बालाघाट। 2022 की अपेक्षा 2023 में जिन मवेशियों को लंपी संक्रमण हो रहा है, उन मवेशियों में लंपी के सामान्य लक्षण के साथ ही नए लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं, जिससे ये बीमारी मवेशियों के लिए पहले की तुलना में अधिक घातक साबित हो रही है।
मध्यप्रदेश के कई जिलों में लंपी बीमारी का प्रकोप जारी है। प्रदेश के बालाघाट जिले में केवल दो माह के अंदर तीन सौ से ज्यादा पशुओं की इस बीमारी की वजह से मौत हो चुकी है।
जानकारों के मुताबिक, लंपी वायरस के नए वैरिएंट की वजह से ऐसा हो रहा है। महज दो माह के अंदर मार्च से अब तक यहां 300 से अधिक पालतू जानरों की मौत हो चुकी है।
विशेषज्ञों की टीम लंपी वायरस के नए स्ट्रेन की पहचान के लिए बालाघाट जिले के विभिन्न इलाकों से सैंपल लेकर गई है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही नए स्ट्रेन के बारे में जानकारी मिल पाएगी।
बीते साल ऐसे थे बीमारी के लक्षण –
बालाघाट जिले में लंपी बीमारी 2022 में छत्तीसगढ़ के रास्ते आई थी, जिससे लांजी क्षेत्र में सबसे अधिक मवेशी बीमार हुए थे। इसके बाद पूरे जिले में बीमारी फैली थी। हालांकि इस दौरान तीन मवेशियों की मौत हुई थी। मवेशियों में लंपी होने पर बुखार, खान-पान बंद, शरीर पर गठान व सूजन देखने को मिल रही थी।
इस साल नए-नए लक्षण –
इस साल मार्च महीने से पालसू जानवरों में लंपी संक्रमण के नए-नए लक्षण दिखाई दिए। इस बार जानवर पहले की तुलना में अधिक बीमार मिले। इस बार पशुओं के पैरों में लंगड़ापन व सूजन देखने को मिल रही है जिससे ये जानवर चलने में असमर्थ हैं और नतीजन गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं जिससे उनकी मौत भी हो रही है।
प्रशासन ने बैल व हाट बाजार पर लगाया प्रतिबंध –
बालाघाट जिले में धारा 144 लगाकर बैल बाजार, हाट बाजार के साथ ही सार्वजनिक स्थल, तालाबों में पशुओँ को ले जाने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। जिले के 404 गांवों में बीमारी में फैल गई है। जिले में छह लाख से भी अधिक पशु हैं, जिन पर लंपी वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमण का खतरा है।
बालाघाट में पशु चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त उपसंचालक डॉ. घनश्याम परते ने बताया कि
लंपी बीमारी में इस वर्ष दिखाई दे रहे नए लक्षण को लेकर राज्य स्तरीय रोग नियत्रंण प्रयोगशाला की तीन सदस्यीय टीम ने सैंपल लिए हैं। सैंपल की जांच के बाद नए लक्षण की जानकारी मिलेगी। नए लक्षण में मृत्युदर अधिक है। रोकथाम के लिए डोर-टू-डोर सर्वे कर जानवरों का उपचार किया जा रहा है।