योगी, अखिलेश और प्रियंका गांधी की इस राजनीति से यूपी का एक फायदा तो तय है!


देखना दिलचस्प होगा कि गुंडों-माफियों से मुक्ति, जातीय या धार्मिक पहचान, महिलाओं को 40% टिकट के मुद्दे में से कौन सा मुद्दा यूपी की महिलाओं को आकर्षित करने में सफल होता है।


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योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की उम्र लगभग बराबर है लेकिन, तीनों की राजनीति में जमीन-आसमान का फर्क है। हालांकि, इससे यूपी को एक बड़ा फायदा हो रहा है।

कांग्रेस (Congress) ने यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022 ) के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है जिसमें 125 में से 50 महिलाएं हैं। महिलाओं में भी 36% दलित महिलाएं हैं। सूची जारी करते हुए प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने कहा कि यह ‘नई राजनीति’ की शुरुआत है।

यूपी में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों और मंत्रियों की अन्य दलों में जाने की चर्चा के बीच यह खबर दब सी गई लेकिन, क्या यह सच में नई तरह की राजनीति की शुरुआत है?

इन 3 बदलावों के चलते राजनीति में बढ़ा महिलाओं का महत्व

हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में बताया गया कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2% हो गई है। यानी, भारत में महिलाएं औसतन दो शिशुओं को जन्म दे रही हैं। महिला साक्षरता दर में लगातार सुधार हो रहा है और महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से भारत का सामाजिक ताना-बाना तेजी से बदल रहा है।

टीवी (TV) और इंटरनेट (Internet) के आने से देश और दुनिया के बारे में जानने के लिए अब घर से बाहर जाने की भी जरूरत नहीं रही। सूचना क्रांति ने भी ग्रामीण और खासतौर पर घरों मे रहने वाली महिलाओं को सशक्त बनाया है।

जिस दल ने सबसे पहले समझा, उसे मिला सबसे ज्यादा लाभ

महिलाओं के राजनीतिक महत्व को समझने और महिला वोटरों को आकर्षित करने की राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में की। चुनाव जीतने के बाद मोदी की सरकार ने ‘उज्जवला योजना’ (मुफ्त गैस कनेम्क्शन) और ‘इज्जत घर’ (शौचालय) के निर्माण को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया।

माना जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के भारी जीत में महिला मतदाताओं ने बड़ी भूमिका अदा की। दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने ‘नल से जल योजना’ पर सबसे ज्यादा काम किया है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स तक ने सरकार की इस योजना की तारीफ की है।

केवल योजना बनाने नहीं, उसे लागू करने से हुआ फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जनता की नब्ज पहचानते हैं। उन्हें पता है कि आज भी देश के बहुत बड़े तबके तक पीने के साफ पानी की पहुंच नहीं है। इस समस्या से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है क्योंकि, पानी के लिए उन्हें घरों से दूर कुंओं, नदियों, पोखरों या तालाबों तक जाना पड़ता है।

खास बात यह है कि सरकार ने सिर्फ, आम आदमी से जुड़ी योजनाएं ही नहीं बनाईं बल्कि, उन्हें जमीन पर उतारा जिससे महिलाओं को सीधा लाभ मिला।

यूपी में पहली बार ‘आधी आबादी’ को मिला ऐसा सम्मान!

बीजेपी (BJP) के बाद महिला मतदाताओं के महत्व को समझने और खुलकर उनके पक्ष में राजनीति करने की पहल प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में यूपी कांग्रेस ने की है। यूपी में कांग्रेस का नारा ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ काफी लोकप्रिय है। प्रियंका गांधी की इस पहल से यूपी की महिलाओं मतदाताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें अपने राजनीतिक महत्व का भी अहसास होगा।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (48), यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (49) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (50) की उम्र में कोई खास अंतर नहीं है। लेकिन, तीनों की राजनीति करने के तरीके में जमीन-आसमान का फर्क है।

यह है योगी, अखिलेश, प्रियंका की राजनीति में मौलिक अंतर

एक मझे हुए राजनेता की तरह अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) यूपी में वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए जाति आधारित छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रहे हैं। अखिलेश का मानना है कि पिछली बार बड़े दलों (बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस) के साथ गठबंधन करने से उनका नुकसान हुआ इसलिए, इस बार वह छोटे दलों के साथ मिलकर बंगाल की तर्ज पर ‘खेला होबे’ की जगह ‘मेला होबे’ करके दिखाएंगे।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) गुंडो-माफियाओं को प्रदेश से खदेड़ देने और अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज जैसे धार्मिक महत्व के शहरों को उनको पुराना गौरव दिलाने की राजनीतिक कर रहे हैं।

इन दोनों के अलग प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का पूरा फोकस महिला मतदाताओं पर है। कांग्रेस (Congress) जानती है कि धर्म या जाति की राजनीति करके यूपी में पार्टी की खोई हुई जमीन वापस नहीं लाई जा सकती। यूपी में जातिगत आधार पर पिछड़े और अल्पसंख्यकों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की पैठ है और दलितों में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का व्यापक जनाधार है।

माफिया, जाति-धर्म, महिलाओं को टिकट: वोट किसे

कांग्रेस का पूरा ध्यान महिलाओं और युवाओं पर है। प्रियंका गांधी यूपी के दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के उन मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में हैं जो शिक्षित हैं और बदलाव के पक्षधर हैं।

यूपी जैसे राज्य में महिलाओं और उनसे जुड़े मुद्दों को राजनीतिक एजेंडा बनाने की कोशिश क्या रंग लाती है यह तो वक्त ही बताएगा। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं को 40% टिकट देने की कांग्रेस की इस पहल से यूपी में एक नई तरह की राजनीति जरूर शुरू हुई है।

हालांकि, देखना दिलचस्प होगा कि गुंडों-माफियों से मुक्ति, जातीय या धार्मिक पहचान, महिलाओं को 40% टिकट के मुद्दे में से कौन सा मुद्दा यूपी की महिलाओं को आकर्षित करने में सफल होता है।