– मौके पर जांच करने पहुंची टीम, खंगाले दस्तावेज व साक्ष्य।
– अतिथि शिक्षक की पीड़ा, कम अंक वाले को दे दी गई प्राथमिकता।
नरसिंहपुर। सिहोरा के समीप हर्रई ग्राम निवासी अतिथि शिक्षक राजकुमारी मेहरा ने आवेदनों पर सुनवाई नहीं होने के बाद जिला कलेक्टर से गुहार लगाई है कि जब उसके आवेदनों पर सुनवाई नहीं हो रही है तो इच्छामृत्यु की अनुमति ही दे दी जाए।
शिकायत के बाद आनन-फानन में हरकत में आए प्रशासनिक अमले ने जांच के लिए मौके पर टीम पहुंचाई जिसने दस्तावेजों और साक्ष्यों को खंगाला।
हर्रई निवासी राजकुमारी मेहरा पिता सुमेर सिंह ने कलेक्टर के नाम दिए आवेदन में कहा है कि वह बहुत गरीब घर की शिक्षित महिला है। उसके द्वारा अतिथि शिक्षक पद पर 2009 से लगातार कार्य किया जा रहा है, लेकिन हर्रई की प्राथमिक शाला में अतिथि शिक्षक के लिए आवेदन देने के बावजूद कम अंक वाले अन्य अभ्यर्थी को अतिथि शिक्षक बना दिया गया जबकि वह डीएड है।
उसने उसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन 181 पर की तब तत्कालीन प्राचार्य ने उसे समझा-बुझाकर शिकायत बंद करवा दी। अतिथि शिक्षकों को दिए जाने वाले 25 फीसदी अंक भी उसे नहीं दिए गए।
इसके बाद 30 नवंबर 2019 को फिर आवेदन दिया गया, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की और उलटा उसे ही परेशान किया जाने लगा।
इस पर फिर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो उस पर दबाब बनाकर शिकायत को फिर से बंद करवा दिया। तीसरी बार शिकायत करने पर उसे बिना बताए ही शिकायत बंद कर दी गई।
पीड़ित राजकुमारी का यह कहना है कि उसकी शिकायतों का निराकरण आज तक नहीं किया गया जिससे उसे न्याय नहीं मिल सका। उसका कहना था कि 2019 से उसे अतिथि शिक्षक पद पर नियुक्ति नहीं मिल रही।
वहीं 181 पर शिकायत करने पर अब लग रहा है कि उसकी शिकायतों और आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, इसलिए उसके भरण-पोषण की व्यवस्था की जाए या फिर इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए।
जांच के लिए पहुंची टीम –
इस मामले में जांच के लिए फिर टीम पहुंची। शिक्षा विभाग के सहायक संचालक जेएस विल्सन, बीईओ चांवरपाठा संजय श्रीवास्तव भी मौके पर पहुंचे।
प्रतिवेदन के मुताबिक फोन नहीं किया रिसीव्ड –
अब तक जो मामला प्रतिवेदन की दृष्टि से संज्ञान में आया है। वह यह है कि एक अतिथि शिक्षक पद के लिए चार लोगों के आवेदन थे जिसमें प्रथम दो ने इच्छा नहीं दिखाई। फिर तीसरा नंबर राजकुमारी मेहरा का था। उन्हें सूचना दी गई। फोन भी किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। यहां तक कि किसी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी भिजवाया गया था। जब वह समय पर नहीं पहुंचीं तो चौथे अभ्यर्थी को सेवा का अवसर दिया गया। बावजूद इसके जांच के लिए सहायक संचालक शिक्षा को मौके पर भेजा गया है। अभी वैसे जांच की रपट नहीं मिली है। – एके इंगले, जिला शिक्षा अधिकारी, नरसिंहपुर