धार। इस बार लोकसभा चुनाव के पहले जिले में रेल की छुक-छुक की आवाज कानों में सुनाई देने की उम्मीद है और इसके लिए रेल विभाग दिन-रात काम कर रहा है।
इंदौर-दाहोद रेल परियोजना की लंबाई करीब 205 किलोमीटर है। गुजरात से धार को सीधे जोड़ने वाली 157 किमी लंबी छोटा उदयपुर-धार रेल परियोजना को इस साल 355 करोड़ रुपये का बजट मिलने से रेलवे बोर्ड ने काम में तेजी ला दी है।
गुजरात से अलीराजपुर जिले की सीमा तक काम पूरा होने के बाद अब डेकाकुंड, कांकड़वा समेत धार जिले के टांडा तक के लिए अर्थवर्क, मटेरियल, ट्रैक लिंकिंग व स्टेशन के लिए कवायद शुरू हो गई है।
इसके लिए 132.29 करोड़ रुपये के टेंडर निकाले जा चुके हैं। इसमें टांडा के समीप रेलवे स्टेशन भी शामिल है। अलीराजपुर जिले के जोबट, बोरी होते हुए लाइन टांडा से धार जिले में आएगी।
टांडा के आगे चुन्पिया व भूतिया के बीच पहाड़ी क्षेत्र होने से वहां बनने वाली टनल की संभावना खत्म हो गई है क्योंकि दो बार अलाइनमेंट बदली जा चुकी है, ऐसे में अब यहां टनल नहीं बनाते हुए पहाड़ काटकर सीधे लाइन बिछाई जाएगी।
रेलवे बोर्ड का दावा है कि फरवरी 2024 तक धार जिले के टांडा समेत आगे का काम पूरा कर दिया जाएगा। शेष हिस्सा इंदौर-दाहोद रेलवे लाइन से जुड़ जाएगा।
68 किमी पटरी बिछाई –
रेल लाइन के कंस्ट्रक्शन विभाग के देवेंद्र मोहन सिंह ने बताया कि अलीराजपुर जिले के सेजा में मुख्य स्टेशन व इसके आगे चौगनवाट, खंडाला और दूदलवाट तथा जोबट तहसील के बलदमूंग, चमारवेगड़ा होकर 68 किमी पटरी बिछाई जा चुकी है।
अगर इसी गति से काम जारी रहा तो धार जिले में भी दिसंबर 2023 तक काफी काम पूरा होने की संभावना है। नए अलाइनमेंट के अनुसार टांडा के आगे टनल नहीं बनेगी।
पश्चिमी रेलवे बोर्ड टीही से गुणावद तक 32 किमी में पटरी बिछाने के लिए 143 करोड़ रुपये खर्च करेगा। इस काम को निर्माण एजेंसी द्वारा 15 माह में पूरा करना होगा।
गुणावद से धार के बीच 17 किमी हिस्से में पटरी बिछाने से लेकर ओवरब्रिज बनाने के लिए 112 करोड़ रुपये खर्च होना है। यह कार्य मार्च-2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। वहीं खरमौर अभ्यारण्य के आगे जमीन अधिग्रहण के लिए 7.5 करोड़ खर्च कर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की जा रही है।
जमीन में मुआवजे की प्रक्रिया जारी –
2008 में इस रेल परियोजना का भूमिपूजन हुआ था। बाद में बजट कम मिलने और अफसरों की अनदेखी से काम ने गति नहीं पकड़ी। वडोदरा रेल मंडल भी छोटा उदयपुर व अलीराजपुर जिला प्रशासन के ही संपर्क में था। इसके चलते जोबट के बिछाने का काम हो चुका है।
जिले के धार, गंधवानी, कुक्षी, सरदारपुर तहसील के 54 गांवों से होकर ट्रैक गुजरेगा। इसमें गंधवानी तहसील के 18 गांवों की 122.151 हेक्टेयर, कुक्षी तहसील के 13 गांवों की 118.541 हेक्टेयर जमीन, धार तहसील के 9 गांवों की 44.513 हेक्टेयर जमीन में अवॉर्ड प्रक्रिया जारी है।
हालांकि सरदारपुर में खरमोर अभ्यारण्य के चलते वहां पेंच फंसा होने से सर्वे नहीं हो पाया है। इस हिस्से में इंदौर-अहमदाबाद फोरलेन का भी निर्माण अनुमति मिलने के बाद 11 साल बाद किया जा रहा है। यहां वन विभाग की अनुमति के बाद मामला आगे बढ़ेगा।
इंदौर-दाहोद रेलवेलाइन से जोड़ने के संकेत –
छोटा उदयपुर-धार रेल परियोजना 157 किमी लंबी है। इंदौर-दाहोद लाइन को इससे जोड़ने के संकेत रेलवे ने दे दिए हैं। इंदौर-दाहोद रेल परियोजना का काम भी जिले में तेजी से चल रहा है।
दिसंबर 2023 तक इंजन की टेस्टिंग करने का दावा है। ऐसे में छोटा उदयपुर-धार लाइन के जिले में आने के बाद देरी भी होती है तो इंदौर-दाहोद वाली लाइन से वडोदरा जुड़ जाएगा।
इस लाइन में छोटा उदयपुर से धार के बीच 14 स्टेशन रहेंगे जिसमें छोटा उदयपुर, पाडलिया रोड, मोटी सादड़ी, अंबारी, आलीराजपुर, खंडाला, जोबट, डेकाकुंड, कांकड़वा, टांडा, कोडी, जामनिया, माफीपुरा और धार शामिल हैं।
120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाई ट्रेन –
जोबट तक जल्द ही रेलवे ट्रैक पर ट्रेन दौड़ने लगेगी। रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है। रेलवे ने मई में खंडाला से जोबट रेलवे स्टेशन तक डाली गई करीब 14 किमी नई ब्रॉडगेज लाइन पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाकर ट्रैक की क्षमता को देखा।
इसके अलावा प्रतापनगर, छोटा उदयपुर ट्रेन को अलीराजपुर तक बढ़ाया जाएगा। रेलवे ने इसकी तैयारी कर ली है। जोबट का रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है। इसे अब लोकार्पण का इंतजार है।
इसके अलावा अच्छी खबर यह है कि खंडाला से जोबट के बीच स्पीड परीक्षण भी कर लिया है। अलीराजपुर से जोबट तक पटरी बिछ चुकी है। रेलवे का टारगेट 2024 तक धार तक काम पूरा करने का है। हालांकि सब कुछ ठीक रहा तो काम इसके पहले भी पूरा हो सकता है।
रेल परियोजना पर एक नजर –
- इंदौर-दाहोद रेल परियोजना की लागत 1640 करोड़ रुपये आंकी गई है। हालांकि अब इसकी लागत और भी अधिक हो गई है।
- मार्च 2020 तक इस रेल परियोजना के तहत करीब 740 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं।
- रेल परियोजना की लंबाई करीब 205 किलोमीटर है।
- 2020 में वर्ष के लिए बजट में 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
- 2021 में मात्र 20 करोड़ 2022 में 265 करोड़ मिले थे। 2023 में 450 करोड़ रुपये मिले हैं।
यह काम है निर्माणाधीन –
- पश्चिमी रेलवे बोर्ड अधिकारी के अनुसार मार्च से अप्रैल के बीच लगाए 522 करोड़ के टेंडर का काम एक साथ चलेंगे। साथ ही टीही टनल से लगाकर पुल-पुलिया बनेगी।
- रेलवे बोर्ड ने टीही से गुणावद तक 32 किमी में पटरी बिछाने के लिए 143 करोड़ का पहला टेंडर लगाया था, जो ठेकेदार को 15 माह में पूरा करना है। खरमौर अभ्यारण्य के आगे जमीन अधिग्रहण के लिए 7.5 करोड़ की प्रक्रिया जारी है।
- पीथमपुर में बन रही टनल का 2.9 किमी का काम 132 करोड़ में पूरा होगा। इसके लिए भी 15 माह की टाइम लिमिट तय है।
- इसके अतिरिक्त टीही से धार के आगे तिरला तक बिजली लाइन के लिए 128 करोड़ खर्च कर काम होगा। जबकि पीथमपुर, सुलावड़, गुणावद धार और तिरला में स्टेशन के लिए भी प्रक्रिया जारी है।