88 साल के वृद्ध को युवक ने सरेराह मारा, घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद


ऐसा ही एक अपराध गुदरी बाजार में स्थित जैन मंदिर में सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र के सामने एक  88 साल के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ एक युवक ने सरेराह मारपीट कर दी।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

नरसिंहपुर। जिले में कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस काम तो लगातार कर रही है लेकिन ज्यादातर अपराध इंसान की मानसिक विकृति से जुड़े होते हैं जिन्हें पुलिस केवल सख़्ती करके नहीं हल कर सकती है।

ऐसा ही एक अपराध गुदरी बाजार में स्थित जैन मंदिर में सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र के सामने एक  88 साल के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ एक युवक ने सरेराह मारपीट कर दी।

 

शनिवार की दोपहर करीब तीन बजे वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र दत्त जैन सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र से  निकलकर सड़क पर पहुंचे ही थे। एक युवक आया और उनके चेहरे पर जोरदार मुक्के का वार कर दिया और गाली गलौज  करने लगा। इस प्रहार से वयोवृद्ध अधिवक्ता जमीन पर गिर गए और तकरीबन बेहोश हो गए।

इसके बाद उन्हें आसपास के लोगों ने उठाया। इस दौरान भी हमला करने वाला युवक उन्हें धमका रहा है। बाद में कुछ लोंगों ने उसे पकड़ा और अलग किया। घटना के बाद बुजुर्ग अधिवक्ता के बेटे एड सुलभ जैन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

यह हरकत करने वाले युवक का नाम आशीष जैन बताया जा रहा है। घटना का कारण अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके बाद कोतवाली पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई। जहां पुलिस ने युवक के खिलाफ धारा 294,  323, 506 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।

पुलिस के मुताबिक आरोपी आशीष जैन पिता शांतिलाल जैन  के खिलाफ पहले भी धारा 307, 353, 286, 341, 324 एवं 110 भादंवि व जुआं एक्ट के तहत अपराध दर्ज हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। हालांकि मामला जमीनी विवाद का बताया जा रहा है। पीड़ित वृद्ध के परिजनों के मुताबिक उक्त युवक कई बार विवाद कर चुका है और कई अन्य अपराधों में भी लिप्त है लेकिन स्थानीय पुलिस उस पर गंभीर कार्रवाई नहीं करती है।

ऐसे में अब परिजन जिले के एसपी और कलेक्टर से इस मामले में उनकी सहायता करने की गुहार लगा रहे हैं। परिजन इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से भी अपील कर रहे हैं कि  ऐसे संस्कारहीन नौजवानों को वे सबक सिखाएं।

समाज के कई लोगों ने इस घटना को शर्मिंदगी बताया। यह घटना शहर के समाज को अपने संस्कारों पर झांकने को मजबूर कर रही है, उनसे पूछ रही है कि अपनी पीढ़ी को बड़ा करने में वे कहां गलती कर रहे हैं।



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