मध्य प्रदेश में घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। बिजली कंपनियां इन मीटरों को बिजली चोरी रोकने और बिजली खपत पर नजर रखने का कारगर उपाय बता रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं और विपक्षी दल कांग्रेस के दावे कुछ और ही तस्वीर पेश करते हैं। उपभोक्ता जहां बढ़ते बिजली बिलों और मीटर की तेज गति से परेशान हैं, वहीं कांग्रेस ने इस योजना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जताया है।
स्मार्ट मीटर: तकनीक के साथ बढ़ी मुश्किलें
आजादी के 77 साल बाद जब हम तकनीक के युग में हैं, तब बिजली की खपत और मीटरिंग को स्मार्ट बनाने के लिए यह तीसरा बड़ा प्रयास है। मध्य प्रदेश के 20 जिलों में अब तक लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जबकि योजना के पहले चरण में कुल 41 लाख से अधिक मीटर लगाने का लक्ष्य है। इस नई तकनीक से उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि उनके बिजली बिल अचानक से बढ़ गए हैं।
स्मार्ट मीटर से बिजली खपत का डाटा रियल टाइम में मिलना संभव हो गया है। इस तकनीक से उपभोक्ताओं को हर 15 मिनट में बिजली खपत की जानकारी मोबाइल पर मिलती है, और साथ ही बिजली का बिल भी तुरंत देखा जा सकता है। बिजली कंपनियों का दावा है कि इससे बिजली चोरी रुकेगी, बिलिंग में पारदर्शिता आएगी, और मीटर रीडर की जरूरत नहीं होगी।
उपभोक्ताओं की चिंता
हालांकि, उपभोक्ता इस नई व्यवस्था से खुश नहीं हैं। जबलपुर की उपभोक्ता सीमा तिवारी कहती हैं, “स्मार्ट मीटर लगने के बाद से मेरा बिजली बिल पहले से दोगुना हो गया है। यह समझ नहीं आता कि बिना किसी अतिरिक्त उपकरण के बिजली की खपत इतनी कैसे बढ़ सकती है।” ऐसे ही अनुभव अन्य उपभोक्ताओं के भी हैं। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इन मीटरों से उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सौरभ शर्मा का कहना है कि सरकार ने जिन कंपनियों को ठेका दिया, उन्होंने इसे छोटी कंपनियों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट में दे दिया है, जिसके कारण उपभोक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। कांग्रेस नेताओं ने जबलपुर समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी किया, और दावा किया कि मीटर की तेज रीडिंग के कारण जनता का बिजली बिल अचानक बढ़ गया है।
नरसिंहपुर में कांग्रेस के युवा नेता रोहित पटेल ने कहा,
पुराने मीटर में कोई खराबी नहीं थी, फिर क्यों स्मार्ट मीटर के नाम पर जनता पर बोझ डाला जा रहा है?
बिजली कंपनियों का पक्ष
वहीं, बिजली कंपनियों का दावा है कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होंगे। मप्र पूर्व विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री संजय अरोरा ने कहा, “स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को बिजली खपत की पूरी जानकारी मिलेगी और बिजली बिल को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। आने वाले समय में बिना मीटर बदले प्रीपेड सिस्टम भी शुरू किया जाएगा।”
सरकार की चुनौती
सरकार के सामने चुनौती यह है कि कांग्रेस के विरोध के बीच स्मार्ट मीटर योजना को सफल कैसे बनाया जाए। सरकार ने इस योजना को बिजली चोरी रोकने और उपभोक्ताओं को पारदर्शी सेवा प्रदान करने के लिए लागू किया है, लेकिन उपभोक्ताओं की बढ़ती असंतुष्टि ने इसे विवादास्पद बना दिया है।
स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है, और भोपाल, इंदौर, उज्जैन जैसे बड़े शहरों में पहले चरण में इसे लागू किया गया है। हालांकि, अब देखना यह है कि क्या सरकार उपभोक्ताओं की शंकाओं को दूर कर पाएगी या कांग्रेस के विरोध से इस योजना पर और अधिक सवाल खड़े होंगे।
समार्ट मीटर की यह योजना तकनीकी रूप से उन्नत है, लेकिन उपभोक्ताओं की चिंता और राजनीतिक विवाद इसके भविष्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बिजली कंपनियां इसे बेहतर और आधुनिक तकनीक बता रही हैं, लेकिन इसका असल असर उपभोक्ताओं की संतुष्टि पर निर्भर करेगा।
स्मार्ट मीटर को लेकर राज्यों की स्थिति
स्मार्ट मीटर का विरोध कई राज्यों में हो रहा है। बिहार, असम, और गुजरात में स्मार्ट मीटर की जबरन स्थापना और बढ़ते बिजली बिलों के चलते विरोध तेज हो गया है।
बिहार: यहां स्मार्ट मीटर की जबरन स्थापना के खिलाफ कई जिलों में प्रदर्शन हुए हैं। कई गांवों में बिजली आपूर्ति भी काट दी गई, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी और बढ़ गई। स्मार्ट मीटर से बिजली बिलों में अचानक बढ़ोतरी होने की शिकायतें आ रही हैं, जिससे लोगों का असंतोष बढ़ गया है। राज्य में कुछ उपभोक्ताओं को लाखों रुपये के बिल मिले हैं, जिससे यह विवाद और अधिक गंभीर हो गया है।
असम: गुवाहाटी में स्मार्ट मीटर की जबरन स्थापना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि मीटर की रीडिंग में अचानक वृद्धि से उनके बिजली बिल में अनावश्यक बढ़ोतरी हुई है। इस जबरदस्ती की स्थापना से लोगों में नाराजगी है और विपक्षी दलों ने भी इसका विरोध किया है।
गुजरात: वडोदरा में भी स्मार्ट मीटर के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि पुराने मीटरों के मुकाबले स्मार्ट मीटरों से बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। जहां पहले 2 महीने का बिल 3,600 रुपये आता था, वहीं अब हर 10 दिनों में 2,000 रुपये तक रिचार्ज करना पड़ रहा है। इस विरोध में लोग सड़कों पर उतरकर मीटर हटाने की मांग कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश: यहां भी उपभोक्ताओं की प्रमुख समस्याएं बढ़ते बिजली बिल, मीटर की तेज रीडिंग, और सरकार द्वारा इसे जबरन लागू करने से संबंधित हैं। मध्य प्रदेश में भी उपभोक्ताओं और विपक्षी दलों ने इसे जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बताया है, जो राज्य की स्थितियों से मेल खाता है।
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