सिवनी। जिले के कई कृषि केंद्रों पर किसानों से न केवल यूरिया का ज्यादा दाम वसूला जा रहा है बल्कि इसके साथ ही अन्य कृषि सामग्री जबरन खरीदने का दबाव भी बनाने का खेल भी चल रहा है।
ऐसे कई मामलों की किसानों द्वारा शिकायत की गई तो जिला कलेक्टर क्षितिज सिंघल ने इसको संज्ञान में लिया है, जिसके बाद फौरी कार्रवाई करते कृषि विभाग के उपसंचालक मोरिस नाथ ने केवलारी-पलारी क्षेत्र में संचालित सात कृषि केंद्रों का उर्वरक लाइसेंस 14 दिनों के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
केवलारी-धनौरा क्षेत्र में डबल लॉक गोदाम में प्रारंभ किए गए नकद उर्वरक विक्रय केंद्र का बुधवार को जिला कलेक्टर क्षितिज सिंघल ने निरीक्षण किया था और इसी दौरान धानागाड़ा भंडारण केंद्र पर स्थानीय किसानों ने क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं द्वारा मनमानी करने की शिकायत की थी।
किसानों द्वारा की गई शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश कलेक्टर ने मौके पर कृषि अधिकारियों को दिए थे, जिसके बाद बुधवार देर शाम क्षेत्र की सात दुकानों का उर्वरक लाइसेंस 14 दिनों के लिए निलंबित करने के आदेश जारी कर दिया गया।
किसानों की शिकायत पर की गई कार्रवाई –
मप्र राज्य विपणन संघ मर्यादित के उर्वरक विक्रय केंद्रों का 31 मई को कलेक्टर ने निरीक्षण किया था। धानागाडा भंडारण केंद्र पर क्षेत्रीय किसानों ने कलेक्टर को अवगत कराया कि निजी उर्वरक विक्रेताओं द्वारा निर्धारित दर से अधिक दाम पर यूरिया उर्वरक विक्रय किया जा रहा है। अनावश्यक सामग्री यूरिया के साथ जबरन बेची जा रही है। इसकी लिखित शिकायत दी गई थी। किसानों से मिली शिकायत पर कलेक्टर ने कृषि विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद सात कृषि केंद्रों का लाइसेंस निलंबित किया गया है। – मोरिस नाथ, कृषि उपसंचालक
इन कृषि केंद्रों पर हुई कार्रवाई –
किसानों से मिली शिकायत पर कलेक्टर ने कृषि विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद शिव कृषि केंद्र खैरापलारी, ललिताम्बर ट्रेडर्स पलारी, बसंत कृषि सेवा केंद्र पलारी, चंदेल कृषि केंद्र केवलारी, किसान कृषि सेवा केंद्र केवलारी, विवेक ट्रेडर्स केवलारी व किसान एग्रोटेक पलारी के उर्वरक फुटकर लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं।
साथ ही साथ इस मामले की जांच अनुविभागीय कृषि अधिकारी सिवनी को सौंपी गई है। जिन कृषि केंद्रों का लाइसेंस निलंबित किया गया है, उनका निरीक्षण कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने निर्देश दिए गए हैं ताकि उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत दुकानदारों पर आगे की कार्रवाई की जा सके।