शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने की पीएम मोदी से अपील- गौरक्षकों को गुंडा कहना छोड़ दें


शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती 25 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए जबलपुर में तीन दिवसीय प्रवास के बाद रविवार को प्रस्थान कर रहे थे।


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
Shankaracharya Swami Nischalanand Saraswati

नरसिंहपुर। पुरी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी कूटनीति में माहिर हो गए हैं। फिर भी उनमें दो दोष विद्यमान हैं। एक यह है कि वह गौरक्षा के पक्षधर हो जाएं और दूसरा हिंदुओं को धर्मच्युत नहीं होने दें। इससे वह भारत के प्रधानमंत्री पद पर प्रतिष्ठित होने योग्य हो सकेंगे।

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने देशगांव से बातचीत में कहा कि कूटनीति के पांच अंग होते हैं। नमन, मिलन, दमन जिसमें मोदी माहिर हुए हैं और अब अंक 9 रंग मन में भी माहिर हैं, लेकिन वह गौरक्षकों को गुंडा कहना छोड़ दें।

महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ में शुल्क लेकर दर्शनार्थियों को भगवान के दर्शन कराए जाने की व्यवस्था पर उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि मंदिरों में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट सक्षम बने और बेहतर व्यवस्था करें। उन्होंने चमत्कार करने वाले कथावाचकों पर तंज कसते हुए कहा कि इससे समाज में विस्फोट की स्थिति हो जाएगी।

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से जब यह पूछा गया कि उनके द्वारा हिंदू राष्ट्र के लिए निकाली जा रही जन जागरण यात्रा के साढ़े तीन साल से ज्यादा हो गए हैं, इस पर क्या प्रतिसाद मिला तो उनका कहना था कि अब पूरे देश में इसकी चर्चा है। अब यह बात सभी के द्वारा स्वीकार की जा रही है। हमारा किसी से विरोध नहीं है, ना ही हमने कभी कोई विरोध की बात की। अब सभी मानने लगे हैं कि उनके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य थे।

पुरी के शंकराचार्य से जब यह पूछा गया कि चित्रकूट के संत रामभद्राचार्य के द्वारा हनुमान चालीसा में जो संशोधन बताए गए हैं, उस पर आपका क्या अभिमत है तो इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि कि अगर यह पंक्तियां प्रक्षिप्त कर दी गई हैं तो यह विक्षिप्त होने की इच्छा व्यक्त कर रही हैं।

उन्होंने कई कथावाचक द्वारा किए जा रहे चमत्कार को लेकर आगाह भी किया। जब उनसे पूछा गया कि समाज में भौतिकवाद के साथ आध्यात्मिकता के बढ़ते प्रभाव से कई कथावाचक चमत्कार दिखा रहे हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि यह चमत्कार वहां तक तो ठीक है जो व्यक्ति को धर्म और आस्था से जोड़े, लेकिन अगर यह उसके स्थान पर व्यक्तिगत प्रभाव उत्पन्न करने के लिए है तो इससे समाज में विस्फोटक स्थिति हो जाएगी।

मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ साईं की प्रतिमा की प्रतिष्ठा पर भी उन्होंने दो टूक कहा कि अगर किसी में दम-खम है तो वह ऐसा मस्जिद और गुरुद्वारा में करके दिखाए। मंदिर परंपरा प्राप्त हैं और उन पर इस तरह की प्रवृत्ति ठीक नहीं है।

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती 25 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए जबलपुर में तीन दिवसीय प्रवास के बाद रविवार को प्रस्थान कर रहे थे।


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