प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा और उनकी विदेश यात्राओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस लेख में मोदी के ट्रेन से यात्रा करने, यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाकों से गुजरने, और राष्ट्रपति…
कृषि अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ मानते हैं कि खेती को बरकरार रखने, विकसित करने और सबका पेट भरने की अधिकांश जिम्मेदारी छोटे और सीमांत किसान ही निभाते हैं। जहां 70% ग्रामीण परिवार अभी भी…
ममता अगर पुख़्ता तौर पर मानतीं हैं कि उनके राज्य को बांग्लादेश बनाया जा रहा है, तो उन्हें सारे काम छोड़कर भारत में शरणागत शेख हसीना से मिलने जाना चाहिए। हसीना से उन्हें…
देश की आजादी के बाद आर्थिक-सामाजिक समानता का सपना देखा गया था, लेकिन आज गैर-बराबरी इतनी बढ़ गई है कि विकास का लाभ केवल कुछ ही लोगों तक सीमित रह गया है।
भूस्खलन के प्राकृतिक कारण जैसे अतिवृष्टि, भूकंप, बाढ़ आदि तो हैं ही, परंतु पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में आबादी बढ़ने के साथ ही भूस्खलन को सतत विकास के दृष्टि से भी समझना आवश्यक…
रामनिवास रावत और नगर सिंह चौहान के बीच वन मंत्रालय का प्रभार बदलने की इस राजनीति में भाजपा का उद्देश्य स्पष्ट है। आदिवासी बहुल इलाकों में चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए यह…
आम आदमी पार्टी ने संकेत दे दिये हैं कि वह हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ सीटों का समझौता नहीं भी कर सकती है !
प्रियंका पहली बार कोई चुनाव लड़ने वाली हैं। पिछले चुनाव (2019) में उनसे वाराणसी में मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया था पर तब उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर…
दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया प्रतिष्ठानों के बारे में यही कहा गया है कि सत्ता में चाहे जो व्यक्ति या पार्टी रहे, वे हमेशा एक ‘एडवर्सरी’ या ‘प्रतिपक्षी’ की भूमिका में रहते हैं और…
हर तरह की क़ीमत चुकाकर सत्ता में बने रहना मोदी के लिए इसलिए ज़रूरी हो गया है कि निहित स्वार्थों के जिस साम्राज्य को उन्होंने पिछले दस वर्षों में अपने इर्द-गिर्द खड़ा कर…
पुलवामा (फ़रवरी 2019) के कारण उठी राष्ट्रवाद की देशव्यापी लहर और भारतीय सेनाओं द्वारा की गई जवाबी बालाकोट स्ट्राइक के बाद पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा का श्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसके पहले 2018 के…
नागरिकों के लिए जिज्ञासा का विषय हो सकता है कि अपने विरोधियों के प्रति इतनी नाराज़गी के साथ भी एक अत्यंत शांत स्थल पर इतने कष्ट-साध्य ध्यान-योग में सफलतापूर्वक चित्त लगा लेने के…
यह केवल ऊपरी बात है कि अमेठी में लड़ाई राजनीति और टेलीविज़न की नेत्री-अभिनेत्री और गांधी परिवार के एक सहयोगी-कार्यकर्ता के बीच है। हक़ीक़त में अमेठी में प्रधानमंत्री मोदी, यूपी की पूरी हुकूमत…
शहर की नाराज़गी के मद्देनज़र भाजपा नेताओं के इस संकट को समझा जा सकता है कि उनके प्रत्याशी को अगर पिछली बार जितने वोट नहीं मिले और/या कांग्रेस को प्राप्त हो सकने वाले…
सबसे ज़्यादा मानसिक कष्ट में भाजपा के उम्मीदवार को माना जा सकता है कि वह दिल्ली पहुँचकर मुँह कैसे दिखाएँगा कि किसे और कितने मतों हराकर संसद में पहुँचा है !
जो लोग सार्वजनिक तौर पर दावे करते हैं कि वे प्रधानमंत्री को बहुत चाहते हैं हक़ीक़त में मोदी की छवि का उपयोग स्वयं के डरने में भी कर रहे हैं और दूसरों को…
प्रधानमंत्री के कहे पर जनता को किस तरह से यक़ीन करना चाहिए ? पीएम अपनी जनसभाओं में ऊँची आवाज़ में कहते हैं कि बाबासाहब आम्बेडकर भी आ जाएँ तो संविधान नहीं बदलेगा। दूसरी…
बाबा साहब के नाम पर बहुत सारे आयोजन और कर्मकांड हो रहे हैं. लेकिन उनके विचार, उनके लेखन और उनकी रचनाओं को लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश सिरे से गायब है।
विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने प्रत्याशियों से इन मुद्दों को उठाने का अनुरोध किया, इनमें विस्थापन, सिंचाई परियोजनाओं और आदिवासी समाज के विषय अहम हैं।
कांग्रेस के नये घोषणापत्र ,जिसके प्रति गौरव वल्लभ ने आपत्ति ज़ाहिर की है, ने खादी के भीतर कट्टर हिंदुत्व के गंडे-ताबीज़ छुपाए बैठी सभी सांप्रदायिक-राष्ट्रवादी ताक़तों के लिए हर तरह की गुंजाइशें ख़त्म…