-- हम इस वक्त एक नए क़िस्म के साम्राज्यवाद से मुख़ातिब हैं।इस साम्राज्यवाद में दूसरे मुल्कों पर जीत नहीं हासिल करना पड़ती।कहा जा रहा है कि पहले देश के अंदर ही साम्राज्य का…
राजनीति इस समय सत्ता की सूनामी की चपेट में है और हार्दिक पटेल जैसे युवा नेता भाग्य-परिवर्तन के लिए किसी शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा करते हुए अपनी महत्वाकांक्षाओं को तबाह होता नहीं देखना…
इस योजना का मुख्य लाभार्थी प्रदेश की कन्याएँ हैं, जिनके लिए दो दशकों से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद मामा की भूमिका में पेश करते आए हैं। कन्या, वर, विवाह, दहेज़,…
‘रिपोर्टर्स सां फ़्रंटीयर्स (आरएसएफ)’ नामक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थान ने भारत में मीडिया की स्वतंत्रता के पतन के लिए सिर्फ़ सरकार को दोषी ठहराया है। संस्थान ने यह नहीं बताया है कि अपनी आज़ादी…
इतिहासकारों के मूल्यांकनों में सम्भवतः यह भी शामिल रहेगा कि अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के प्रति किस तरह का स्पष्ट सम्मान या अप्रत्यक्ष असम्मान उन्होंने पराई ज़मीनों पर दर्शना उचित समझा।
सेवा-निवृत्त नौकरशाहों, राजनयिकों, विधिवेत्ताओं का मानना है कि नफ़रत की राजनीति के आरोप अगर वास्तव में सही हैं तो प्रधानमंत्री को चिट्ठियाँ नागरिकों के द्वारा लिखी जानी चाहिए और वे ऐसा नहीं कर…
कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को अभी सूझ नहीं पड़ रही है कि वे प्रशांत किशोर के नहीं जुड़ने की खबर पर दुःख मनाएँ या एक दूसरे को बधाई देते हुए मिठाई बाँटें!
लोकतांत्रिक देशों में सियासी पार्टियां इन सोशल मीडिया की लोगों तक सीधी पहुंच को असरदार माध्यम मानकर काम करती हैं, लेकिन हकीकत में वो स्वयं भी एक खास एजेंडे की भागीदार बन जाती…
हम चुपचाप खड़े देख रहे हैं कि हिंदू बहुमत का उपयोग देश में लोकतंत्र को मज़बूत करने के बजाय भारत को एक हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए किया जा रहा है।
प्रशांत इस बार कोई सेलिब्रेटेड पीआर मैनेजर के तौर पर नहीं बल्कि नेता की तौर पर कांग्रेस में आ रहे हैं, एक बिना जनाधार वाले नेता, उनके भविष्य पर कांग्रेस के ओल्ड गार्ड…
संसद और विधान सभाओं में आपराधिक रिकार्ड वाले सदस्यों की वर्तमान संख्या को अभी शायद पर्याप्त नहीं माना जा रहा है !
राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल. एस. हरदेनिया और प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री शैलेन्द्र शैली ने संयुक्त रुप से इन जुलूसों पर ही प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
प्रशासनिक दृष्टि से ताकतवर माने जाने वाले प्रदेश में उपद्रवी तत्व अशांति फैलाने में कैसे सफल हो गए ? क्या इसे जनता के स्तर पर हुई चूक मान लिया जाए ?
राजेंद्र माथुर यानी एक ऐसा सम्पादक जिसके पास सिर्फ़ एक ही चेहरा हो, जिसकी बार-बार कुछ अंदर से कुछ नया टटोलने के लिए पल भर को हल्के से बंद होकर खुलने वाली कोमल…
वे तमाम विपक्षी दल जिनका एकमात्र उद्देश मोदी को सत्ता से हटाना है उन्हें अपनी नींद के घंटे कम करना पड़ेंगे और जनता के साथ एंगेजमेंट बढ़ाना होगा।
नफ़रत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में।14 अगस्त को ‘विभाजन…
सामाजिक विषयों को लेकर भी अगर बेहतर विजन के साथ फिल्म बने, तो वो बॉक्स ऑफिस पर भी सफल हो सकती है और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान भी दे सकती है।
प्रिय मुनिया, …
सवाल आख़िर में यही रह जाता है कि फ़िल्म को बनाने में लगाई गई इतनी मेहनत के बाद भी कश्मीरी पंडितों की संघर्षपूर्ण ज़िंदगी को घाटी में वापस लौटने का सुख प्राप्त हो…
देश में गांधी की मूर्तियाँ तोड़ी जा रहीं हैं, गोडसे की खड़ी की जा रहीं हैं, बापू के आश्रमों को राष्ट्रवाद के थिएटरों में बदला जा रहा है, ‘हिंद स्वराज’ के पन्नों को…