अगर मेरे अलावा टिकिट देना ही था तो किसी पुराने कांग्रेसी को दे देते, किसी ऐसे कार्यकर्ता को देते जिसने कांग्रेस की सेवा की हो, जिसने कांग्रेस को धोखा न दिया हो लेकिन टिकिट जिसे दिया गया वह ऐसा नहीं है। पार्टी ने मेरा भरपूर उपयोग किया। मैंने महू में राहुल गांधी की बड़ी रैली करवाई और इसके बाद मुझे भोपाल में भी रैली की जवाबदारी दे दी गई। मैंने करीब सात लाख रुपए खर्च किए इस दौरान पीसीसी के किसी नेता ने मेरी मदद नहीं की लेकिन अब मेरे साथ यह व्यवहार हुआ इसे देखकर मन दुखी है। मेरे कार्यकर्ता कहेंगे तो मैं उनकी ओर से चुनाव लड़ूंगा और मैं यह पार्टी पर दबाव डालकर फैसला बदलने के लिए नहीं कर रहा, मुझे नहीं चाहिए किसी को मिला हुआ टिकिट अपने नाम पर…
यह कहना था महू विधानसभा में पिछले करीब चालीस साल से कांग्रेस पार्टी का झंडा मजबूती से उठाए रहने वाले दो बार के विधायक और पांच बार चुनाव लड़ चुके नेता अंतर सिंह दरबार, दरबार जो लगातार तीन बार चुनाव हारने के बाद भी जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखे लेकिन अब वे कांग्रेस से नाराज़ हैं। दरबार कहते हैं कि अगर तीन बार हारा हुआ हूं तो मुझे भोपाल बुलाकर राहुल गांधी का कार्यक्रम क्यों दिया गया।
महू से दो बार विधायक रहे अंतर सिंह दरबार ने किया बगावत का ऐलान ?
कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला की उम्मीदवारी के खिलाफ कल रैली निकालेंगे ?
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— Dr.Hitesh Bajpai MBBS (@drhiteshbajpai) October 20, 2023
मप्र विधानसभा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपनी 229 सीटों पर टिकिट बांट दिए हैं। इसके बाद कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा बेहतर बताने की कोशिश की जा रही है। हालांकि यह बात जमीनी स्तर पर सही नहीं है। पार्टी में टिकिट वितरण को लेकर जो असंतोष है उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह असंतोष बताता है कि पार्टी में अंदरूनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रणाली की जो बात कही जा रही है वह कहीं नहीं है और यहां भी फैसले उसी तरीके से लिए जाते हैं जैसे कि भाजपा में।
महू विधानसभा सीट इसका सटीक उदाहरण है। यहां से 27 दिन पहले भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए राम किशोर शुक्ला को टिकिट दिया गया है। इसके बाद से पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार के हताश हैं और उनके सर्मथक नाराज़। शुक्रवार को दिन भर दरबार के घर पर मिलने-जुलने वालों का तांता लगा रहा।
दरबार के सर्मथकों ने कहा कि अगर दरबार तीन चुनाव हारे हैं तो पूरे प्रदेश में कांग्रेस भी हारी है और दरबार ने भाजपा के बड़े नेताओं के सामने कांग्रेस का नाम बचाया है और अपने कार्यकर्ताओं की उनसे रक्षा की है लेकिन शुक्ला ने टिकिट के लालच में अपनी पार्टी को छोड़ दिया है। शुक्ला उस समय भाजपा में थे जब भाजपा का माहौल था अब माहौल कांग्रेस का बन रहा है तो वे यहां आ गए। इन कार्यकर्ताओं ने शुक्ला को अवसरवादी राजनीति करने वाला नेता बताया और कहा कि दरबार ने कांग्रेस का हाथ कभी नहीं छोड़ा।
कांग्रेस की रात के अंधेरे में घोषित दूसरी सूची –
"पहले लड़े थे गोरो से , अब लड़ेंगे चोरों से…"
महूं में रामकिशोर शुक्ला का , अंतर सिंह दरबार के समर्थकों ने किया खुला विरोध…. pic.twitter.com/CXqxRdUsRe
— Narendra Saluja ( मोदी का परिवार ) (@NarendraSaluja) October 20, 2023
कमलनाथ से है सीधी नाराज़गीः कांग्रेसी कार्यकर्ता बताते हैं कि अंतर सिंह दरबार जैसे कई नेता इन दिनों प्रदेश में परेशान हैं। उनकी परेशानी की वजह है कि अब पार्टी में उनके बोलने के लिए जगह नहीं बची है और केवल कमलनाथ ही अब पार्टी चला रहे हैं, जिन कुछ लोगों की उन तक पहुंच है वे खुश हैं और जिन पुराने कार्यकर्ताओं की मप्र में नए आए कमलनाथ से पहचान नहीं वे परेशान। अंतर सिंह दरबार के घर उनसे मिलने पहुंचे कार्यकर्ता यह कहते हुए कई उदाहरण देते हैं।
कमलनाथ ने कहा था कि किसी भी भाजपाई के कांग्रेस में आवक स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की सहमति से ही होगी लेकिन दरबार के साथ ऐसी किसी भी सहमति बनाने की कोशिश नहीं की गई। दरबार कहते हैं कि वे शुक्ला को टिकट देने से पहले उनसे कोई बातचीत नहीं की गई, उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। महू विधानसभा को जानने वाले बताते हैं कि कांग्रेस के लिए यहां एक मात्र भरोसे का नाम अंतर सिंह दरबार ही रहे हैं लेकिन भाजपा से आने वाले नेता को टिकिट देने से पहले उनसे भी नहीं पूछा गया।
दरबार कहते हैं कि पार्टी नेताओं के रवैया ऐसा है कि पुराने नेता नाराज हो रहे हैं। वे कहते हैं कि समाजवादी पार्टी से जिस तरह से व्यवहार किया गया उसका नतीजा दिख रहा है और इस रवैये का नतीजा क्या होगा यह पता चलेगा और शायद यह सपना ही रह जाएगा। दरबार ने बताया कि मुझे विधायक इसलिए बनना था कि महू में नर्मदा लाई जा सके जो कि भाजपा के पंद्रह सालों में नहीं हुआ। ये कहते हुए दरबार भावुक हो गए वे कहते हैं कि मैंने महू के लिए कई सपने देखे थे, कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े धनबल वाले नेता के सामने भी डटे रहे लेकिन अब कांग्रेस के फैसले से निराशा हुई है।
दरबार के सर्मथक बैकुंठ पटेल कहते हैं कि अब महू की सीट पर कांग्रेस की हार तय है क्योंकि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दरबार से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर दरबार चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के ज्यादातर वोट उन्हें ही पड़ेंगे और दूसरा प्रत्याशी हार जाएगा। खुद दरबार भी इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वे कहते हैं कि शनिवार की रैली में यह तय होगा। हालांकि ज्यादा संभावना यही है कि वे चुनाव लड़ेंगे।