नरसिंहगढ़ (राजगढ़)। दुनिया भर में जाने-माने मानस विद्वान वक्ता पंडित फ़ारुख़ भाई रामायणी (गनियारी वाले) का निधन हृदयगति रूकने के कारण हो गया। वे काफी समय से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था।
रविवार की शाम राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के गनियारी गांव के स्थानीय कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। फारुख़ रामायणी ने देशभर में 300 से अधिक मंच पर संगीतमय रामकथा की प्रस्तुति दी थी।
राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के गनियारी गांव के मुस्लिम समुदाय में जन्मे और मिडिल स्कूल तक शिक्षित इस्लाम धर्म को मानने वाले फारुक खान एक फकीरी मिजाज हस्ती के तौर पर जाने जाते थे।
मुस्लिम समुदाय में जन्मे फ़ारुख़ सामाजिक ताने-बाने में ऐसे रच बस गये कि मंच पर जब वे मुंह से रामायण, गीता, वेद, पुराण पर कथा आदि करते तो सुनने वाले खुद-ब-खुद ही वाह-वाह करने लगते थे।
साधारण व्यक्तित्व, चेहरे पर दाढ़ी और गले में माला पहने पहली नजर में आपको फारुख़ खान पंडित या साधु लगेंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। पंडित फ़ारुख़ भाई रामायणी का असली नाम फ़ारुख़ खान है। इस्लाम को मानने वाले फारुक पांचों समय के नमाज़ी हैं।
इनके रामकथा करने के कारण ही लोग इन्हें फ़ारुख़ भाई रामायणी के नाम से पुकारते थे। बाबा तुलसीदास से प्रभावित होकर रामायण, गीता, भागवत महापुराण, वेद, उपनिषद आदि का अध्ययन-चिंतन किया करने वाले पंडित फारुक के मुताबिक, रिश्ते-नाते क्या होते हैं। यह जानना हो तो कभी समय मिले तो रामायण पढ़ लेना चाहिए।
युवाओं को अनुशासन में रहने की सीख देते रहने वाले फारुक के मुताबिक, युवाओं के लिए जीवन में अनुशासन जरूरी है। धैर्य से रास्ता बन जाता है। देश और समाज में बदलाव सिर्फ युवा तरूणाई ला सकती है।