शहर में बलवा करने, एक दर्जन गाड़ियों में तोड़फोड़, आगजनी करने के रहे आरो ह 9 साल पुराने बलवा और विधि विरुद्ध जमावड़ा करने, बल का प्रयोग करके हिंसा करने के मामले के आरोप में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश गाडरवारा की अदालत ने एक ही गांव के 24 लोगों को विभिन्न धाराओं के तहत 3-3 साल की सजा और 12-12 हजार रु के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। इन 24 लोगों में कहीं एक ही परिवार के कई सदस्य हैं। कहीं बाप बेटे तो कहीं भाई तो कहीं अन्य परिजन शामिल हैं।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश गाडरवारा मनीष कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने एक ही गांव कल्याणपुर के जिन 24 लोगों को सजा सुनाई है उनमें – अशोक कोचर 69 वर्ष, राजकुमार उपाध्याय 61, मनीष उर्फ बद्दू नेमा 49 , उमाशंकर कौरव 53, रमेश कोचर 64, दीपक उर्फ राजू पिता रमेश कोचर 43, पवन कोचर पिता उत्तम कोचर 54, वीरेंद्र कोचर पिता अशोक 39, लोकेंद्र उर्फ लल्लू पिता अशोक कोचर 39, गोलू और रविंद्र पिता अशोक कोचर 37, रमेश कौरव पिता लक्ष्मण कौरव 49 , सत्य प्रकाश पिता हेमंत कौरव 45, संदीप कौरव पिता रमेश कौरव 33, सतीश कौरव पिता रमेश कौरव 35, गिरधारी लाल शर्मा 65, आशीष उर्फ अस्सू पिता गिरधारी 35,वि जय उपाध्याय पिता नन्हे 39, संदीप उपाध्याय पिता विजय, सचिन उपाध्याय पिता विजय 37, बबलू उर्फ विजय पिता सत्यनारायण 39, कालू उर्फ़ कालूराम टिकरहा पिता उमराव 61, दशरथ कौरव पिता सुंदरलाल 57, अनिल पिता रामकुमार उपाध्याय 35, संदीप साहू पिता सुदामा प्रसाद 35 वर्ष हैं।
पुलिस ने दो अभियुक्तों को फरार घोषित करते हुए उनके खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी करने कहा है, जिनमें भूरा उर्फ गोलू पिता रामशरण ठाकुर तथा गुड्डू उर्फ अनिल पिता मंगल कोचर हैं।
न्यायालय ने भादवि की धारा 148 के तहत 6 – 6 माह के सश्रम कारावास एवं धारा 435 से सहपठित धारा 149 भादवि के तहत 3-3 वर्ष की कारावास एवं 12000 रु का जुर्माना अधिरोपित किया है। जुर्माना नहीं देने पर एक-एक वर्ष का कारावास और भुगतना होगा।
2015 का यह है मामला
नरसिंहपुर जिले के करेली थाना अंतर्गत ग्राम कल्याणपुर का यह मामला है। यहां 23 फरवरी 2015 को सुबह के वक्त एक विवाद ने हिंसा की घटना का रूप ले लिया था। आरोप था कि कल्याणपुर में समूह विशेष की लगभग एक दर्जन गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। घातक हथियार से हिंसा एवम बल का प्रयोग कर क्षति पहुंचाई गई। पुलिस में दर्ज रपट के अनुसार यहां कल्याणपुर में 20 – 25 लोगों ने घातक हथियारों के साथ कुछ घरों में तोड़फोड़ की। दो मिनी बस, ट्रैक्टर और कई बाइक समेत एक दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए। इस मामले में पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ़ नामजद प्राथमिकी भी दर्ज की थी। 19 जून 2016 को पूरक अभियोग पत्र दाखिल किया और कई अनुसंधान प्रस्तुत किए।
65 पेज और 93 बिंदुओं पर केंद्रित निर्णय
इस मामले में न्यायालय ने करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा साक्ष्यों पर विचारण किया। करीब 65 पेज में 93 बिंदुओं को रेखांकित किया। न्यायलय ने साक्ष्यों और कथनों तथा पुलिस के द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों के आधार पर पाया कि घटना में अभियुक्तों पर आरोप सिद्ध हो रहे हैं। इस मामले में न्यायालय ने पुलिस के अनुसंधान पर भी गंभीर टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि अनुसंधान में पुलिस की घोर लापरवाही दर्शाती है लेकिन अनुसंधान में कमी के कारण दोष मुक्त किया गया तो यह भविष्य में अनुसंधान अधिकारियों के हाथ का खेल हो जाएगा।
इस मामले में न्यायालय के समक्ष विभिन्न दृष्टांत भी प्रस्तुत किए गए । जिसमें न्यायालय ने पाया कि घटना की विवेचना करने वाले प्रभारी उमेश तिवारी और एएसआई घनश्याम सिंह के द्वारा अनुसंधान में व्यापक लापरवाही की गई है।
इस मामले में न्यायालय ने भारतीय दंड विधान की धारा 148, धारा 435 से सह पठित धारा 149 समेत अन्य धाराओं में एक ही गांव के आरोपित 24 लोगों के खिलाफ आरोपों को सही पाया।