मंत्री भार्गव के बेटे अभिषेक ने कहा- परिवारवाद के लाभ हैं तो नुकसान भी, दो चुनावों में नुकसान झेला


प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव का कहना है कि परिवारवाद के लाभ हैं तो नुकसान भी हैं। उन्होंने पिछले दो चुनाव में नुकसान झेला है और उनकी पहचान एक कार्यकर्ता के रूप में है।


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :
abhishek-bhargava

नरसिंहपुर। प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव का कहना है कि परिवारवाद के लाभ हैं तो नुकसान भी हैं। उन्होंने पिछले दो चुनाव में नुकसान झेला है और उनकी पहचान एक कार्यकर्ता के रूप में है।

अभिषेक भार्गव यहां बीते दिनों परिश्रम वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम युवा संसद में भाग लेने पहुंचे थे। “अगर मैं सांसद होता” विषय पर विभिन्न कॉलेज और स्कूलों के कई छात्र-छात्राओं ने विचार रखे।

इस दरमियान भार्गव से जब देशगांव ने चर्चा की तो उन्होंने कहा कि राजनीति और समाजसेवा में पिताजी उनके आदर्श हैं। उनके सानिध्य में ही रहकर समाज के बीच में वे काम कर रहे हैं।

वीडियो में देखें व सुनें क्या-क्या बोले अभिषेक भार्गव – 

जब उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा की सेकेंड लाइन मोर्चा संभालने के लिए तैयार हो रही है? मुख्यमंत्री के बेटे कार्तिक बुदनी में बेहतर भाषण देते दिखते हैं, इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश बैट घुमाते दिख जाते हैं, सागर में वे और दमोह में जयंत मलैया के बेटे भी।

इस सवाल के जबाव में उनका कहना था कि इसमें कोई बुरी बात नहीं है। प्रकृति का नियम है कि जब वृक्ष छाया देने के लिए अग्रसर हो जाते हैं तो उनके आसपास नए पौधे पनपते हैं। जब भी अवसर मिलेगा, हम तैयार रहेंगे। भाजपा आलाकमान को लगेगा कि अभिषेक भार्गव का अब इस्तेमाल करना चाहिए तब मैं तैयार रहूंगा। मुझमें धैर्य है।

भाजपा नेता से जब पूछा गया कि पार्टी ने जो ऐज फैक्टर लाइन तय की हैl उससे आप सहमत हैं?

इस सवाल के जवाब में अभिषेक का कहना था कि यह आवश्यक है। बुद्धि, विवेक व नीति नियम तय करके ही यह सब चीजें संभव हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नेताओं को अब जनता के बीच अच्छी धारणा बनाना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि उन्हें लोगों के बीच कार्य करना पड़ेगा। वीआईपी वाला कल्चर समाप्त हो रहा है।

उन्होंने कहा की समाजसेवा के लिए राजनीति में आना सशक्त माध्यम है। राजनीति और समाजसेवा जरूर अलग-अलग क्षेत्र हैं लेकिन अब राजनीति को गंदा कहा जाने लगा है इसलिए अब नेताओं को ही सोचना होगा कि हमें किस तरह जनता से जुड़ना है। कैसा आचरण करना है।

जब उनसे कृषि कानूनों व लव जिहाद से संबंधित कानूनों से सहमत होने पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि लव जिहाद को लेकर जो नियम सरकार ने बनाए हैं, उससे सहमत हैं बल्कि वह चाहते हैं कि इसमें सजा को उम्रकैद में बदला जाए, लेकिन कृषि कानून के मामले में वह कन्नी काट गए।

वीडियो में देखें व सुनें क्या-क्या बोले अभिषेक भार्गव – 

एक फीसदी ही लोग आते हैं सार्वजनिक कार्यों के लिए –

भाजपा नेता अभिषेक भार्गव ने कहा कि उन्होंने अब तक जो देखा है, उसनें महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्य हों, चाहे रेल लाइन बिछाने का काम या पंचायत भवन बनाने का काम या फिर सड़कों का या बिजली या स्कूल का। सिर्फ एक फीसदी लोग ही आगे आते हैं कि इस तरह के सार्वजनिक काम किए जाना चाहिए जबकि 99% लोग अपनी निजी समस्याओं को लेकर आते हैं।

वे समझते हैं कि 99 फीसदी लोगों के काम होने चाहिए क्योंकि उनकी समस्याएं अपनी हैं। कोई बीपीएल में नाम जोड़ना चाहता है तो किसी को आवास की जरूरत है। किसी को अच्छे स्वास्थ्य के लिए दवाओं की जरूरत है तो इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और यही वजह है कि वह इन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

अभिषेक भार्गव ने कहा कि वह अपने क्षेत्र में एक ऐसा प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं जिसके जरिये वह 1000 बच्चों को विभिन्न भर्तियों के लिए फिजिकल ट्रेनिंग और लिखित परीक्षा के लिए कोचिंग की सुविधाएं दे रहे हैं, वह भी निःशुल्क। आयुष्मान कार्ड जैसी वैकल्पिक व्यवस्था भी वह अपने निजी तौर पर देने का प्रयास कर रहे हैं।


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