छतरपुर में सुलगने लगी किसान आंदोलन की आग, 13 से शुरू होगा अनशन


– ट्रैक्टर से गांव-गांव में अलख जगाने निकला ग्रामीण अधिकार संगठन।
– कृषि कानूनों के खिलाफ 13 जनवरी से शुरू होगा छतरपुर में अनशन।


DeshGaon
सागर Published On :
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छतरपुर। दिल्ली की सीमाओं पर हरियाणा-पंजाब सहित देश के कई राज्यों के किसानों द्वारा पिछले 40 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन अब देश भर में फैलने लगा है। अब तक मप्र में खामोश इस आंदोलन की आग अब छतरपुर में सुलगने लगी है।

ग्रामीण अधिकार संगठन ने छतरपुर में किसान ट्रैक्टर यात्रा की शुरुआत करते हुए आगामी सात दिनों तक गांव-गांव में चौपालें लगाने की योजना शुरू कर दी है। 13 जनवरी को कई किसान छतरपुर के छत्रसाल चौक पर अनशन पर बैठेंगे।

शुक्रवार को ग्रामीण अधिकार संगठन के नेता अमित भटनागर के नेतृत्व में सैकड़ों किसान अपने-अपने गांव से ट्रैक्टर लेकर छतरपुर पहुंचे। छतरपुर में हाथों में तख्तियां लेकर केन्द्रीय कृषि कानूनों का विरोध किया और फिर बड़ामलहरा, बिजावर क्षेत्र की ओर निकल गए।

इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए अमित भटनागर ने कहा कि 

किसानों ने आगामी सात दिनों की योजना बनाई है। योजना के तहत हम सभी किसान जिले की दस तहसीलों का भ्रमण कर रात्रि चौपालें करेंगे। किसानों को कृषि कानून में किए गए संशोधनों के खतरे समझाएंगे। 13 जनवरी को किसानों का एक काफिला छतरपुर पहुंचेगा और छत्रसाल चौक पर अनशन किया जाएगा।

अपना राशन लेकर लंबे आंदोलन की तैयारी कर रहे किसान – 

इस आंदोलन में शामिल किसान अपने ट्रैक्टरों पर अपना राशन लेकर भी चल रहे हैं। दिल्ली में चल रहे आंदोलन की तर्ज पर छतरपुर में भी किसान आत्मनिर्भर रूप से इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। किसान जिन गांव में रात्रि चौपाल करेंगे, वहां अपना भोजन स्वयं बनाएंगे और सात दिनों तक इसी राशन के बलबूते पर लोगों को जागरूक करेंगे।

अमित भटनागर ने कहा कि इन कानूनों के खतरे बुंदेलखंड के किसानों को भी नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन उन तक जागरूकता लाना जरूरी है। ताकि उक्त कानून के खिलाफ बुंदेलखंड का किसान भी खड़ा हो सके।

इसलए हो रहा मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध –

दरअसल मोदी सरकार ने जून में एक अध्यादेश लाकर देश के कृषि कानून में तीन संशोधन किए हैं। इन तीनों कानूनों को किसान विरोधी बताया जा रहा है। सरकार के इन कानूनों में पहला कानून है आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत भंडारण को मान्यता देना। किसान कहते हैं कि इससे कालाबाजारी बढ़ेगी।

इसी तरह दूसरा कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को निर्धारित करने के लिए बनाया गया है। किसानों का मानना है कि इस कानून के माध्यम से बड़े कॉर्पोरेट हाउस अनुबंध खेती के क्षेत्र में उतरेंगे, लेकिन उनसे पैसा निकालने के लिए सरकार ने इस कानून में ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

तीसरा कानून मंडियों को खत्म करने का कानून है। सरकार का मत है कि किसान कहीं भी किसी भी भाव अपना अनाज बेच सकेंगे। जबकि किसानों का मानना है कि मंडियां और एमएसपी खत्म होने से कॉर्पोरेट हाउस की गुंडागर्दी बढ़ जाएगी और ये अपने हिसाब से किसानों की फसलों का मूल्य तय करने लगेंगे।

इन तीनों कानूनों का इसीलिए देश भर में विरोध हो रहा है। हालांकि सरकार बार-बार कह चुकी है कि वह एमएसपी खत्म नहीं करेगी।

आंदोलन में मारे गए किसानों को युवक कांग्रेस ने दी श्रद्धांजलि –

शुक्रवार को युवा कांग्रेस द्वारा किसान आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष लोकेन्द्र वर्मा के नेतृत्व में सभी युवा कांग्रेस कार्यकर्ता राजीव भवन कांग्रेस कार्यालय में एकत्रित हुए एवं छत्रसाल चौराहा तक पैदल मौन मार्च निकालते हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी।

जिलाध्यक्ष लोकेन्द्र वर्मा ने बताया कि आज श्रद्धांजलि के बाद संपूर्ण देश में शाम छह बजे सभी कांग्रेस कार्यकर्ता अपने-अपने घरों पर शहीदों के लिए एक दिया जलाएंगे एवं सोशल मीडिया पर हैशटैग करेंगे।

इस कार्यक्रम में महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष शिवानी चौरसिया, जिला कांग्रेस महामंत्री लखन दुबे, छतरपुर ब्लॉक अध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल, युवा कांग्रेस जिला महासचिव महेश पटेल, जीवन अहिरवार, लोकेन्द्र चंदेल, डैनी, प्रेम, लक्ष्मन अनेक कार्यकर्ता शामिल हुए।


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