जिम्मेदार और जवाबदार पदों पर बैठे हुए लोग कई बार स्टडी के नाम पर ऐसी बात कह जाते हैं जिससे बड़ी कोई स्टुपिडिटी नहीं हो सकती। बयानों से विवादों में अक्सर राजनेता घिरते…
जब भी कोई चीज बनाई जाती है तब उसके दूरगामी परिणामों को ध्यान रखा जाता है। कई बार ऐसी गलतियां हो जाती है जो वक्त के साथ ही समझ आती हैं। मोदी सरकार…
मोदी ने गहलोत को अपना सीनियर क्या बताया, सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की तुलना गुलाम नबी आजाद की मोदी द्वारा की गई तारीफ से कर दी।
नशामुक्ति जरूरी है लेकिन जागरुकता के साथ। होश में रहते हुए मदहोश होना भी गुनाह नहीं है और मदहोश रहते हुए होश और जोश भी नुकसान ही पहुंचाता है।
सैकड़ों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार इस घटना को हादसा माना जाए या हत्या? इसे ‘एक्ट ऑफ़ गॉड’ कहा जाए या इसे ‘एक्ट ऑफ़ गवर्नमेंट’ माना जाए? इस हादसे की अंतहीन राजनीतिक…
सच्चे इतिहास को एक मजार बनाकर सेक्युलरिज्म की चादर डाल दी गई। फिर अपने भूले-बिसरे सच को जानने की कोई जरूरत ही नहीं थी।
जितने लोग इस वेबसाइट को लेकर बीते हफ्ते परेशान रहे वे किसी मेहताब को नहीं जानते। वे लीडर को जानते हैं। और उन्हें पूरे सिस्टम पर टीका-टिप्पणी करना आसान हो जाता है।
राहुल गांधी ने 2013 में नई दिल्ली में आयोजित अनुसूचित वर्गों के सशक्तिकरण के कार्यक्रम में दिये गए भाषण में कहा था कि कांग्रेस के पास ऐसे 40-50 दलित नेता होने चाहिए जिनके…
हांगकांग की जेल में बंद मीडिया उद्योगपति जिमी लाइ एक मानवाधिकार सर्मथक हैं जिन्हें आठ हजार मील दूर वर्जीनियरा से बच्चों का सर्मथन मिल रहा है।
आजाद भारत में अपार लोकप्रियता के बावजूद पंडित नेहरू ने इस बात पर पूरा ध्यान दिया कि विपक्ष मजबूत बने और जनता के सामने हमेशा चुनने के लिए कुछ बेहतर विकल्प हो।
भारत में सत्ता संघर्ष के लिए राजनीति समझी जा सकती है लेकिन इसके लिए विदेशी धरती और विदेशी ताकतों का उपयोग भारतीय राजनीति के लिए शर्मनाक ही कहा जाएगा।
सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए जिससे कि जातियों के बीच खाई बढ़े। दलित राजनीति आज चुनावी नजरिए से हाशिए की तरफ जा चुकी है। दलितों के नाम…
क्या नफरत की बात लगातार उठाकर प्रेम की भावना पैदा हो जाएगी? बल्कि इसका उल्टा असर होने की संभावना हो सकती है। भाषणों से नहीं आचरण से नफरत मिटाने के प्रयास करने होंगे।
महापुरूषों की स्मृति और मूल्यांकन से ही कोई समाज ऊर्जा ग्रहण कर निखर सकता है। हालांकि मौजूदा उपभोक्तावादी दौर में इन चीजों के प्रति अनास्था है। ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर राममनोहर लोहिया के…
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में 1944 में कहा था :’आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती…
इस जगत में हमारे शरीर की पिक्चर का डिस्प्ले महाकाल की कृपा के बिना संभव है क्या? इतने विराट स्वरूप को सोशल मीडिया की डीपी में कैसे सीमित किया जा सकता है?
मुक्तखोरी को बढ़ावा मनुष्यता को ही बर्बाद कर रहा है। कर्म के बदले अकर्म को प्रोत्साहित करना देश का बहुत बड़ा नुकसान करना है।
इस बार की गांधी जयंती (2 अक्टूबर) को समाज के तो कोई कार्यक्रम होते नहीं दिखाई पड़े लेकिन राजनीतिक कार्यक्रम पूरे देश में, हर राज्य में गांधी पर राजनीतिक दावेदारी पुख्ता करने के…
राजीव गांधी की हत्या के बाद के दौर में भी कांग्रेस बिखरती दिख रही थी तब सोनिया गांधी ने ही आगे आकर न सिर्फ कांग्रेस को मजबूत किया था बल्कि सत्ता तक भी…
हमारे शिखर पुरुषों ने नागरिकों को स्वतंत्रता संग्राम के नए नायक और स्व-रचित इतिहास के पन्ने सौंप दिए हैं। जासूसी के आयातित उपकरणों के मार्फ़त नागरिकों पर नज़र भी रखी जा रही है…