बदले बदले से “शिवराज” नज़र आते हैं


मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भले “लव जिहाद” और “गायों” की चिंता में दिखाई पड़ रही हो लेकिन ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में ऐसे असल मुद्दों की कमी है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य के अर्थव्यवस्था की हालत बहुत पतली है। सरकार कर्ज के सहारे चल रही है, सूबे की माली हालत तो पहले से ही खराब थी, कोरोना और जीएसटी में कमी के कारण सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। हालत यह हैं कि इस साल मार्च में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से पिछले 8 महीने के दौरान ही शिवराज सरकार अभी तक कुल दस बार में करीब 11500 करोड़ रूपये का कर्ज ले चुकी है। खस्ता माली हालत के चलते ही राज्य के 2020-21 के बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सामाजिक कल्याण से जुड़े विभागों के बजट में कटौती की गयी है।


जावेद अनीस
Updated On :

शिवराजसिंह चौहान भाजपा के नरमपंथी नेता माने जाते रहे हैं। लेकिन चौथी बार मुख्यमंत्री बन्ने के बाद उनका मिजाज बदला हुआ है, वे अपने आपको पहले से अलग पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे हैं। इससे पहले वे 2005 से 2018 तक लगातार 13 सालों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और उनकी जगह कांग्रेस के कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे लेकिन पन्द्रह महीने बाद ही शिवराज एक बार फिर वापसी करने में कामयाब रहे। अब ऐसा लगता है कि नरम हिन्दुतत्व को उन्होंने कांग्रेस के भरोसे छोड़ दिया है। इस बार वे अधिक खुले तौर पर आक्रमक हिन्दुतत्व की तरफ बढ़ते हुये दिखाई पड़ रहे हैं। उनकी सरकार तथाकथित “लव जिहाद” के ख़िलाफ़ एक विधेयक लाने वाली है इस विधेयक मसौदे में जबरदस्ती, लालच या प्रलोभन देकर विवाह करने को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना जाएगा तथा इसके लिये 10 साल के कारावास का प्रावधान रखा गया है।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में ‘धर्म परिवर्तन निरोधक कानून’ बहुत पहले से ही मौजूद है जिसमें 2013 में शिवराजसिंह चौहान की भाजपा सरकार ने ही संशोधन करते हुये उसे और ज्यादा सख़्त बना दिया था जिसके बाद से प्रदेश का कोई नागरिक अगर अपना मजहब बदलना चाहे तो इसके लिए उसे जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी होगी, अगर धर्मांतरण करने वाला या कराने वाला ऐसा नहीं करता है तो इसके लिये सजा का प्रावधान है। 2013 में हुये संशोधन के बाद “जबरन धर्म परिवर्तन” पर जुर्माने की रकम दस गुना तक बढ़ा दी गई थी और कारावास की अवधि भी एक से बढ़ाकर चार साल तक कर दी गई थी। 2020 में इस कानून में एक बार फिर संशोधन किया जा रहा है जिसे “लव जिहाद” के खिलाफ कानून के तौर पर पेश किया जा रहा है।

इसी प्रकार से शिवराज सिंह चौहान ने ‘गौ-कैबिनेट’ गठित करने का निर्णय लिया है जिसके आदेश जारी कर दिए गये हैं। अपने तरह के देश के इस पहले कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश के पशुपालन, वन, पंचायत और ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण विभाग के मंत्री शामिल किए गए हैं। गो-कैबिनेट’ निर्णयों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इन छह विभाग की होगी। गौ-कैबिनेट की पहली बैठक हो चुकी है जिसमें गौ-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए और आगर-मालवा में स्थित गो-अभयारण्य में गो-उत्पादों के निर्माण के लिए एक अनुसंधान केंद्र स्थापित करने का फैसला लिया गया है। इसी क्रम में शिवराज सरकार गायों के कल्याण के लिये अलग से टैक्स लगाने की योजना बना रही है साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश में गौशाला संचालन के लिए कानून बनाने, और आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को अंडे के बजाय गाय का दूध दिये जाने की भी घोषणा की है।

नेटफ्लिक्स पर प्रसारित वेब सीरीज़ ‘अ सूटेबल बॉय’ के एक एपिसोड में मंदिर के अंदर चुंबन के दृश्य दिखाने पर भी शिवराज सरकार की प्रतिक्रिया काफी सख्त रही है। दरअसल मीरा नायर के इस वेब सीरीज़ को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव गौरव तिवारी द्वारा आरोप लगाया गया था कि इसमें एक किसिंग सीन मध्य  प्रदेश के महेश्वर क़स्बे के मंदिर में फिल्माया गया है, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। गौरव तिवारी द्वारा आरोप लगाया गया था कि इस वेब सीरीज़ की पटकथा में मुस्लिम युवक को हिंदू महिला के प्रेमी के तौर पर मंदिर प्रांगण में किसिंग करते हुये दिखाया गया है जिससे लव-जिहाद को बढ़ावा मिलता है। इससे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचा है। इसके बाद मध्य  प्रदेश पुलिस ने आईपीसी की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं के आहत होने संबंधी धारा) के तहत नेटफ्लिक्स के दो अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है।

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भले “लव जिहाद” और “गायों” की चिंता में दिखाई पड़ रही हो लेकिन ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में ऐसे असल मुद्दों की कमी है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य के अर्थव्यवस्था की हालत बहुत पतली है। सरकार कर्ज के सहारे चल रही है, सूबे की माली हालत तो पहले से ही खराब थी, कोरोना और जीएसटी में कमी के कारण सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। हालत यह हैं कि इस साल मार्च में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से पिछले 8 महीने के दौरान ही शिवराज सरकार अभी तक कुल दस बार में करीब 11500 करोड़ रूपये का कर्ज ले चुकी है। खस्ता माली हालत के चलते ही राज्य के 2020-21 के बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सामाजिक कल्याण से जुड़े विभागों के बजट में कटौती की गयी है।

महामारी के दौरान भी राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में पिछले बजट के मुकाबले 316 करोड़ रूपये की कमी की गयी है। इसी तरह से इस बार के बजट में किसानों के कर्जमाफ़ी के लिये अलग से कोई बजट नहीं रहा गया है जबकि पिछले साल के बजट में कांग्रेस की सरकार ने इसके लिये आठ हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया था। इसी प्रकार से महिलाओं और बच्चों से सम्बंधित योजनाओं के बजट में 301 करोड़ रूपये, पंचायत राज संस्थाओं के बजट में 1465 करोड़ रूपये की कटौती की गयी है।

इधर मध्यप्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ के आने के बाद से कांग्रेस लगातार नरम हिन्दुतत्व के रास्ते पर आगे बढ़ी है और इस दौरान विचारधारा के स्तर पर वो भाजपा की बी टीम बन कर रह गयी है। 2018 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कमलनाथ ने ऐलान किया था कि ‘मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने पर उनकी सरकार प्रदेश के हर पंचायत में गोशाला बनवायेगी और इसके लिये अलग से फंड उपलब्ध कराया जायेगा’। कमलनाथ अभी भी उसी लाईन पर चलते हुये दिखाई पड़ रहे हैं।

शिवराज सरकार के “गौ–कैबिनेट” गठित करने के निर्णय पर उन्होंने कहा है कि ‘2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज सिंह और भाजपा ने गायों के लिए एक अलग विभाग (मंत्रालय) स्थापित करने का वादा किया था, लेकिन अब केवल ‘गो-कैबिनेट’ की स्थापना की जा रही है।’ यही नहीं कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि “शिवराज सरकार ने गोमाता के संरक्षण व संवर्धन के लिए कुछ भी नहीं किया, उल्टा कांग्रेस सरकार द्वारा गोमाता के लिए बढ़ाई गई चारा राशि को भी कम कर दिया है।” हालांकि इसके बावजूद भी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कमलनाथ के सॉफ्ट हिन्दुत्व को सिर्फ स्टंट मानते हैं।

हालांकि कांग्रेस ने शिवराज सरकार के “लव जिहाद” के खिलाफ कानून बनाने की घोषणा पर यह कहते हुये विरोध जताया है कि मध्यप्रदेश में महिला अपराध बढ़ रहे हैं सरकार को पहले उस ओर ध्यान देना चाहिये और इस विधेयक की जगह सरकार को महिला अपराध रोकने के लिए कोई विधेयक लाना चाहिए लेकिन अभी तक इस पर कमलनाथ या किसी और बड़े नेता का बयान नहीं आया है। शायद इसीलिये गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस से यह पूछा है कि वो प्रस्तावित विधेयक के पक्ष में हैं या खिलाफ में?

(जावेद अनीस वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं)