मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें ‘एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन’ नामक ट्रेड यूनियन को नाम बदलने की अनुमति दी गई थी। श्रमजीवी पत्रकार संघ ने इसे चुनौती दी थी, क्योंकि इस बदलाव से नामों में समानता थी और इससे जनता और सदस्यों के भ्रमित होने की संभावना थी।
जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की एकल पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार को ट्रेड यूनियनों के नामों में समानता के आधार पर यह विचार करना चाहिए कि कौन से लोग नामों की समानता से भ्रमित हो सकते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि रजिस्ट्रार के फैसले में “कारणों का अभाव” था और सिर्फ तथ्यों का उल्लेख करने के बाद निष्कर्ष निकाला गया, जो अस्वीकार्य है। जज ने कहा, “फैसले के कारण ही उसके आधार को दर्शाते हैं और वे किसी भी आदेश की प्रामाणिकता की जड़ होते हैं।”
कोर्ट ने मामले को पुनर्विचार के लिए रजिस्ट्रार को भेज दिया और निर्देश दिया कि इस बार यह ध्यान रखा जाए कि कौन से लोग इस समानता से भ्रमित हो सकते हैं और किस प्रकार की समानताएं जनता या सदस्यों को भ्रमित कर सकती हैं।
मामले का अगला कदम: कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी पक्षों को 24 अक्टूबर को रजिस्ट्रार के समक्ष पेश होना है, ताकि इस मामले का निपटारा ताज़ा दृष्टिकोण के साथ किया जा सके।
यह आदेश ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को एक बार फिर इस मामले का मूल्यांकन करने के लिए निर्देशित करता है, जिसमें संभावित धोखे और समानता के मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
मामले का शीर्षक: मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य
केस संख्या: W.P. No.19817/2013
खबर साभार: लाइव लॉ