नरसिंहपुर। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीज और नाकाफी हो रहे स्वास्थ्य संसाधनों से जिले में मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। एक दिन में करीब 74 ऑक्सीजन सिलेंडर समाप्त हो गए हैं। जीवनरक्षक दवाईयों की समस्या लगातार बनी हुई है।
वहीं, लोगों को अफसोस है कि आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में माननीय लोगों द्वारा जीवनरक्षक दवाईयों को लेकर चर्चा तक नहीं होती। ये स्टाफ की कमी को लेकर कभी बात नहीं करते।
चरमरा रही व्यवस्थाओं की एक बानगी यह है कि मरीजों के लिए चिकित्सकीय स्टाफ भी पर्याप्त नहीं है और इनका टोटा है। एक मरीज को हाथ में बॉटल लगी है, लेकिन बहुत देर तक जब स्टाफ उसकी परेशानी सुनने नहीं आया तो वह स्टाफ की तलाश में वार्ड के बाहर निकल गया।
कोरेाना संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है। हाल यह है कि जिला अस्पताल में 100 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं, लेकिन एक दिन में 74 सिलेंडर खाली हो गए।
कोरोना संक्रमित मरीजों के लगातार बढ़ने के कारण इनकी लगातार मांग बनी हुई है। स्टाफ की कमी सबसे बड़ा रोड़ा है। शिकायत तो यह भी हो रही है कि जो मौजूदा स्टाफ है वह भी मरीजों की सुन नहीं रहा है।
एक बुजुर्ग इंजीनियर जिसे हाथ में बॉटल लगी है, लेकिन उसके पास कई घंटे तक जब कोई स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं पहुंचा तो वह हाथ में बॉटल लगी हुई अवस्था में एवं लाठियां टेकते हुए स्टाफ की तलाश में बाहर निकल गया।
हालात को लेकर लोगों मे आक्रोश यह है कि आला अफसर सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। कभी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग नहीं करते। कभी माननीय जीवनरक्षक दवाईयों को लेकर फिक्रमंद नजर नहीं आते। रेमडिसिवर इंजेक्शन समेत कई जीवन रक्षक दवाईयां का टोटा है।
कई बार कन्फ्यूज हो जाते हैं मरीज –
लगातार मरीज बढ़ रहे हैं। हाल ही में गोटेगांव से 7 और गाडरवारा से 25 लोग आए हैं। कई बार मरीज कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कौन कहां पर है। वैसे सभी तरह के वारियर्स, गार्ड सब व्यवस्थाएं हैं। समस्याएं तो हैं फिर भी हम लगातार अलर्ट होकर सेवाएं दे रहे हैं।
– डॉ. अनीता अग्रवाल, सिविल सर्जन, नरसिंहपुर