तीन दिन के सामूहिक अवकाश पर गए पटवारी, नहीं हो रहा शासकीय योजनाओं का काम


चुनावी साल में सबको चाहिए अपना अधिकार, पटवारियों को भी बनाया जाए आरआई, अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर गए पटवारी।


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घर की बात Published On :
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धार। चुनावी साल होने के कारण शासकीय कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना, प्रदर्शन व हड़ताल कर रहे हैं जिससे शासन की योजनाओं पर पलीता लगता हुआ दिखाई दे रहा है।

पूर्व में तहसीलदार द्वारा हड़ताल की गई जिसके बाद उनको डिप्टी कलेक्टर का पद देकर नवाजा गया वहीं गिरधावरों को तहसीलदार व नायब तहसीलदार बना दिया गया। वहीं अब पटवारी भी अपनी मांग कर रहे हैं और हड़ताल पर उतर गए हैं।

पटवारी संघ का यह कहना है कि उनका वेतन बढ़ाया जाए व साथ ही आरआई की पोस्ट दी जाए। मध्यप्रदेश पटवारी संघ के आह्वान पर धार के भी पटवारी तीन दिनी अवकाश पर चले गए हैं।

अप्रत्यक्ष तौर पर हड़ताल करके पटवारी सरकार की जनसेवा योजना पर पलीता लगा रहे हैं। वे सीमांकन किए जाने का विरोध कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने जनसेवा अभियान में उसे शामिल कर रखा है।

पूर्व में भी पटवारी संघ अभियान के दौरान हड़ताल पर गया था। सीमांकन के आवेदनों की संख्या को देखते हुए सरकार ने पटवारियों को भी सीमांकन करने का अधिकार दे दिया।

कई पटवारी तो अवसर का लाभ ले रहे हैं तो कई विरोध कर रहे हैं जिनकी संख्या अधिक है। इसको देखते हुए मध्यप्रदेश पटवारी संघ ने विरोध का बिगुल बजा दिया है। उसके आह्वान पर 24 मई से तो 27 हड़ताल पर हैं तो 28 व 29 को शासकीय अवकाश है और सभी पटवारी सामूहिक अवकाश पर हैं।

इससे पहले भी उन्होंने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा था। उसमें कहा गया था कि जिन पटवारियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई उन्हें वापस लिया जाए।

पटवारियों को सीमांकन कार्य से अलग रखा जाए। समान कार्य व समान वेतन के आधार पर पटवारियों को 2800 पे ग्रेड दी जाए। विशेष भर्ती अभियान की वजह से 500 आरआई के सीमाकंन कार्य नहीं करने से पटवारियों पर काम का बोझ आ गया है जो ठीक नहीं है।

सभी पटवारियों से कार्रवाई नहीं लेने पर आज से सामूहिक अवकाश पर चले गए, जबकि मध्यप्रदेश शासन का जनसेवा अभियान चल रहा है जिसमें अधिकांश जगहों पर पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

मजेदार बात तो ये है कि जनसेवा अभियान में सीमांकन के भी प्रकरणों को भी लिया गया है जिसका पटवारी विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व में भी पटवारियों ने हड़ताल की थी जब सरकार का ग्रामोदय अभियान चल रहा था। उस दौरान अभियान को भी फर्क पड़ा था।

भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे ज्यादा पकड़ाते हैं पटवारी –

भ्रष्टाचार के मामलों में लोकायुक्त पुलिस सबसे ज्यादा पटवारियों को रंगेहाथ पकड़ती है। कई के यहां तो लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई कर आय से कई गुना अधिक बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया है। इसके बावजूद पटवारी सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं। प्रशासनिक अफसरों के पास थोक बंद पटवारियों की शिकायतें पहुंचती हैं।

29 मई से होंगे जनता के काम –

पटवारी संगठन के आह्वान पर तीन दिवसीय हड़ताल को तो समाप्त कर दिया गया, लेकिन शनिवार-रविवार छुट्टी होने के कारण कोई कार्य नही होगा और सोमवार से सभी पटवारी तहसील स्तर पर अपने कार्यस्थल पर लौटेंगे।

पटवारियों के हड़ताल पर चले जाने से ग्रामीणों को सीमांकन में काफी परेशानी आई। किसानों के लिए यह 3 महीने ही खेती-बाड़ी में सीमांकन का कार्य करने के होते हैं। बाद में बारिश व फसलों के खेतों में होने से काम नहीं होता है।


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