त्यागी पुरुष और महात्मा की उनकी छवि पर कितने भी दुष्प्रचार कर लिए…
अगर भारत की राजनीति में विचारधारा की प्रतिस्पर्धा को कायम रखना है तो कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को हिंदुत्व की राजनीति के खिलाफ समान्तर नैरेटिव के बारे में सोचना होगा नहीं तो उनकी…
प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के एक साक्षात्कार में इस कथन पर चिंता के साथ गौर किया जा सकता है कि 'ये लोग (धर्म संसद के वक्ता) नहीं जानते कि वे क्या कह…
हरिद्वार, आगरा से लेकर गुरुग्राम तक, त्रिपुरा से लेकर कर्नाटक तक, नमाज़ से लेकर चर्च की प्रार्थना सभा तक अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के…
हम जिस सिख समाज को अपनी आँखों का नूर मानते आए हैं वह इस तरह के भीड़-न्याय को निश्चित ही स्वीकृति नहीं प्रदान कर सकता।
नागरिकों को ऐसे कालखंड में धकेला जा रहा जो उन्हें किसी काल्पनिक मोक्ष की प्राप्ति तो करवा सकता है पर साक्षात रोटी-रोज़गार नहीं दिला सकता!
यह विजय जिस महान जनरल और युद्ध रणनीतिकार एच.एफ. मानेकशा और रॉ चीफ आर.एन. काव की रणनीति तथा रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालय के आदर्श तालमेल का परिणाम थी, उन्हें शायद ही किसी…
बिहार के जाने-माने पत्रकार जुगनू शारदेय का 15 दिसंबर को दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में निधन हो गया। वह निमोनिया से ग्रस्त हो गए थे और उन्हें वृद्धाश्रम की गढ़मुक्तेश्वर स्थित शाखा से…
इस पूरी और आगे तक चलने वाली परियोजना का संदेश भले चुनावी ही क्यों न हो, लेकिन इस सवाल को जन्म देता है कि इसके पहले किसी ने ऐसा करने का साहस क्यों…
देश के प्रतिरक्षा प्रतिष्ठानों के चेहरों पर इस दुर्घटना के कारण खिंचने वाली लकीरों को पढ़कर नागरिक राष्ट्र के सुरक्षा इंतज़ामों के प्रति कितने यक़ीन के साथ निश्चिंत हो सकेंगे ?