राम मंदिर जमीन खरीद-फरोख्त पर शंकराचार्य बोले, मौजूदा न्यास को भंग कर पुराने पर विचार करे सरकार


शिलान्यास के शुभ मुहूर्त पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अशुभ मुहूर्त में शिलान्यास किया गया जिसका परिणाम है कि न्यासियों की बुद्धि खराब हो रही है। इसका उदाहरण भू क्रय के रूप में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
shankaracharya

नरसिंहपुर। ज्योतिष व द्वारका पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने मंगलवार को परमहंसी गंगा आश्रम में कहा कि भगवान राम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से विजयी हुए हैं।

उन्होंने कहा कि राम का मंदिर तो वही बनाएगा जो राम को भगवान मानता हो क्योंकि पूर्व में सरसंघचालक मोहन भागवत से जब राम मंदिर के बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था सवाल मंदिर का नहीं है, राम एक महापुरुष हैं और उनकी जन्म भूमि में हमें उनका एक स्मारक बनाना है।

सरकार मुंह में राम और बगल में छुरी को चरितार्थ करते हुए जय श्रीराम कहकर सत्ता हासिल कर रही है और छुरी से गौहत्या कर विदेशों से धन हासिल कर रही है। विश्व का सर्वाधिक गौमांस निर्यातक देश भारत बना हुआ है।

यह बताया जाए कि पुराने न्यास में और नए न्यास में क्या अंतर है और पुराने न्यास में क्या गड़बड़ी थी। शिलान्यास के शुभ मुहूर्त पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अशुभ मुहूर्त में शिलान्यास किया गया जिसका परिणाम है कि न्यासियों की बुद्धि खराब हो रही है। इसका उदाहरण भू क्रय के रूप में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।

जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जनता के रुपयों से मंदिर बनाया जाएगा तो करोड़ों की विशाल जनराशि को दो-चार लोगों के जिम्मे कैसे कर दिया गया। विशाल मंदिर के लिए कितनी जमीन लगेगी, चंदा कितना हुआ, जमीन खरीद की दर क्या होगी, इन सब बातों को श्वेत पत्र के माध्यम से जनता के समक्ष रखना उचित होता या नहीं?

कागजात या तथ्य फर्जी हैं या नहीं इसको जनता के सामने लाना चाहिए। चंपत राय का कहना है कि हम पर गांधी की हत्या के समय से आरोप लगाए जा रहे हैं, हम आरोपों की परवाह नहीं करते… तो इतने गैर जिम्मेदार लोग सिर्फ प्रधानमंत्री के रहमो करम से ही न्यास प्रमुख बने हुए हैं क्या? अभी भी समय है प्रधानमंत्री जी इस न्यास को खारिज करें और पुराने न्यास पर विचार करें।

शंकराचार्य ने कहा कि रामजन्मभूमि के लिए सनातनियों ने बहुत संघर्ष किया है और बलिदान भी दिया है। यह खेद का विषय है कि जब भी देश में धर्महित के कार्यों की जनता से मांग उठती है उसको दलीय राजनीति के रूप में परिणित कर दिया जाता है।

सरकार की शराब नीति से बच्चे नशे के आदी हो रहे हैं, बलात्कार अपराध बढ़ रहे हैं, अबोध कन्याओं की हत्या की जा रही है। मंदिर ट्रस्ट में केवल भाजपा, संघ और विश्वहिन्दू परिषद के लोग ही सम्मिलित हैं और राममंदिर की जगह संघ व भाजपा का मुख्यालय बना जा रहा है।

इसके लिए पूरे देश से चंदा लिया जा रहा है, जो न्यास या लोग तथाकथित मंदिर के लिए मोटी रकम दे रहे हैं उनको शासन से उपकृत कराया जा रहा है और धर्मनिरपेक्ष संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। क्या यह मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र के अनुरूप हो रहा है?


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