मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया अब हमारे बीच नहीं रहे। उनसे संबंधित एक महत्वपूर्ण संस्मरण का उल्लेख करना चाहूंगा।
शिव अनुराग मूल रूप से छतरपुर के रहने वाले थे। उन्होंने पत्रकारिता का प्रारंभ अपने गृहनगर से ही किया था। इसी दरम्यान वहां की एक होटल में बलात्कार की एक घटना हुई। घटना को दबाने का प्रयास किया गया।
कुछ दिनों बाद उसी होटल में एक और घटना हुई। इससे पूरा शहर आक्रोशित हो उठा। घटना की मजिस्ट्रियिल जांच हुई। जांच की रिपोर्ट भी छिपाने की कोशिश की गई किंतु पटेरिया समेत कुछ और नौजवान पत्रकारों ने रिपोर्ट प्रकाशित कर दी।
बाद में घटना को लेकर शहर में जुलूस भी निकाला गया। बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए घटना की न्यायिक जांच के भी आदेश हुए। पत्रकार जगत में इस घटना ने हलचल मचा दी।
प्रेस काउंसिल ने घटना की जांच के लिए एक टीम भेजी। शिव अनुराग पटेरिया के अतिरिक्त इस घटना का भंडाफोड़ करने में राजेश बादल, विभूति शर्मा और श्याम अग्रवाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ये सब लोग घटना और स्थानीय प्रशासन के रवैये से अवगत कराने के लिए भोपाल आए। भोपाल के पत्रकारों और श्रमजीवी पत्रकार संघ व आंचलिक पत्रकार संघ ने एक जांच टीम छतरपुर भेजने का निर्णय लिया।
मुझे भी इस टीम में शामिल किया गया। जहां तक मुझे याद है इस टीम में विजयदत्त श्रीधर और प्रेम नागर भी शामिल थे। जांच टीम ने छतरपुर के नागरिकों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों और पत्रकारों से चर्चा की।
जांच के बाद टीम ने पत्रकारों की भूमिका को उचित बताया और प्रशासन के रवैये की निंदा की। मामला विधानसभा में भी उठा। घटनाक्रम के दौरान अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे। घटनाक्रम को गंभीर मानते हुए अर्जुन सिंह ने वहां के कलेक्टर का स्थानांतरण कर दिया।
घटनाक्रम में इन युवा पत्रकारों की भूमिका की सब ओर प्रशंसा हुई। ‘नई दुनिया’ ने न सिर्फ इस घटनाक्रम की रिपोर्ट प्रकाशित की वरन् राजेश बादल और शिव अनुराग पटेरिया को समाचार पत्र में नियुक्ति भी दी।
बाद में इन दोनों ने कई प्रतिष्ठापूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। राजेश बादल नई दुनिया के अतिरिक्त ‘आजतक’ और राज्यसभा टीवी से जुड़े। इसी तरह पटेरिया अन्य अनेक समाचार पत्रों के अतिरिक्त नागपुर से प्रकाशित ‘लोकमत’ से जीवन के अंत तक जुड़े रहे।
उनकी साहसपूर्ण एवं सार्थक पत्रकारिता को सलाम।