मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों ने एक बार फिर नियमितिकरण और अन्य मांगों के समर्थन में राजधानी भोपाल की सड़कों पर जोरदार प्रदर्शन किया। 22 दिनों में यह दूसरी बार है जब प्रदेशभर के हजारों अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अंबेडकर मैदान पर एकत्रित हुए। गांधी जयंती के मौके पर इस आयोजन का उद्देश्य सरकार को एक बार फिर उनकी स्थिति और मांगों के प्रति जागरूक करना था।
पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव
शिक्षकों ने सीएम हाउस की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक दिया। आगे बढ़ने के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे कई अतिथि शिक्षक बेहोश भी हो गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बैनर लगाकर आंदोलन को गैरकानूनी बताते हुए गोली चलाने की चेतावनी दी। इस कदम ने प्रदर्शनकारियों को भड़काने का काम किया। हालांकि, कुछ समय बाद पुलिस ने बैनर से गोली चलाने वाला हिस्सा हटा दिया।
अतिथि शिक्षकों की पांच प्रमुख मांगें:
1. अतिथि शिक्षक स्कोर कार्ड में प्रत्येक सत्र के अनुभव के 10 अंक जोड़कर अधिकतम 100 अंक सभी वर्गों में शामिल किए जाएं।
2. अनुभव के आधार पर नीति बनाकर अतिथि शिक्षकों को 12 माह का सेवाकाल और पद स्थायी किया जाए।
3. 30% से कम परीक्षा परिणाम वाले अतिथि शिक्षकों को एक और मौका दिया जाए।
4. गुरूजियों की तरह अलग से विभागीय पात्रता परीक्षा लेकर नियुक्ति की जाए।
5. अतिथि शिक्षक भर्ती में वार्षिक अनुबंध सत्र 2024-25 से लागू किया जाए।
आंदोलनकारियों का नेतृत्व और सीएम हाउस से मुलाकात का इनकार
अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसी पवार ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने घोषणा की कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाती, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। पवार ने कहा, “पिछली बार सरकार ने हमें गुमराह किया था। इस बार हम अपना स्थायीकरण लेकर जाएंगे। अगर सरकार हमारी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो हम आमरण अनशन करेंगे। हमारे साथ हजारों लोग भी बैठेंगे।”
सीएम हाउस से अतिथि शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन केसी पवार ने मुख्यमंत्री से मिलने की शर्त रखी। उन्होंने कहा, “हम शिक्षा मंत्री से मिलने नहीं जाएंगे। अगर मुख्यमंत्री भी मिलने नहीं आते हैं तो हम आमरण अनशन करेंगे।”
राजनीतिक समर्थन और विपक्ष के बयान
प्रदर्शनकारियों के समर्थन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी भी मैदान में पहुंचे। उन्होंने अतिथि शिक्षकों की मांगों को जायज ठहराते हुए सभा को संबोधित किया और राज्य सरकार से उनकी मांगें पूरी करने की अपील की। पटवारी ने कहा, “ये शिक्षक अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं। हम उनके साथ हैं और सरकार से निवेदन करते हैं कि अतिथि शिक्षकों की मांगों को जल्द पूरा किया जाए।”
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अतिथि शिक्षकों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया। उन्होंने लिखा, “मुख्यमंत्री जी, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अतिथि शिक्षकों की मांगों को स्वीकार करें। ये मांगें कोई नई नहीं, बल्कि पिछली बीजेपी सरकार के किए वादे हैं। चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करें।”
पृष्ठभूमि और स्थिति का विश्लेषण
मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की संख्या लगभग 80,000 है। इनमें से अधिकतर शिक्षक वर्षों से अपने नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण का वादा किया था। सरकार बनने के बाद इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे शिक्षकों में असंतोष बढ़ता गया। यह असंतोष हालिया प्रदर्शनों के रूप में खुलकर सामने आ रहा है।
वर्तमान स्थिति और सरकार का रुख
वर्तमान में अतिथि शिक्षकों की स्थिति काफी अनिश्चित बनी हुई है। शिक्षकों की मांग है कि उनके अनुभव को मान्यता दी जाए और उन्हें स्थायी नियुक्ति मिले। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शिक्षकों की गुणवत्ता और स्थायित्व को बढ़ाने की बात कही गई है। अतिथि शिक्षक इसी संदर्भ में अपनी मांगों को और अधिक प्रासंगिक बता रहे हैं।
अतिथि शिक्षकों के भविष्य की राह
प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि वे इस बार पीछे हटने वाले नहीं हैं। प्रदेश अध्यक्ष केसी पवार ने कहा, “हम यहीं आमरण अनशन पर बैठेंगे। जब तक हमारी मांगों पर सरकार निर्णय नहीं लेती, हम वापस जाने वाले नहीं हैं।”
अतिथि शिक्षकों का आंदोलन सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। शिक्षकों की मांगें न केवल उनके भविष्य से जुड़ी हैं, बल्कि राज्य की शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और स्थायित्व से भी संबंधित हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और अतिथि शिक्षकों के भविष्य के लिए क्या निर्णय लेती है।
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