नरसिंहपुर। कोरोना काल में लगाए गए लॉक डाउन के बाद से अब तक बहुत से हाथों के काम छिन गए और बहुत से व्यापार बंद हो गए। इसके बाद अब जहां बहुत से लोग कुछ काम खोज चुके हैं और व्यापार धीरे-धीरे खड़े हो रहे हैं तो वहीं निजी स्कूलों की आर्थिक कमर जैसे टूटने को ही है क्योंकि सरकार इन स्कूलों को खोलने की अनुमति अब तक नहीं दे रही है। ऐसे में स्कूलों की वित्तीय व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
निजी स्कूलों के संचालक शासन से मदद मांग रहे हैं लेकिन शासन की बेरुखी से वे नाराज हैं। पिछले एक डेढ़ माह से लगातार शासन का ध्यान आकर्षित कराए जाने के बावजूद जब कोई सकारात्मक माहौल नजर नही आ रहा है। शुक्रवार को जिले भर के कई निजी विद्यालयों के संचालकों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द ही स्कूल खोले जाने की मांग की। इन संचालकों ने आरटीई के तहत फीस भुगतान के लिए भी आवाज उठाई।
शुक्रवार दोपहर जिले के कई निजी स्कूलों के संचालकों और उनसे जुड़े विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने एकजुटता दिखाते हुए शासन की बेरुखी पर नाराजगी जताई। जिला मुख्यालय में साक्षरता स्तंभ के पास एकत्रित हुए निजी स्कूल के संचालकों ने नरसिंह भवन तक मार्च पास्ट किया। इस दौरान जोरदार नारेबाजी भी की।
डीईओ ऑफिस पहुंचकर जिला शिक्षा अधिकारी एके इंगले को इन संचालकों ने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले 8 – 9 माह से विद्यालयों के बंद रहने से शिक्षकों व कर्मचारियों की आर्थिक व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। ऐसे में निजी विद्यालयों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है।
संचालकों ने बताया कि आरटीई के भुगतान भी पिछले दो साल से नहीं मिला है। इसके अलावा शासन की नीतियां निजी विद्यालयों के लिए मनमानी बन रही हैं। इस मौके पर बड़ी संख्या में निजी विद्यालयों के संचालक पहंचे थे। प्रदर्शन कर रहीं महिला सदस्यों ने अपने हाथों में तख्तियां उठा रखी थी जिनमें “खाली हाथों को काम दो, मामा हमें बुक मुकाम दो और विद्यालयों के अस्तित्व की गुहार – विद्यालयों को शीघ्र खोलें सरकार जैसे कई तरह के नारे लिखे हुए थे।
एसोसिएशन के सदस्यों का कहना था कि अगर सरकार जल्द ही इस दिशा पर सकारात्मक कदम नहीं उठाती तो है तो वे 14 दिसंबर को लामबंद होकर भोपाल में प्रदर्शन करने के लिए तैयारी करेंगे।