नरसिंहपुर। मंडी शुल्क पचास पैसे को लेकर सरकार ने तीन महीने में ही यू टर्न ले लिया है। यह शुल्क छह माह तक लागू किया गया था लेकिन अब यह फैसला वापस ले लिया गया है। ऐसे में अब व्यापारियों को शुल्क के रुप में 1.50 रूपये देने होंगे। इसका बोझ व्यापारियों और किसानों पर पड़ेगा। इस फैसले को लेकर व्यापारियों में नाराज़गी है और वे दोबारा मंडी शुल्क पचास पैसे करने की मांग मुख्यमंत्री से कर रहे हैं।
नरसिंहपुर और गाडरवारा ग्रेन मर्चेन्ट एसोसियेशन ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे। व्यापारियों ने इस दौरान कहा कि मुख्यमंत्री ने किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य दिलाने और व्यापारियों की समस्या को देखते हुए स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर समस्याओं का निराकरण करने के लिए मंडी शुल्क 50 पैसे करने का निर्णय लिया था जो छह माह के लिए लागू होना था लेकिन मप्र राज पत्र में केवल तीन माह के लिए लागू हुआ।
हालांकि इस दौरान भी केन्द्र सरकार का अध्यादेश लागू था। जिसके अनुसार मंडी प्रागंण के बाहर खरीदी पर मंडी शुल्क शून्य था। तीन महीनों में फसल की आवक भी नहीं थी। नई फसल की आवक 15 फरवरी से शुरू होती है। ऐसे में सकारात्मक परिणाम सिद्ध होते। अब मंडी शुल्क 1.50 रूपए किया जा रहा है।
व्यापारियों ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री जी, घोषणा के अनुरूप समीक्षा के लिए छह माह के लिए मंडी शुल्क यथावत रखा जाए ताकि आपका वादा पूरा हो सके। ज्ञापन सौंपने वालों में नरसिंहपुर ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार नेमा, सचिव लाल साहब जाट, प्रदीप जैन, संजय जैन, सुभाष साहू, देवेन्द्र राय, राकेश नेमा, सुमित जैसानी समेत अनेक लोगों की मौजूदगी रही। गाडरवारा में भी ग्रेन मर्चेन्ट एसोसियेशन ने भी ऐसा ही ज्ञापन सौंपा।