प्रधानमंत्री ने कहा है कि 2022 के नतीजों से 2024 के लिए संकेत मिल जाना चाहिए। सवाल यह है कि जिन संकेतों की तरफ़ मोदी इशारा करना चाहते हैं वे अगर देश की…
अपने बनाए माहौल में फंसकर इन निजी यूट्यूब चैनलों, स्ट्रीम यार्ड से चलने वाले चर्चाकार पैनलों और इनके कर्ता धर्ताओं ने मन में एक उम्मीद पाल ली। सपा सरकार आने के बाद मिलने…
महंगाई, बेरोज़गारी और कोरोना से मौतों को लेकर लोगों की नाराज़गी चरम सीमा पर है। पूछा जा रहा है कि अपने कामों को लेकर भाजपा अगर इतनी ही आश्वस्त थी तो यूक्रेन सहित…
‘भारत भारती’ जैसी प्रसिद्ध काव्यकृति के रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त ने वर्ष 1912-13 में जो सवाल किया था वह आज भी जस का तस क़ायम है :’ हम कौन थे क्या हो गये हैं…
इतिहास और भूगोल का कुछ ऐसा संयोग बना है कि यूक्रेन और यूपी एक ही समय पर घटित हो रहे हैं, हालाँकि दोनों स्थानों के बीच पाँच हज़ार किलो मीटर से अधिक की…
चौकसे जी अगर अपना कॉलम नहीं लिखते तो दीन-दुनिया को कभी पता ही नहीं चल पाता कि फ़िल्मों के निर्माण ,उनके कथानक और उन्हें बनाने वालों की निजी जिंदगियों को परदों में क़ैद…
सरकारों से उनके कामों को लेकर सवाल करने से रोकने का अधिनायकवादी तरीका यही है कि शोषित समाजों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाए।
यदि इन्हें न रोका गया तो कलिकाल में न राम अछूते रहेंगे और न रविदास। सबका सियासी इस्तेमाल होगा। आपकी आप जानें, मैंने तो अपने ‘मन की बात’ कह दी। आज मुझे यही…
जेपी आंदोलन के चलते पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक उथल पुथल मची थी। ऐसे दौर में बेहतर जिंदगी की तलाश में भटकते युवा इस डिस्को संगीत की ओर तेजी से आकर्षित हुए।
मोदी ने वर्ष 2001 में गुजरात विधान सभा में पहली बार प्रवेश मुख्यमंत्री के तौर पर ही किया था और फिर गांधीनगर से सीधे संसद में भी प्रधानमंत्री के तौर पर ही दाखिल…
‘विश्व गुरु’ बनने जा रहे भारत देश के प्रधानमंत्री को अगर अपना बहुमूल्य तीन घंटे का समय सिर्फ़ एक निरीह विपक्षी दल के इतिहास की काल-गणना के लिए समर्पित करना पड़े तो मान…
मेरी अब तक की कुल जमा जिंदगी का "प्रेम" ही हासिल है। यही मेरी असल पूँजी है। इसलिए मैं मेरी मिल्कियत से तुम्हें ये प्रेम की अपार सम्पदा ही सौंप पाऊंगा। शेष अगले…
लता जी, आप चाहे सशरीर अब हमारे बीच न रही हों, लेकिन हमारी आत्मा के तारों को झंकृत करने वाले अपने संगीत की अमृत-विरासत आप हमें सौंप गई हैं। हम धन्य हुए जो…
ये सवाल इसलिए क्योंकि बात केवल सुस्वरा होने की नहीं है, परफेक्शनिस्ट होने की भी नहीं है और कला की धर्म और मर्मध्वजा लहराने की तो बिल्कुल भी नहीं है। बात जहां से…
जब नेता का जमीर ही नीलामी पर हो, तो केवल जनता ही उसे दंड दे सकती है। लेकिन अफसोस कि जनता खुद अपने जमीर को तलाश रही है और नेताओं की सत्यनिष्ठा पर…
ऐसे मामलों में नैतिकता का क्या तकाजा हो सकता है जिनमें विदेशी संसाधनों की मदद लेकर स्थापित लोकतंत्र की बुनियादों को कमजोर करने की नियोजित कोशिशें की जातीं हों?
आमतौर पर बजट में वित्त मंत्री ट्वेंटी ट्वेंटी क्रिकेट की तरह राहतों और तोहफों के चौके छक्के मारना पसंद करते हैं। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने शायद टेस्ट मैच की मानसिकता से…
प्रिय मुनिया, आज तुम्हें इस कायनात में कदम रखे हुए पूरे तीन दिन होने वाले हैं। 27 जनवरी की शाम 7.23 बजे तुमने इस खूबसूरत दुनिया में अपनी आँखें खोली हैं। ये वो…
आग्रह, दुराग्रह और पूर्वाग्रह पत्रकारिता के ऐसे नासूर हैं जिनको त्यागे बिना आप कभी अपने पेशे से न्याय नहीं कर सकते। पर दुर्भाग्य से समकालीन पत्रकारिता में इसकी बहुतायात है।
कपड़ों के मामले में विदेशों के नेता भी साहसी नहीं होते। चीन के हों चाहे अमेरिका के, रूस के हों या आस्ट्रेलिया के, सबके पास एक जैसे कपड़े होते हैं। विविधता के मामले…