नरसिंहपुरः पानी के बदले खेत मालिक को हर महीना देना पड़ता है 50 रुपया 


बरहटा से लगभग 20 किमी दूर ग्राम खापा टोला में गांव की महिलाओं को पानी के लिए दो किमी का सफर तय करना पड़ता है। भारी भरकम वजन सिर पर रखकर पानी लाने की मजबूरी होती है और बदले में खेत मालिक को 50 रुपये महीने देना पड़ते हैं।


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
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– पानी, सिर पर भारी भरकम वजन और दो किमी का सफर।

– एक साल से बंद पड़ी है नल-जल योजना, नेता-अधिकारी बेफिक्र।

नरसिंहपुर। हर साल नल-जल योजना के नाम पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग गर्मी आने के पहले कई लाख रुपये का बजट खर्च करता है, लेकिन गांव की नल-जल योजना के हालात जस के तस रहते हैं।

बरहटा से लगभग 20 किमी दूर ग्राम खापा टोला में गांव की महिलाओं को पानी के लिए दो किमी का सफर तय करना पड़ता है। भारी भरकम वजन सिर पर रखकर पानी लाने की मजबूरी होती है और बदले में खेत मालिक को 50 रुपये महीने देना पड़ते हैं।

खापा शेढ़ की आबादी लगभग 2500 है। गोटेगांव विकासखंड के अंतर्गत यह गांव गोटेगांव मुख्यालय से करीब 60 किमी और जिला मुख्यालय में करीब 50 किमी दूर है। ग्राम खापा टोला शेढ़ नाम के लिए तो एक गांव हैं, लेकिन बस्तियां दो-दो, डेढ़-डेढ़ किमी दूर बसी हैं। जिन्हें टोला के नाम से जाना जाता है।

देखिये वीडियो कैसे महिलाओं को दो किलोमीटर तक सिर पर ढोकर लाना पड़ता है पानी – 

यहां तीन नल जल योजनाएं हैं जिनके तहत तीन टंकियां हैं। दो टंकियों से तो पानी की सप्लाई हो रही है, लेकिन एक टोला बस्ती में जहां एक नल जल योजना है, जो पिछले एक साल से बंद पड़ी है।

पीएचई के मिस्त्री नल जल योजना को सुधारने के लिए आए तो उनसे मोटर गड्ढे में गिर गई तो इसके बाद फिर कोई लौट के नहीं आया। खामियाजा गांव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

पानी के प्रबंध के लिए महिलाओं को दो किमी का सफर तय करना पड़ता है। पानी का प्रबंध वह एक खेत से करती हैं जहां बोरबेल है। इसके बदले पानी लाने वाले गांव के परिवारों को खेत के मालिक को 50 रुपये महीने देना पड़ते हैं। ठंड हो या बरसात या फिर आग बरसाती गर्मी इन्हें 12 महीने यह मुश्किलें झेलना पड़ रही हैं।

कई दिनों से ले जा रहे पानी – 

गांव की महिलाएं इलायची बाई, सुखवती, मुन्नीबाई, दिलासा बाई कहती हैं कि बहुत दिनों से गड्ढा बंद पड़ा है। पानी नहीं है इसलिए 100-50 रुपये पानी के लिए देना पड़ रहे हैं। गड्ढा सूख गया है पानी नहीं है इसलिए वह बहुत दिनों से खेत से पानी लेकर आ रही हैं।

बुनियादी योजनाओं का लाभ नहीं – 

ग्रामीण बतलाते हैं कि टोला बस्ती में बुनियादी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिलता। योजनाओं के लाभ से वह वंचित रहते हैं। सड़क, बिजली, पानी और इलाज के लिए तो उन्हें मुश्किलें झेलना पड़ती है। गांव के लोगों का कहना है कि उनके इलाके में तो चुनाव के वक्त ही नेता आते हैं इसके बाद वह भूल जाते हैं कि यहां भी कोई गांव है और लोग रहने वाले हैं।

दे चुके हैं कई प्रस्ताव – 

हम कई बार ग्राम पंचायत से यह प्रस्ताव दे चुके हैं कि नल जल योजना ठीक करा दी जाए ताकि टोला के लोगों को पानी मिल सके। लेकिन हमारी कोई सुन नहीं रहा है। – वीरा बाई, सरपंच, ग्राम पंचायत, खापा

पीएचई कर रही है देखरेख – 

नल जल योजना के कार्य के लिए पंचायत की कोई भूमिका नहीं है। पीएचई ही देखरेख कर रही है। पिछले साल पीएचई के मिस्त्री सुधारने के लिए आए थे तो उनसे गड्ढे में मोटर गिर गई इसके बाद कोई लौट कर नहीं आया। गांव में परेशानी तो हैं। – रमेश कुमार उपाध्याय, सचिव, ग्राम पंचायत, खापा

मेन्टेनेंस पंचायत को करना है – 

हाल ही में दो ट्यूबबेल करवाए गए थे, एक स्कूल के पास है। वहां एक ट्यूबबेल में पंचायत ने मशीन फंसा दी। मेंटनेंस का कार्य तो पंचायत को ही करना है। पीएचई तो सोर्स का काम देखती है कि कहां वाटर सोर्स है। फिर भी सीईओ साहब से इस सिलसिले में चर्चा कर लेगें। – सीएल चौधरी, सब इंजीनियर, पीएचई


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