दुनिया के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘लांसेट’ ने अगस्त महीने तक भारत में कोई दस लाख लोगों की मौत होने की आंशका जताई है।
प्रधानमंत्री को उनकी वर्तमान जिम्मेदारियों में लगाए रखना इस तथ्य के बावजूद ज़रूरी है कि उनकी सरकार कथित तौर पर एक ‘जीते जा चुके’ युद्ध को हार के दांव पर लगा देने की…
बंगाल के चुनाव परिणामों के सिलसिले में ममता बनर्जी को भी एक सावधानी बरतनी होगी। वह यह कि उन्हें इस जीत को अपनी या पार्टी की विजय मानने की गलती नहीं करनी चाहिए।
किसी भी ऐसे राष्ट्राध्यक्ष का, जो प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं के पालन में ‘राष्ट्रधर्म’ जैसा यक़ीन रखता हो, मज़बूत रहना निश्चित ही ज़रूरी भी है। जितना बड़ा राष्ट्र, मज़बूती की ज़रूरत भी उतनी ही बड़ी।…
आपातकाल के दौरान मीडिया की भूमिका को लेकर लालकृष्ण आडवाणी ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि तब मीडिया से सिर्फ़ झुकने के लिए कहा गया था पर वह घुटनों…
विकल्प जब सीमित होते जाते हैं तब स्थितियाँ भी वैसी ही बनती जाती है। टीकों की सीमित उपलब्धता को लेकर भी ऐसा ही हुआ था कि अभियान ‘पहले किसे लगाया जाए’ से प्रारम्भ…
यह वबा है। वबा हवा की मानिंद अपने साथ बहुत कुछ लेकर चलती है। संदेह भी यकीन भी। गुस्सा भी, लालच भी, अवसर भी और आश्चर्य भी। ज़रूरत इन सभी को एक साथ…
इंसान की तरह ही लोकतंत्र भी कमजोर होता है, बीमार हो जाता है। लोकतंत्र की गठरी पर चोर की निगाह हमेशा लगी रहती है। नागरिक मुसाफिर को जाग कर अपनी गठरी को बचाना…
नाराज़गी ममता और मोदी दोनों से है पर दूसरे के प्रति ज़्यादा है जो पहले के लिए सहानुभूति पैदा रही है। इसका कारण मुख्यमंत्री का ‘एक अकेली महिला’ होना भी हो सकता है।
इसमें रवीश कुमार का दर्द भी छलकता नज़र आया है, जब वह बड़ी आजिजी से पूछते हैं कि ‘इस भयंकर ‘इकनॉमिक क्राइसिस; में भी मोदी के खिलाफ ‘एंटी-इनकंबेंसी’ क्यों नहीं है, और ममता…
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले की एक बड़ी घटना हुई। नक्सलियों ने अपनी क्रूर कुटिल योजना से बाईस जवानों को शहीद कर दिया और एक जवान पकड़ कर ले गये। तीन दिन बाद पंचायत…
प्रियतमा के नाम एक खत, जो जिंदगी के किसी मोड़ पर छूट गई या छोड़कर चली गई। बस उसे याद करते हुए एक काल्पनिक पत्र। पढ़िए सतना से दीपक गौतम की कलम से।
लोगों की यह जानने की भारी उत्सुकता है कि बंगाल चुनावों के नतीजे क्या होंगे ? ममता बनर्जी हारेंगी या जीत जाएँगी ? सवाल वास्तव में उलटा होना चाहिए। वह यह कि बंगाल…
पढ़ें सतना से दीपक गौतम की कलम से कि "जनता कर्फ्यू" के ठीक बाद लगे पहले लॉकडाउन के वक्त जिंदगी कैसी थी। आज एक साल बाद हम कोविड-19 की वैक्सीन के डोज ले…
मुझे जहाँ की गर्द में मत ढूंढना प्यारे। मैं जब नहीं रहूँगा तो गाँव की उसी ‘सुनहरी-भस्म’ के साथ उड़ता मिलूँगा, जिसे तुम धूल कहते हो। चाय के इसी मयकश प्याले में सदा…
इस शर्मनाक घटना पर देश की संसद में कोई सवाल नहीं पूछा जाता। कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से भी नहीं ! न ही सरकार के किसी मंत्री को महात्मा गांधी के ‘वैष्णव जन…
2011-12 में इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दी और इसे दुनिया की तीन सर्वश्रेष्ठ जल प्रबंधन परंपराओं में से एक माना, पर हमने इन परंपराओं से कुछ सीखने की जहमत…
अभी आपने पढ़ा था गाँव की "प्रेम-पाती" के शक्ल में गाँव का मार्मिक सन्देश। अब पढ़िए गाँव की उसी चिट्ठी का जवाब सतना से दीपक गौतम की कलम से।
इस संसार में कोई ऐसी आत्मा नहीं है, जो मेरी छुअन या स्पर्श से वंचित हो। तुम हौले से अपने जी के किंवाड़ खोलकर तो देखो, मैं तुम्हारे अंदर न जाने कब से…
राहुल ने दूसरी बात यह कही कि कांग्रेस अगर भाजपा को हरा दे तब भी उससे मुक्त नहीं हो पाएगी। वह इसलिए कि संघ की विचारधारा वाले लोगों का पूरे व्यवस्था-तंत्र पर क़ब्ज़ा…