19 करोड़ में बिक गई शहर के बस स्टैंड की ज़मीन, अब रजिस्ट्री पर हंगामा


जमीन फर्म को बेची जा रही लेकिन रजिस्ट्री 18 लोगों के नाम होेगी


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

नरसिंहपुर। शहर के बस स्टैंड की बेशकीमती ज़मीन अब प्रशासन के हाथ से निकल रही है। प्रशासन ने इसे बेच दिया है और इसके ऐवज़ में प्रशासन को 19 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। हालांकि यह मामला अब तक कोर्ट में है और परिसंपत्ति के अतिक्रमण के मामले में सुनवाई उच्च न्यायालय में सोमवार 3 जुलाई को है।

मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ने मेसर्स नर्मदा डेवलपर्स नरसिंहपुर से सौदा कर लिया है। स्थानीय प्रशासन की टीम इस जमीन की सुपुर्दगी के लिए डिपो के आसपास कई दुकानदारों को अतिक्रमण हटा रही है। प्रशासन के मुताबिक यह कार्रवाई कानून के अनुसार है वहीं नागरिक इसे दोहर मापदंड बता रहे हैं।

जमीन को लेकर खसरा नम्बर 14/1 और 14/2 का विवाद अभी सुलझा नहीं है। मिली जानकारी अनुसार इस पर 3 जुलाई में याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई नियत की गई है। इसके पूर्व ही उक्त भूमि से लगी भूमि पर से अतिक्रमण हटाने को लेकर सक्रिय प्रशासन की टीम की को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार अपनी संपत्तियां क्यों बेच रही है और इसका क्या उद्देश्य है।

नरसिंहपुर कंदेली बस्ती के सघन आबादी और व्यवसायिक क्षेत्र तथा नगर के मध्य स्थित नरसिंहपुर बस डिपो की यही जमीन लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग भोपाल से नीलामी में नर्मदा डेवलपर्स कंपनी में मनोनीत 19 व्यक्तियों के नाम है।

इस भूमि का नगर पालिका में नामांतरण, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय जबलपुर से नक्शा स्वीकृति आदि की प्रक्रिया पर आम लोगों के कई सवाल हैं। प्रशासन के दोहरे मानदंड आम लोगों की समाज से परे हैं।

विधिवत हो रही है कार्यवाही

पूरे मामले में विधिवत कार्रवाई हो रही है l कैबिनेट के फैसले के अनुसार परिसंपत्ति नीलाम की गई है। जब फिर से सीमांकन किया गया तो करीब 525 स्क्वायर फीट जगह कम हो रही थी तो खसरा क्रमांक 42/3 को छोड़कर एक बार फिर से सीमांकन किया गया है। इसके पूर्व तहसीलदार ने 17 लोगों के अतिक्रमण हटाए थे। सीमांकन का कार्य विधिवत है l इस मामले में प्रशासन भी माननीय हाईकोर्ट के समक्ष जबाब प्रस्तुत कर रहा है।
– संजय मसराम,  तहसीलदार नरसिंहपुर

प्रशासन के दोहरे मानदंड

एक तरफ प्रशासन सार्वजनिक परिसंपत्ति को बेच रहा है तो दूसरी तरह बरसात में अतिक्रमण हटा रहा है। लीज पर दी गई जमीन के लोगों को भी बेदखल कर रहा है। तकनीकी तथ्य व सवाल यह है कि जब शासन ने डेवलपर्स के नाम जमीन दी है तो फिर यह 19 लोगों के नाम कैसे आ रही है l क्या यह है जगह अवैध कॉलोनी की तरह नहीं होगी। शासन ने 19 लोगों के नाम से जगह की सुपर्दगी नहीं दी है।
– अमर नोरिया, नरसिंहपुर