भोपाल। बीते कई दिनों से खबरों की सुर्खियों में बने रहने वाले बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर से खबरों में बने हुए हैं और कारण है उनके द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान भगवान सहस्त्रबाहु पर की गई विवादित टिप्पणी।
पंडित शास्त्री भले ही इस विवादित टिप्पणी पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर खेद व्यक्त कर चुके हों, लेकिन यह मुद्दा फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है।
हैयय वंशी क्षत्रिय कलचुरी समाज अपने आराध्य देव पर की गई टिप्पणी से काफी नाराज है और लगातार ही पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ इस मामले में एफआईआर की मांग कर रहा है। समाज के लोगों ने बागेश्वर धाम के कथावाचक शांस्त्री से इसे लेकर माफी मांगने की भी मांग की है।
हैहयवंशी क्षत्रिय कलचुरी-कलार समाज के लोग इसी सिलसिले में शनिवार की सुबह 11 बजे एकांत पार्क पास स्थित कलचुरी भवन में एकत्रित हुए और वहीं पर धरना-प्रदर्शन भी किया। इससे पहले शहर भर में जगह-जगह पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ विवादित टिप्पणी को लेकर पोस्टर भी लगाए गए थे।
समाज के संयोजक डॉ. एलएन मालवीय ने कहा कि
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भगवान सहस्त्रबाहु के बारे में आपतिजनक टिप्पणी की है। वह पुराणों का हवाला दे रहे हैं। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर खेद जताया है, लेकिन माफी नहीं मांगी है। हमने उनसे जानकारी मांगी है कि वो बताएं कि उन्होंने जो कहा है वो किस पुराण में लिखा है। उनके बयान से समाज में आक्रोश है। यादव, ताम्रकर समाज, राजपूत समाज में भी नाराजगी है। देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। यदि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने माफी नहीं मांगी तो कानूनी लडाई लड़ेंगे।
बता दें कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने पिछले माह एक कार्यक्रम में कथा के दौरान भगवान सहस्त्रबाहु को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद कलचुरी समाज के लोग आक्रोशित हो गए और जगह-जगह पं. धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। विवाद बढ़ता देख धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दी और खेद व्यक्त किया।
बागेश्वर धाम सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया था, जिसमें लिखा था कि
विगत कुछ दिनों से एक विषय संज्ञान में आया है एक चर्चा के मध्य में मेरे द्वारा भगवान परशुरामजी एवं महाराज सहस्त्रबाहू अर्जुनजी के मध्य हुए युद्ध के विषय में जो भी कहा गया है वह हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर कहा गया है। हमारा उद्देश्य किसी भी समाज अथवा वर्ग की भावनाओं को आहत करने का नही था न ही कभी होगा, क्योंकि हम तो सदैव सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं। फिर भी यदि हमारे किसी शब्द से किसी की भावना आहत हुई हो तो इसका हमें खेद है। हम सब हिन्दू एक हैं। एक रहेंगे। हमारी एकता ही हमारी शक्ति है।