भोपाल में करेली के गुड़ व गाडरवारा के तुअर दाल की धूम, दो दिन में ही स्टॉलों का स्टॉक खत्म


– भोपाल हाट में चल रहा मेला 13 जनवरी तक बढ़ा।
– हाथों-हाथ बिक गई 15 रुपये प्रति किलो वाली वर्मी कम्पोस्ट।


ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
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नरसिंहपुर। जिले के दो उत्पाद करेली के गुड़ और गाडरवारा की तुअर दाल ने भोपाल और इंदौर में लोगों को अपना दीवाना बना लिया है। भोपाल हाट में लगे स्टॉल पर दो दिनों में ही करीब 200 क्विंटल दाल और गुड़ की बिक्री हो गई।

यहां के स्टॉल अब खाली हो गए हैं। मांग बरकरार रहने से स्टॉल लगाने वालों ने नरसिंहपुर जिले से और भी गुड़ और दाल मंगवाई है। साथ ही साथ अब यह गुड़ मेला 13 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है।

सौंधेपन के लिए मशहूर गाडरवारा की तुअर दाल और पौष्टिक व स्वादिष्ट करेली का गुड़ भोपाल व इंदौर के हाट बाजार में लोगों की पसंद बन गया है। भोपाल हाट बाजार में 20 स्टॉल में पहली खेप में 160 क्विंटल गुड़ और 40 क्विंटल दाल पहुंची थी।

वह पहले दो दिन में ही खत्म हो गई तो तीसरे दिन यहां नरसिंहपुर से 20 क्विंटल गुड़ और 10 क्विंटल दाल और बुलाई गई, जो खूब बिकी। यहां 20 में से सात-आठ स्टॉल खाली हो गए हैं।

अब फिर से नरसिंहपुर से लगभग 200 क्विंटल दाल और गुड़ फिर से भेजा जा रहा है। यहां मांग बढ़ने से भोपाल का हाट बाजार अब 13 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है।

वहीं इंदौर में 15 स्टॉल लगे थे जिसमें 60 क्विंटल गुड़ और 13 क्विंटल दाल पहुंची थी। यहां भी अच्छा रिस्पांस मिला लेकिन भोपाल की तुलना में इंदौर में बिक्री कमजोर रही।

वर्मी कम्पोस्ट की रही मांग, दो क्विंटल से ज्यादा बिकी – 

नरसिंहपुर जिले से वर्मी कम्पोस्ट ले जाई गई थी। जहां दो-दो किलोग्राम के पैकेट पैक किए गए थे। वहां 15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर करीब 2 क्विंटल से ज्यादा वर्मी कम्पोस्ट हाथों-हाथ बिक गए और इनके स्टॉल खाली हो गए।

फरवरी के सरस मेला के लिए तीन स्टॉल बुक – 

गुड़ और दाल की मांग बरकरार है। हाट बाजार में मिले अच्छे रिस्पांस से फरवरी में 10 से 23 फरवरी तक आयोजित सरस मेले में अभी से ही तीन स्टॉल बुक हो गए हैं। हर राज्य से यहां मेले में अच्छे प्रोडक्ट लेकर व्यवसायी पहुंचते हैं।

कृषि मंत्री का ट्वीट – मिलेगी नई पहचान

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने गुड़ मेला को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में एक जिला एक उत्पाद के रूप में करेली के गुड़ और गाडरवारा की तुअर दाल को नई पहचान मिलेगी।

जितना सोचा नहीं था उससे बेहतर रिस्पांस मिला है इसलिए अब यह मेला 13 जनवरी तक बढ़ा भी दिया गया है। जिन किसानों ने स्टॉल लगाए थे उनका गुड़-दाल खत्म हो गया है। उन्होंने फिर से बुलवाया है। गुड़ और दाल की ब्रांडिग किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत बनेगी। – राजेश त्रिपाठी, उपसंचालक कृषि, नरसिंहपुर


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