दो साल पहले पश्चिम बंगाल में हुए चुनावों में तृणमूल की विजय के बाद पंजाब में ‘आप’ और हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना में कांग्रेसकी जीत पर आलोचकों के बीच सुगबुगाहट भी नहीं हुई कि…
मध्यप्रदेश में भाजपा के मुक़ाबले कांग्रेस की उपलब्धि उसे प्राप्त कुल सीटों (66) और वोट शेयर (40.4%) से अधिक इस बात से आंकना चाहिए कि उसका मुक़ाबला कितनी बड़ी ताक़त और उसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष…
प्रधानमंत्री ने अपने प्रथम कार्यकाल की शुरुआत ही देश को कांग्रेस से मुक्त करने के नारे के साथ की थी। अब तीसरी पारी की शुरुआत के पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी को…
शिवराज के प्रति ‘नज़र आती’ नाराज़गी का क्या एक कारण यह भी हो सकता है कि योगी की तरह ही ये मुख्यमंत्री भी सत्ता का एक केंद्र बन गए हैं।
पीएम ने छत्तीसगढ़ की एक चुनावी सभा में योजना को पाँच और सालों के लिए बढ़ाने की घोषणा नवम्बर के पहले सप्ताह में ही कर दी। पीएम की घोषणा पर लाभार्थियों ने इसलिए…
पार्टी प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी होने के पहले तक जो भावपूर्ण ड्रामा शिवराज सिंह के चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं ने देखा वह प्रदेश की राजनीति और भाजपा के लिए नया अनुभव था।
चुनाव में हार के बाद मुंबई में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में तय हुआ कि लालकृष्ण आडवाणी प्रतिपक्ष और पार्टी के अध्यक्ष दोनों अपने पदों पर बने रहेंगे। इसके बाद, लोग सोचने…
67. 06 % के साक्षरता दर वाला राजस्थान राजनीतिक समझ के लिहाज से अपेक्षाकृत काफी सजग है। बंधी बंधाई लीक पर चलने की बजाय किसी भी सरकार को काम करने का अवसर दे…
जिस तरह की परिस्थिति है उसमें कोई ईश्वरीय चमत्कार या भाजपा-विरोधी सूनामी ही एमपी में कांग्रेस को कर्नाटक बना सकती है। ऐसा नहीं हुआ तो दिग्विजय सिंह के इस दावे की पोल खुल…
शिवराज सिंह का टिकिट लटकाकर केंद्र के ख़िलाफ़ वाली लहर का मुँह बंद करने की कोशिशों को ताबड़तोड़ विराम लगाया गया। ‘सारे चेहरों को बदल दूँगा’ का गर्व अपने ही ‘सारे फ़ैसलों को…
निठारी के दोषियों की रिहाई के लिए उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जाँच एजेंसियों द्वारा जनता के भरोसे के साथ किए गए विश्वासघात को ज़िम्मेदार ठहराया।
महुआ के साथ राहुल गांधी और संजय सिंह के मामले पर भी विचार करना चाहिए क्योंकि तीनों ने अडानी पर ही सवाल उठाए थे।
मीडिया में प्रतिनिधित्व का सवाल सिर्फ़ पिछड़ी जातियों तक सीमित नहीं है। दलितों, अल्पसंख्यकों और काफ़ी हद तक महिलाओं को लेकर भी यही स्थिति है। उच्चवर्गीय मीडिया ही देश की राजनीति भी चला…
जनता की नब्ज पर मज़बूत पकड़ रखने वाले मोदी जानते हैं कि उनके 2014 और 2019 के तिलिस्म में विपक्षी दलों को एकजुट कर राहुल गांधी ने सेंध लगा दी है !
हरिद्वार की इस विवादास्पद ‘धर्म संसद’ के बाद एक बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, न्यायविदों, सेवानिवृत अफ़सरों, पूर्व सैन्य अधिकारियों, आदि ने चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री से अपील की थी कि वे अपनी…
हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ उस अकेले की संपत्ति नहीं है। सब कुछ सबका है। वह…
प्रधानमंत्री ने अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को इतना ऊँचा उठा दिया है कि वे अब उस जगह वापस नहीं लौट सकते जहां से उन्होंने सत्ता-प्राप्ति की यात्रा प्रारंभ की थी।
सत्ताओं के अधिनायकवाद की शुरुआत नागरिकों से ही होती है। नागरिकों की रगों में ही सबसे पहले तानाशाही प्रवृति के गुण भरे जाते हैं।
गनीमत है कि मेरे आंसू अभी भी हिंदी में ही निकलते हैं और जब कभी चहकने का मौका आया तो मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं हिंदी में ही चहक पाया।
प्रधानमंत्री ने सत्ता को अपने लिए काम के नशे में तब्दील कर लिया है। जैसा गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं :’नरेंद्र भाई पिछले नौ सालों से बिना एक दिन की भी छुट्टी…