राममंदिर ट्रस्ट में कोई संत नहीं सब राजनीतिक कार्यकर्ता, उद्घाटन भी मोदी अकेले ही कर दें… शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद


ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण पर बोले ज्योतिष पीठ के आचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

पिछले दिनों ओंकारेश्वर में दुनिया की सबसे बड़ी शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण हुआ। इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर कई साधू संत दिखाई दिए लेकिन जो नहीं दिखाई दिए वे शंकराचार्य की परंपरा के सबसे अहम वाहक हैं और उन्हें इस दौरान राज्य सरकार ने कोई खास तवज्जो नहीं दी। देशगांव ने उनसे  इसके साथ कई दूसरे मुद्दों पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से बातचीत की। यहां पेश हैं उनसे हुई बातचीत के कुछ अहम अंश।

 

सवालः  आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनकर तैयार हुई है, इस पर क्या कहेंगे आप?

जवाबः ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर यह जरूर कहते हैं कि उज्जैन के मांधाता पर्वत में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण या लोकार्पण करने के लिए ऐसी क्या जल्दी थी, कुछ दिन रुक जाते तो बेहतर होता। आदि शंकराचार्य एक दंडी सन्यासी हैं, एक संन्यासी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण चातुर्मास में तो नहीं करते,  हो सकता है चातुर्मास के बाद हम शंकराचार्य वहां पहुंचते तो उनके दर्शन का आनंद ले सकते थे, अपनी बात रख भी सकते थे।

सवालः   नई संसद बनी तो केवल दक्षिण के सन्यासियों और संतों को बुलाया गया ऐसा क्या हुआ?

जवाबः  नई संसद उत्तर भारत में ही है और दक्षिण भारत में भाजपा अपना ज्यादा विस्तार करना चाहती है इसलिए उन्होंने दक्षिण भारत के संतों को बुलाया तो इसमें कोई खराबी नहीं है,  हर कार्यक्रम के आयोजक का लाभ हानि को लेकर अपना दृष्टिकोण होता है।

सवालः  आपके गुरू ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का राम मंदिर आंदोलन में अहम योगदान रहा और राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है, आपको कोई न्यौता दिया गया है आने का?

जवाबः नहीं हमें इसे लेकर कोई आमंत्रण नहीं मिला है। प्रधानमंत्री ने मन्दिर का शिलान्यास किया वही उद्घाटन कर दें,  फिर जो ट्रस्ट बना है उसमें कोई धर्माचार्य तो है नहीं ,सिर्फ राजनीतिक दल और इसके आसपास काम करने वाले कार्यकर्ता ही हैं। कोई विश्व हिंदू परिषद का है तो कोई संघ का, कोई बजरंग दल या कहीं किसी और संगठन का।

सवालः  धार्मिक परिस्थितियों में शंकराचार्य की भूमिका और अधिक प्रासंगिक हो गई है पर समाज में कुछ कथा वाचकों का प्रभाव ज्यादा बढ़ गया है?  कुछ कथावाचक प्रवचन के दौरान महिलाओं के समक्ष अवांछनीय शब्दों का भी इस्तेमाल कर देते हैं, जैसे किसी ने अविवाहित महिला के लिए प्लाट कहा, कोई चमत्कार करता है, इस पर क्या कहेंगे?

जवाबः समाज में कथा वाचकों का प्रभाव बढ़ना अच्छा है, इससे लोग कहीं ना कहीं अध्यात्म की ओर बढ़ते हैं, लेकिन अगर कुछ गलत है तो लोग समझदार होंगे तो वह जल्दी ही बाहर कर दिए जाएंगे, ठीक वैसे ही जैसे कोई फल की टोकरी लाता है तो उनमें एक दो फल सड़े निकल ही जाते हैं चाहे कितना ही प्रयास कर लो लेकिन ऐसे सड़े फलों को बाहर फेंक दिया जाता है, यही हाल ऐसे कथावाचकों का होगा।

सवालः  हिंदू राष्ट्र संज्ञा का प्रयोग आजकल खूब होता है, इस पर कुछ कहेंगे?

जवाबः  यह संज्ञा सिर्फ राजनीति में उछाली जा रही है अब तक इस मामले में कोई प्रारूप नहीं है और ना ही कुछ ऐसा होने वाला है, धर्म सेंसर बोर्ड पर भी उन्होंने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि कहा कि यह जरूरी है।


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