केंद्र के कामकाज पर नज़र रखने वाले एक वर्ग का मानना है कि संसद में विधेयकों के सफल प्रस्तुतीकरण और चुनाव प्रबंधन सहित हाल के महीनों में जिस तरह की घटनाएँ हुईं हैं,…
लाल क़िले से उद्बोधन में उनके नेतृत्व में किए गए सामरिक महत्व की उपलब्धियों के बखान के दौरान भी प्रधानमंत्री ने यह तो बताया कि सीमा क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया गया…
आश्चर्य व्यक्त किया जाना चाहिए कि गृह मंत्री ने अपने भाषण का दो-तिहाई से ज़्यादा समय प्रधानमंत्री की उपलब्धियों पर खर्च किया और प्रधानमंत्री ने उतना ही समय बजाय मणिपुर पर जवाब देने…
हत्यारे न तो गोलियों का शिकार बनने वालों का उनके कपड़ों और शारीरिक प्रतीकों के आधार पर चुनाव करते हैं और न ही अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता दर्शाने वाली कोई ‘हेट स्पीच’ देते हैं…
विनोबा भावे ने भूदान यात्रा के दौरान तेरह एकड़ ज़मीन रेलवे से ख़रीद कर साधना केन्द्र बनाया था। उद्देश्य था : राष्ट्र-निर्माण के लिए युवा रचनाकारों को तैयार करना और साहित्य प्रकाशन करना…
मणिपुर में इंटरनेट की सुविधाएँ बहाल हो जाने दीजिए ! प्रेस को आज़ाद हो जाने दीजिये ! फिर देखिए किस तरह की कितनी व्यथाएँ छप्पन इंच की छातियों को भेदती हुई वहाँ से…
विपक्ष की कोशिश सिर्फ़ मोदी सरकार नहीं, बल्कि उसकी नीतियों का विकल्प पेश करने की है। महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दों के साथ मणिपुर का ख़ास ज़िक्र संघीय ढांचे के प्रति मोदी सरकार की…
एक नए अमीर से मुलाकात हुई। यहां प्लॉट, वहां जमीन, यह व्यापार,वह इन्वेस्टमेंट बताने के साथ-साथ वह दोहराते रहे कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की , संघर्ष किया! ऐसी…
देश का ध्यान इतनी चतुराई के साथ पवित्र ‘सेंगोल’ अथवा ‘राजदंड’ विवाद में जोत दिया गया कि किसी ने पूछा ही नहीं कि नए संसद भवन में लोकसभा की सीटों की संख्या 543…
अजित पवार अगर अपने काका से कह सकते हैं कि वे अब मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो वे आगे चलकर किसी और बड़े पद की माँग मोदी से भी कर सकते हैं !
प्रो. संजय को एक बार पुनः माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अपने प्रोफेसर के रूप में पाकर वहां के छात्रों को भी प्रसन्नता होगी।
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर ओबामा ने पहली बार कुछ कहा हो ऐसा नहीं है। पद पर रहते हुए जब वे 2015 में जब वे भारत यात्रा पर आये थे तब…
जिस तरह के राजनीतिक हालात दिखाई पड़ रहे हैं उससे तो ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र में क्षेत्रीय दलों की राजनीति तेज़ी से बिखरती जा रही है।
राजनीति का तमाशा, जन आशा को निराशा में बदलता दिखाई पड़ रहा है। जन जागरुकता से राजनीति की असत्यता का 'राम नाम सत्य' करने का समय आ गया है।
अद्भुत संयोग था कि जून 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना से प्रारंभ हुई जिस ‘संपूर्ण क्रांति’ के प्रमुख सैनिकों में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार शामिल थे वे…
एमपी में राजनीतिक सामंजस्य का वातावरण रहता रहा है। कभी भी एक दूसरे पर निजी आक्षेप कम ही लगाए जाते हैं। इस चुनाव में पोस्टर वार की शुरुआत इसके विपरीत संकेत दे रहा…
शुद्ध अंतःकरण से शपथ लेकर शासन की बागडोर संभालने का सपना देखने वाले राजनेता कम से कम धमकाने और पीसने का कोई खौफ न दिखाएं तो राज्य के लिए भी बेहतर होगा और…
भाजपा सब जगह एक जैसी दिखती है। भाजपा की चुनावी रणनीति और उसकी विचारधारा अलग-अलग नहीं नज़र आती।
राहुल गांधी ने देर से ही सही शुरुआत कर दी है। चुनौती बड़ी है और मुक़ाबला भी आसान नहीं है। सारे संसाधनों और मीडिया का एकछत्र स्वामी इस समय सत्तारूढ़ दल ही है।…
देश को गाँधी और गोडसे के बीच चुनाव करना है और किसी भी संवेदनशील भारतीय के लिए इसमें कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए कि उसे नफ़रत चाहिए या प्रेम!