राजगढ़: CM मोहन यादव के VIP प्रोटोकॉल में फंसी जिंदगी, समय पर इलाज न मिलने से मरीज की मौत


मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिला अस्पताल में CM मोहन यादव के VIP प्रोटोकॉल के चलते एक मरीज की इलाज के अभाव में मौत हो गई। परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए।


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राजगढ़ Published On :

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिला अस्पताल में इलाज के इंतजार में एक मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि VIP प्रोटोकॉल के कारण मरीज को समय पर उपचार नहीं मिला, जिससे उसकी जान चली गई। इस घटना को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर निशाना साधा है और सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

राजगढ़ निवासी अमि चंद्र सोनी रविवार को अचानक घबराहट और बेचैनी महसूस करने लगे। परिजनों ने तुरंत उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उसी समय वहां मुख्यमंत्री मोहन यादव का कार्यक्रम चल रहा था। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के कारण मरीज के वाहन को तीन-चार स्थानों पर रोका गया, जिससे अस्पताल पहुंचने में देरी हुई।

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के गेट पर भी सीएम सिक्योरिटी की वजह से उन्हें अंदर जाने से रोका गया। वह गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। समय पर इलाज न मिलने के कारण अमि चंद्र सोनी की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान महिला ने किया हंगामा

जब मुख्यमंत्री मोहन यादव कार्यक्रम के बाद बाहर निकले, तो मृतक के परिवार की एक महिला ने हंगामा कर दिया। गुस्साए परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वीआईपी मूवमेंट के कारण बाधा न आई होती, तो शायद मरीज की जान बच सकती थी। कलेक्टर गिरीश कुमार शर्मा ने महिला को समझाकर शांत करवाया और बाहर निकाला।

कांग्रेस का हमला, सरकार को घेरा

मामले के तूल पकड़ते ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर हमला बोल दिया। कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में राजगढ़ जिला अस्पताल में इलाज के इंतज़ार में एक व्यक्ति की मौत हो गई। कारण – सीएम मोहन यादव 200 बिस्तरों वाले अस्पताल का लोकार्पण करने पहुंचे थे और इसी दौरान इमरजेंसी में आए मरीज को सिक्योरिटी ने रोक दिया, जिससे वह समय पर इलाज नहीं पा सका और उसकी मौत हो गई। इसका जिम्मेदार कौन है?”

पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने भी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “उद्घाटन और प्रचार-प्रसार की नौटंकी में सरकार जनता की जान से खेल रही है।”

प्रशासन पर उठ रहे सवाल

इस घटना के बाद प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं:

  • क्या वीआईपी मूवमेंट के कारण आम लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है?
  • अगर इमरजेंसी मरीज को अंदर जाने दिया जाता, तो क्या उसकी जान बच सकती थी?
  • क्या सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करेगी?

निष्कर्ष

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और वीआईपी कल्चर के दुष्प्रभावों को उजागर करती है। एक मरीज को सिर्फ मुख्यमंत्री के दौरे के कारण समय पर इलाज नहीं मिल सका, जिससे उसकी मौत हो गई। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर है और सरकार से जवाब मांग रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस लापरवाही पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?


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