नरसिंहपुरः न्यायालय कलेक्टर का चौंकाने वाला आदेश, हरेराम धर्मशाला का पट्टा किया निरस्त


– धर्मशाला में देवजी नेत्रालय विजन सेंटर का संचालन व पट्टे का नवीनीकरण नहीं कराना माना पट्टे की शर्तों का उल्लघंन।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
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नरसिंहपुर। न्यायालय कलेक्टर नरसिंहपुर का एक आदेश आम लोगों के लिए चौंकाने वाला है। न्यायालय कलेक्टर ने वर्षों पुरानी जरूरतमंदों की आश्रयस्थली हरेराम धर्मशाला का पट्टा निरस्त कर दिया है।

धर्मशाला में देवजी नेत्रालय विजन सेंटर के संचालन को पट्टे की शर्त का उल्लघंन माना और 1500 वर्गफुट भूखंड का पट्टा निरस्त करते हुए रकबे को मप्र शासन के नाम दर्ज करने के आदेश पारित कर दिए।

कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी है कि नजूल अधिकारी तत्काल अभिलेख दुरूस्त कराएं और नियमानुसार एक सप्ताह में बेदखली की कार्रवाई का पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
न्यायालय कलेक्टर नरसिंहपुर ने हरेराम धर्मशाला के पट्टा निरस्त करने की कार्रवाई नजूल अधिकारी नरसिंहपुर के प्रतिवेदन के आधार पर की है जो 15 दिसंबर 2020 को प्रस्तुत की गई थी।

प्रतिवेदन के मुताबिक, नजूल नगर प्लॉट क्रमांक 2/2 रकबा 1500 वर्गफुट हरेराम धर्मशाला मंगल भवन में देवजी नेत्रालय विजन सेंटर बना हुआ है। यह पट्टे की शर्त का उल्लघंन है। साथ ही पट्टा नवीनीकरण के लिए नियत दिनांक 31 मार्च 1996 थी पर पट्टे का नवीनीकरण भी नहीं कराया गया जो शर्तों का उल्लघंन है।

अध्यक्ष को मिला नोटिस तो दिया जबाब, संस्था कर रही मुफ्त में नेत्र की जांच –

न्यायालय कलेक्टर से हरेराम धर्मशाला के अध्यक्ष गिरीश जायसवाल को नोटिस भी जारी किया गया जिसमें उपरोक्त तथ्य उल्लेखित किए गए जिसके जबाब में अध्यक्ष की तरफ से कहा गया कि हरेराम धर्मशाला एक पंजीकृत न्यास है। धार्मिक कार्यक्रमों के प्रयोजन के लिए उस भवन की 1500 वर्गफुट भूमि मंगल भवन कार्यालय के लिए स्थाई पट्टे पर प्रदत्त की गई थी। भवन में निशुल्क चैरिटेबिल गतिविधियां समाज की सहायता पहुंचाने के लक्ष्य से समय-समय पर संचालित होती रहती हैं।

दादा वीरेन्द्र पुरी जी महाराज चैरिटेबिल ट्रस्ट जबलपुर ने इसे एक दिसंबर 2020 को मंगल भवन अर्थात हरेराम धर्मशाला का एक छोटा कक्ष चैरिटेबिल कार्य के लिए निशुल्क तौर पर ट्रस्ट से एक माह के लिए लिया था। ट्रस्ट ने भारत शासन के राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने के उददेश्य से एक छोटे कक्ष को उन्हें उपलब्ध कराया। जहां आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की निशुल्क जांच संस्था के द्वारा कराई जाती रही है।

व्यावसायिक उपयोग नहीं –

ट्रस्ट की तरफ से कहा गया कि हरेराम धर्मशाला में पट्टे में प्रदत्त भवन के किसी भी भाग का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा रहा है। न तो ट्रस्ट संस्था से कोई राशि या किराया प्राप्त करता है। अनावेदक ने पट्टे की किसी शर्त का उल्लघंन नहीं किया। जबाब में यह भी कहा गया कि देवजी नेत्रालय नगर के अन्य स्थानों पर भी समय समय पर भी मरीजों के आंखों की जांच परामर्श, दवा, चश्मा, ऑपरेशन, लैंस प्रत्यारोपण आदि निशुल्क तौर पर संचालित करती है।

इसके लिए निशुल्क स्थान का चयन करती है। इस प्रकार देवजी नेत्रालय द्वारा यह कार्य व्यवसायिक उपयोग के लिए नहीं किया जा रहा है। न्यायालय को दिए जबाब में यह भी कहा गया कि नेत्रालय ने एक माह बाद कार्य पूर्ण कर कक्ष खाली कर दिया। अतएव पट्टे की शर्त की उल्लघंन नहीं किया गया है।

नवीनीकरण के लिए तिथि रही निर्धारित –

ट्रस्ट द्वारा न्यायालय से जारी कारण बताओ नोटिस को निरस्त किए जाने की प्रार्थना भी की गई। यह भी कहा गया कि नवीनीकरण को लेकर 31 मार्च 1996 की तिथि निर्धारित है जो प्रार्थी की जानकारी में नहीं है। वह संभवत: त्रुटिपूर्वक लिखी गई होगी जिसका भूल सुधार किया जा सकता है। जानकारी प्राप्त होने पर फिर से आवेदन प्रस्तुत किया गया है।

न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अनावेदक ने जबाब में यह उल्लेख किया है कि चैरिटेबिल संस्था को एकमात्र कमरा केवल एक माह के लिए निशुल्क दिया गया था जबकि प्रकरण में संलग्न फोटो और प्रतिवेदनों से यह प्रमाणित होता है कि बकायदा बोर्ड लगाकर शटर में दुकान का संचालन किया जा रहा था। साथ ही पट्टे का नवीनीकरण न कराया जाना भी अनावेदक द्वारा लिखित तौर पर स्वीकार किया गया है।

इसलिए यह निष्कर्ष है कि अनावेदक ने जारी पटटे की शर्तों और नियमों का उल्लघंन किया है। अत: हरेराम धर्मशाला के भूखंड का पट्टा निरस्त करते हुए रकबा 1500 वर्गफुट जमीन शासन के नाम दर्ज करने के आदेश पारित किए जाते हैं। यह भी व्यवस्था की गई है कि नजूल अधिकारी तत्काल अभिलेख दुरूस्त कराएं और नियमानुसार एक सप्ताह में बेदखली की कार्यवाही कर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।



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