उप पंजीयक ने रचाया फर्जीवाड़ा, रुपए लेकर दूसरे के नाम कर दी 82 वर्षीय बुजुर्ग की जमीन


6 लोगों पर मामला दर्ज, जांच में पता चला कि इनके खातों में गई है राशि


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :

जिला पुलिस ने उप पंजीयक समेत 6 लोगों पर धारा चार सौ बीसी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है ।

गाडरवारा पुलिस ने नरसिंहपुर व गाडरवारा में पदस्थ उप पंजीयक महेश पवार समेत सरोज बाई, शशिकांत कौरव, राजेश , निधि कौरव, मोहन गुर्जर पर धारा 419, 420, 467 , 468 और 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है ।

मामले का खुलासा कुछ इस तरह हुआ कि झाझनखेड़ा निवासी प्रहलाद सिंह कौरव पिता नारायण सिंह 82 वर्ष अपनी करीब साढे तीन एकड़ जमीन के संबंध में जो पटवारी हल्का नंबर 96 में स्थित है। प्रह्लाद सिंह ने खसरे की नकल उन्होंने निकलवाई तो उसमें दर्ज नाम देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उनकी जमीन में सरोज बाई पति दयाचंद कौरव का नाम दर्ज है, जब उन्होंने इस मामले में और पड़ताल की तो पाया कि विक्रय पत्र के आधार पर जमीन हस्तांतरित हुई है जबकि कब्जा उनका ही है।

इस मामले में उन्होंने आवेदन दिया कि उन्होंने अपनी जमीन का कभी भी सौदा नहीं किया।

मामले की पड़ताल में एक के बाद एक खुलासा कुछ इस तरह हुआ कि 3 मई को निकलवाई गई खसरे की नकल में ऋण पुस्तक यानि बही भी फर्जी तरीके से बनाई गई है और उसमें एक मुंशी अविनाश साहू के खाते में भी बड़ी राशि ट्रांसफर हुई है वहीं कुछ और राशि भी दूसरों के नाम फोन पर दी गई।

विक्रय पत्र भी फर्जी पाया गया जब इस मामले का पूरा पर्दा फाश हुआ तो आवेदन के आधार पर गाडरवारा थाने में शिकायत हुई। शिकायत के आधार पर उप पंजीयक महेश पवार समेत अन्य पर मामला दर्ज हुआ ।

खास बात यह है कि उप पंजीयक महेश पवार ने भी कई तरह के फर्जीबाड़े किए, जो रजिस्ट्री गाडरवारा में होना थी उसे नरसिंहपुर में कराई गई और विक्रेता भी फर्जी तरीके से खड़े किए गए। आईडी प्रूफ भी कूट रचित से तरीके से तैयार किए गए।

 5 जुलाई को एफआईआर और धाराएं पुरानी 

इस मामले में अधिवक्ता पशोपेश में हैं कि 31 मार्च 2024 की घटना के मामले में 5 जुलाई 2024 को गाडरवारा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की । जिसमें धारा 419, 420 (अब 318) 467 (अब 336 ) 468 और 34 दर्ज की गई है ।

जबकि नई धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाना था। यह भी कि जो एफआईआर होती है वह धारा 154 के तहत होती है परंतु यह नए कानून के अंतर्गत धारा 173 के तहत की गई है। भारतीय न्याय संहिता की बजाय भादवि के तहत धारा लगाई गई है।



Related