प्रिय मुनिया, 18 मार्च 2022
मेरी जान, तुम्हारे जन्मोत्सव के बाद मुझे तुम्हें यह चौथा पत्र लिखने में तनिक विलंब हो गया है। मैं तुम्हें यह पत्र तुम्हारे ठीक जाने वाले रोज बीते इतवार को ही लिखना चाह रहा था। जब तुम्हारी पहली यात्रा जो अपने ननिहाल अहमदाबाद (नाना-नानी) के घर जाने के लिए हुई थी, उसकी शुरुआत हुई थी।
तुमने लगभग डेढ़ माह की उम्र में यह पहली रेलयात्रा की। तुम्हें या जानकर खुशी होगी कि तुम्हारे अपने ननिहाल अहमदाबाद पहुंचने से पहले आज होली तक तुम अपनी माँ के ननिहाल लखनऊ में हो। कल 19 मार्च 2022 को तुम अहमदाबाद के लिए लखनऊ से कूच करोगी।
तुम्हारे बिन गुजरा ये पिछला हफ्ता बड़ा सूना सा बीत गया है, जैसे तुम अपने संग जीवन का सारा रंग ले गई हो। ये तुम्हारा प्रेम ही है कि मैं फिर भी तुम्हें और तुम्हारे स्पर्श को अपने आस-पास सदा महसूस करता हूँ।
मेरी लाडो, मैंने तुम्हें पिछले पत्र में लिखा था कि देश के पाँच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों का अंतिम चरण है। अब तो चुनाव परिणाम भी आ गए हैं। चार राज्यों में जनमत इस बार केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ दिखाई दिया है।
इस सफलता का श्रेय लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जा रहा है। पंजाब में तो अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी यानि आपने जीत हासिल कर सरकार भी बना ली है।
चुनावों में चौतरफा सशक्त विपक्ष न होने से इस बार विधानसभा चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। मुझे पता है कि देश-दुनिया के हाल तुम्हें इन पत्रों में कम ही पसंद आएंगे, लेकिन इस वक्त घट रहा एक-एक घटनाक्रम तारीखों में दर्ज होने वाला है। इसलिये इस परिदृश्य की एक झलक को पत्र के एक टुकड़े में उकेरने की कोशिश की है।
यूँ भी प्रेम में कोई राजनीति नहीं चलती है। इसलिए मुझे राजनीति उतनी ही पसंद है, जितने में प्रेम बना रह सके। अपनी तो असल फसल यही है। इसलिए सिर्फ प्रेम पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
आज दुनिया को सबसे ज्यादा प्रेम की जरूरत है। कम से कम दुनिया के एक हिस्से में चल रहे युद्ध को देखकर तो यही लगता है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को चलते हुए लगभग 25 रोज बीत गए हैं।
कहीं न कहीं ग्राम दो ग्राम प्रेम का पराग छटक गया होता तो नफरत से पनपी जंग खत्म हो जाती। अबकी होली पर दुनिया को प्रेम के रंग में सराबोर रखने और दिलों को रंगों से जोड़ने वाले इस त्यौहार पर प्रेम के एक रंग का ही सन्देश दिया जाना चाहिये।
बेटी यज्ञा, तुम्हारे नामकरण के बाद भी तुम्हें सब लोग ‘निवेदिता’ या ‘यज्ञा’ नहीं अपनी-अपनी पसंद के लाड़ के नामों से पुकारते हैं। जब तुम बड़ी होकर ये पत्र पढ़ोगी, तो तुम्हें ये जानकर बहुत रोमांच महसूस होगा कि तुम्हारे एक नहीं अनेक नाम हो गए हैं।
किसी के लिए तुम लाडो हो, तो कोई तुम्हें बिट्टो या बिट्टी कह रहा है। किसी ने गुड्डो या गुड़िया कहना तय कर लिया है, तो कोई बिटिया रानी, लड्डू, गिट्टी या गिल्लू कहकर दुलारता-पुचकारता रहता है।
तुम्हें ये लिखते हुए हर्ष हो रहा है कि तुम्हारे आने से जीवन में रंग ही रंग है। अबकी होली तुम्हें आरव और शौर्य दादा ने यहां गाँव पर बहुत याद किया। हम सभी में सबसे ज्यादा तुम्हें दादा-दादी ने बहुत याद किया। और यह जानकर वो भी खुश हुए कि तुम अपने मामा के यहां पर हो।
मेरी बेटी, आज देश भर में होली पर प्यार के रंग से सराबोर तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरती रही हैं। देश में होली या दूसरे त्यौहार अब सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सेलिब्रेट होते हैं। इसलिए मैं होली पर तुम्हें पत्र लिखकर इस होली को एक तारीखी होली बना देना चाहता हूँ।
तुम्हारे जन्म के बाद की इस पहली होली में तुम्हारा न होना इतना नहीं खला है, क्योंकि तुम्हारे जीवन में आ जाने की खुशी ने इसका असर नहीं पड़ने दिया है। तुम हो तो इस रंगोत्सव में रंग ही रंग भर गए हैं।
तुम्हारा होना जीवन के कैनवास पर ईश्वर की सबसे खूबसूरत रंगत है। तुम ही तो जीवन का असल रंग हो। तुम्हें होली की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
लव यू मुनिया