वाहन चालकों से ज्यादा टोल वसूली पर सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार से सात दिनों में मांगा जवाब


नयागांव-लेबड़ टोल पर जनता से मनमाने टोल वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती। विधायक पारस सकलेचा की याचिका पर दिए निर्देश।


DeshGaon
घर की बात Published On :
nayagaon lebad toll plaza

धार। टोल कंपनियों द्वारा मनमाने टोल वसूली को लेकर लगातार अनेक मामले सामने आए हैं। लेबड-नयागांव फोरलेन पर लागत से कई गुना ज्यादा टोल टैक्स वसूली के मामले को लेकर पूर्व महापौर व विधायक पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार ने मध्यप्रदेश शासन को 7 दिन में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

तय समय सीमा में जवाब नहीं दिया गया तो प्रकरण नियमानुसार न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिये पेश कर दिया जाएगा। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने 24 नवंबर 2022 को सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत, एलजो जोसेफ तथा सर्वम रितम खरे के तर्क सुनने के बाद शासन को नोटिस देने के आदेश दिये थे। 23 जनवरी तथा 1 मार्च को भी शासन की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया।

लागत से कई गुना ज्यादा वसूला गया टोल टैक्स –

सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता तथा पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा स्पेशल लीव पिटिशन में कहा गया कि जावरा नयागांव फोरलेन पर 2020 तक 1461 करोड़ रुपया वसूल किया जा चुका है। यह लागत 471 करोड़ रुपये का तीन गुना से भी ज्यादा है।

इसी प्रकार लेबड़ जावरा रोड पर लागत 605 करोड़ रुपये की तुलना में 1325 करोड़ रुपया वसूल किया जा चुका है तथा अनुबंध के अनुसार सितंबर 2033 तक टोल वसूला जाएगा जिससे लागत का कई गुना लाभ निवेशक को होगा तथा जनता पर अनावश्यक टैक्स का बोझ आएगा।

इंडियन टोल एक्ट 1851 के सेक्शन 8 के तहत टोल राज्य का रेवेन्यू है तथा सड़क प्राकृतिक संसाधन है जो जनता की सम्पत्ति है और शासन सड़क पर मनचाहा टोल नहीं लगा सकती एवं नियम के अतिरिक्त टोल वसूली अवैध वसूली है।

हाईकोर्ट ने खारिज की थी पिटिशन –

सकलेचा ने दोनों फोरलेन पर टोल वसूली को लेकर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के समक्ष पिटीशन दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था जिसके आदेश को सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल कर चुनौती दी गई थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए मध्यप्रदेश शासन को नोटिस जारी किए तथा जवाब मांगा।


Related





Exit mobile version