झाबुआ। मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्र के मुख्य व उल्लास भरे सांस्कृतिक पर्व भगोरिया की शुरुआत इस बार एक मार्च से हो रही है, जो सात मार्च तक चलने वाला है और लगातार सात दिनों तक जिले के हर जगह पर इसका उत्साह नजर आएगा।
झाबुआ जिले में 36 स्थानों पर अलग-अलग दिन भगोरिया मेले लगेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में जनजातीय लोगों द्वारा बेसब्री से इस पर्व की प्रतीक्षा हो रही है। विभिन्न जगहों पर काम-धंधे के लिए गए ग्रामीण अब धीरे-धीरे वापस लौटने लगे हैं।
बता दें कि इस पर्व की विशेषता यह है कि अपनी जमीन से कोसों दूर जा चुके जनजातीय लोग होली व भगोरिया मनाने अपने घर जरूर आते हैं और फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही यह सिलसिला तेज हो जाता है। इसके साथ ही त्योहार के मौके पर लगने वाले हाट बाजार में भी रौनक छाई रहेगी।
भगोरिया पर्व जनजातीय क्षेत्र का एक सांस्कृतिक पर्व है जो होली के सात दिन पहले मनाया जाता है और इसकी खुशी चारों ओर छाई रहती है, खासकर युवाओं में।
सात दिन तक लगातार चलने वाले इस पर्व में ग्रामीण नए परिधान में मेला स्थल पर आते हैं। युवक-युवतियां ड्रेस कोड फलियेवार रखते हैं और ढोल-मांदल व बांसुरी आदि की धुन बजती रहेगी। हर मेले में 25 से 50 हजार की उपस्थिति होने की संभावना है।
इस दौरान झूला-चकरी से लेकर खाने-पीने के विभिन्न स्थानीय व्यंजनों का मेला स्थल पर लुफ्त उठाया जाता है। जीवन को एक पल में जीने की कला के दर्शन इसमें होते हैं।
इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि चाहे लाख गम हो, लेकिन ग्रामीण इस दौरान अपनी पूरी मस्ती में रहते हैं और यह मस्ती का आलम भगोरिया को खास बना देता है।
सदियों से मनाए जा रहे इस पर्व में आपसी रिश्तों को खुलकर जीने का अवसर मिलता है। मान्यता यह है कि (भगोर) वापस बसने की खुशी में जो वार्षिक मेला लगा वही भगोरिया हो गया है। होली की मस्ती इसमें दिखाई पड़ती हैं।