राजू श्रीवास्तवः वो चेहरा, जो कभी नहीं बदला


हर आदमी का एक समय होता है। राजू श्रीवास्तव का भी समय था। उनका गुजरना उदारीकरण के पहले वाले हँसते-मुस्कुराते, संतुष्ट और सहज भारत में लोकरंजन के संभवतः आखिरी प्रतीक का जाना है।


raju srivastava passes away

राजू जी का घर लखनऊ के राजाजीपुरम में था। जब गर्मी या सर्दी की छुट्टियों में हम मामा के पास वहाँ जाया करते थे तो कोई दो सौ मीटर दूर उनके घर के बाहर लगा नेमप्लेट देख कर अचरज किया करते थे कि यह उसी आदमी का साधारण सा घर है जिसको हर नए साल की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन पर हम देखते आए हैं।

एकाध बार सुबह उन्हें टहलते हुए भी देखा था। ज़माना बदल गया, यह साधारण आदमी नहीं बदला। अपनी मूल गँवई-कस्बाई सेन्सिटिविटी लिए बिना किसी वाद-विवाद के चुपचाप गुजर गया।

राजू श्रीवास्तव को इस देश का पहला स्टैन्ड-अप कॉमेडियन कहा जा सकता है, लेकिन उनकी कॉमेडी स्टैन्ड-अप की विधा आने से बहुत पहले की थी।

उनका दर्शक हिन्दी पट्टी का कस्बाई मध्यवर्ग था, आज के स्टैन्ड-अप कामेडियनों की तरह शहरी अंग्रेजीभाषी इलीट नहीं। इसीलिए राजू भाई की कॉमेडी में अमिताभ बच्चन का बंगला देख कर विस्मित होता गजोधर आता है जो गाँव लौट के बंबई की कहानियां सुना के चौड़ा लेता है।

ऐसा ही होता था पहले, सैटेलाइट चैनल और मोबाइल ने जब तक सब धान बाइस पसेरी नहीं कर दिया। इसीलिए राजू भाई तकनीक से निर्मित नई सेन्सिटिविटी वाले मनुष्य के लिए अप्रासंगिक हो गए।

उनका अप्रासंगिक होना एक तरफ, दरअसल लोग ही बदल गए। जो लोग अस्सी-नब्बे के दशक में उन्हें देख कर निश्छल हँसते थे, वही लोग आज उन्हें मसखरा मान बैठे और नए जमाने के कलाकारों पर शिफ्ट हो गए।

समय बदल जाता है, तो ज्यादातर लोग भी बदल जाते हैं। समय के साथ गाँव बदल गए, कस्बे बदल गए, लेकिन राजू और उनके किरदार समय के साथ नहीं बदले।

समय के साथ लोगों के चेहरे, रंग ढंग भी बदलते हुए हमने देखे हैं। राजू भाई का चेहरा-मोहरा सब कुछ जस का तस बना रहा। यही उनकी ताकत थी। ज़माना इसको कमजोरी कहेगा, पर वो आदमी ही क्या जो बदल जाए!

हर आदमी का एक समय होता है। राजू श्रीवास्तव का भी समय था। उनका गुजरना उदारीकरण के पहले वाले हँसते-मुस्कुराते, संतुष्ट और सहज भारत में लोकरंजन के संभवतः आखिरी प्रतीक का जाना है।

मुझे लगता है ऐसे लोगों के काम के बहाने भारतीय समाज के चरित्र में आए बदलावों पर कुछ काम होना चाहिए पर सवाल वही पुराना है- करेगा कौन?