सिंगरौली: कई गांवों में नदी-नाले व अन्य जलस्रोत सूखे, दो-दो किलोमीटर दूर से भरकर लाना पड़ रहा है पानी

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रीवा Published On :
singrauli water crisis

सिंगरौली। मध्यप्रदेश का सिंगरौली इलाका अपने घने जंगल, खूबसूरत प्राकृतिक सौन्दर्य व खनिज संपदा की वजह से विख्यात है और यहां की जमीन में सोने का भंडार है।

लेकिन, यहां के निवासियों के लिए भीषण गर्मी की तपिश से बचने के साथ ही पीने के पानी के लिए संघर्ष भी करना पड़ रहा है क्योंकि गर्मी के इस मौसम में यहां के नदी-नाले और अन्य जल स्रोत सूखने लगे हैं।

भीषण गर्मी में नदी-नालों और अन्य जलस्रोतों का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। यहां के कई गांवों में हैंडपंपों व कुओं ने जवाब दे दिया है। जिले के चांचर गांव की नदी भी लगभग सूख गई है।

ऐसे में इस गांव के लोग नदी क्षेत्र में गड्‌ढे बनाकर उनसे पानी भरकर प्यास बुझा रहे हैं। इन गड्‌ढों से पानी भरने के लिए भी लोगों को गांव से दो-दो किमी दूर जाना पड़ता है।

चांचर गांव निवासी जानकी देवी का कहना है कि गांव की करीब आधी आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है। गांव में हैंडपंप तो है, लेकिन उसमें पानी नहीं निकल रहा है। जानकी देवी जैसी ही समस्या रामदुलारी व अन्य लोगों की है। सभी प्यास बुझाने के लिए नदी के पानी का सहारा लेते हैं।

सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना नल-जल योजना अभी गांव में नहीं पहुंच पाई है। सिंगरौली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के घरों तक नल से जल पहुंचने में अभी काफी समय लगेगा। जल जीवन मिशन के तहत लगभग 10 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है।

इस योजना के तहत अभी 90 फीसदी से ज्यादा काम होने हैं और जलापूर्ति को लेकर तय की गई डेडलाइन में अब चार महीने का समय बाकी है। इन चार महीने में 90 फीसदी काम पूरा होना नामुमकिन है।

इस मिशन को लेकर सिंगरौली कलेक्टर अरुण परमार का कहना है कि तय सीमा तक सबके घरों में पानी पहुंच जाएगा। फिलहाल योजना के काम मे तेजी लाने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है।​​​​​​​

यह है स्थिति –

  1. तीनों योजनाओं इंटकवेल व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट यानी जल शोधन संयंत्र का कार्य अभी पूरा करना बाकी है।
  2. बैढ़न वन योजना में पूरे चिह्नित क्षेत्र में कुल 122 टंकी बनाई जानी है, लेकिन अभी केवल 25 का काम पूरा हो पाया है।
  3. बैढ़न टू योजना में हर घर में नल से जल आपूर्ति के लिए कुल 77 ओवरहेड टैंक बनाए जाने हैं। अभी केवल 18 का कार्य पूरा हो सका है।
  4. गोंड देवसर योजना में कुल 104 ओवरहेड टैंक बनाए जाने हैं, लेकिन अभी तक केवल 22 का कार्य पूरा हो पाया है।
  5. अभी केवल प्लांट के नजदीकी गांवों में पाइपलाइन बिछाने का कार्य चल रहा है। दूर के गांव में शुरुआत नहीं हुई है।
  6. पाइप लाइन बिछाने के बाद घरों में नल कनेक्शन दिए जाने का कार्य भी अभी करना है। इसमें अभी समय कितना लगेगा कंफर्म नहीं है।

 

योजनाओं के लिए निर्धारित क्षेत्र –

जल निगम जल मिशन योजना के तहत तीन योजना बैढ़न वन योजना, बैढ़न टू और गोंड देवसर योजना पर कार्य कर रहा है। बैढ़न वन योजना से सिंगरौली विकासखंड के ग्रामीण अंचल में पेयजल आपूर्ति की जाएगी। जबकि बैढ़न टू योजना से चितरंगी के क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति की योजना है। इसी प्रकार गोंड देवसर योजना से देवसर विकासखंड में पेयजल आपूर्ति की जाएगी।
​​​​​​​बैढ़न वन योजना के तहत इंटेक वेल रिहंद में और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट उर्ती में बनाया जा रहा है। बैढ़न टू योजना में इंटेक वेल सोन नदी में और ट्रीटमेंट प्लांट चितरंगी में सोन नदी के ठटरा घाट में बनाया जा रहा है। इसी प्रकार गोंड देवसर योजना में इंटकवेल गोपद नदी और ट्रीटमेंट प्लांट चमारीडोल में बनाया जा रहा है।

बैढ़न वन योजना –

637.27 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया बजट
283 लाभान्वित होने वाले गांवों की संख्या
344400 लाभान्वित होने वाली जनसंख्या
71070 गांव में निर्धारित नल कनेक्शन

बैढ़न टू योजना –

261.53 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया बजट
184 लाभान्वित होने वाले गांव की संख्या
224400 लाभान्वित होने वाली जनसंख्या
46268 गांव में निर्धारित नल कनेक्शन

गोंड देवसर योजना – 

470.49 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया बजट
206 लाभान्वित होने वाले गांव की संख्या
356345 लाभान्वित होने वाली जनसंख्या
73473 गांव में निर्धारित नल कनेक्शन


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