छतरपुर। छतरपुर के महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में इन दिनों अंदरखाने में काफी गड़बड़ियां सुनने को मिल रही हैं। आपसी तालमेल के अभाव की वजह से जहां विश्वविद्यालय का कार्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे आदेश भी जारी हो रहे हैं जिनके बारे में कुलपति तक को जानकारी नहीं होती।
ऐसा ही एक ताजा मामला हाल ही में सामने आया जब अशासकीय महाविद्यालयों के संचालकों द्वारा कुलपति और रजिस्ट्रार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें महाविद्यालयों के औचक निरीक्षण को लेकर विरोध जताया गया था।
गौरतलब है कि 8 मार्च को विश्वविद्यालय से जारी एक आदेश में कार्यपरिषद की बैठक का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी अशासकीय महाविद्यालयों का निरीक्षण किए जाना प्रस्तावित था जिसमें कार्य परिषद के सदस्य भी शामिल थे।
इस मामले को लेकर मंगलवार को जब अशासकीय महाविद्यालय संघ के द्वारा कुलपति से मुलाकात की गई तो उन्होंने इस पत्र पर अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि बिना कुलपति के अनुमति के किसी भी तरह का आदेश जारी नहीं हो सकता।
महाराज छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी परीक्षाओं की तिथि को लेकर, तो कभी छात्रों की समस्या या फिर कभी विवादास्पद भर्तियों और निरीक्षण को लेकर कई बार विश्वविद्यालय प्रबंधन पर सवाल उठाए जा चुके हैं।
यहां तक कि विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त फंड होने के बावजूद राशि का उपयोग निर्माण कार्य में न किए जाने के संबंध में भी बातें सामने आई थी, लेकिन इस मामले में विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा बहुत ठोस कदम नहीं उठाए गए।
अंदर खाने के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुलपति और रजिस्ट्रार के बीच में समन्वय का अभाव देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे आदेश जारी हो जाते हैं जिसमें बाद में परेशानी पैदा होती है और आदेश वापस लेना पड़ते हैं।
एक दिन पूर्व अशासकीय महाविद्यालय संघ ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पुष्पेंद्र कुमार पटेरिया से मुलाकात करके कार्य परिषद में पारित निरीक्षण के प्रस्ताव को लेकर आपत्ति जताई थी।
अशासकीय महाविद्यालय संचालकों का कहना था कि पिछले एक वर्ष से से कोरोनावायरस की वजह से महाविद्यालयों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शासकीय महाविद्यालयों में सीटों की बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह से अशासकीय महाविद्यालयों की सीटें ख़ाली पड़ी हैं तो वहीं वर्तमान में परीक्षा से संबंधित कार्य भी लगातार चल रहा है।
ऐसे में बिना किसी शिकवा शिकायत के सभी महाविद्यालयों के औचक निरीक्षण का आदेश समझ से परे है और प्रबंधन की गलत नीयत की ओर इशारा करता है।
इस संबंध में रजिस्ट्रार पटेरिया ने कहा की कार्यपरिषद की आगामी 20 मार्च को होने वाली बैठक में यह बात रखी जाएगी। चूंकि सोमवार को कुलपति टीआर थापक विश्वविद्यालय में मौजूद नहीं थे इसलिए उनसे इस संबंध में उनसे बात नहीं हो पाई।
कुलपति बोले बिना मेरे आदेश के जारी हुई लिस्ट –
मंगलवार को जब अशासकीय महाविद्यालय संघ के पदाधिकारी और महाविद्यालयों के संचालक कुलपति प्रो. टीआर थापक से मिले तो उन्होंने इस पत्र को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके आदेश के बिना कोई भी पत्र कैसे जारी हो सकता है।
एक दिन पूर्व दिए गए ज्ञापन के संबंध में उन्होंने कार्यालय को टीप लिखकर यह स्पष्टीकरण मांगा है कि इस तरह का निर्णय बिना उनके अनुमोदन के कैसे हुआ और अगर हुआ है तो यह गलत है।
हालांकि इस दौरान कुलपति ने यह भी कहा कि निरीक्षण करना विश्वविद्यालय के नियम अंतर्गत आता है इसलिए महाविद्यालय अपनी तैयारियां पूर्ण रखें।
कुलपति से सौजन्य भेंट के दौरान महाविद्यालय के संचालक शशीन्द्र मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि महाविद्यालय निरीक्षण से नहीं घबरा रहे हैं, लेकिन ऐसे समय में जब परिस्थितियां पूरी तरह प्रतिकूल हैं।
विश्वविद्यालय को संबद्ध महाविद्यालयों के साथ सहयोग पूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। इस दौरान बड़ी संख्या में जिले के महाविद्यालय के संचालक मौजूद रहे।